भला मलेशिया को कश्मीर पर ज्ञान झाड़ने की क्या ज़रूरत थी? क्या महातिर मोहम्मद को नहीं पता कि भारत, मलेशिया का सबसे बड़ा पाम आयल इंपोर्टर है और मलेशिया के लिए पाम ऑयल इंडस्ट्री कितनी महत्वपूर्ण है? वे ज़ाकिर नाईक को आखिर भारत को क्यों नहीं सौंप रहे हैं? क्या मलेशिया भारत के साथ किसी ट्रेड वॉर को सहने के लायक है?
आजकल मलेशिया की मीडिया में यही सवाल उठाए जा रहे हैं और मीडिया के निशाने पर हैं, दुनिया के सबसे उम्रदराज प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद! दरअसल, जब से पिछले महीने यूएन में मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने कश्मीर का मुद्दा उठाया है, तभी से नई दिल्ली मलेशिया पर भड़की हुई है और उसके खिलाफ बड़ा एक्शन लेने की तैयारी कर रही है। इसी बात को लेकर मलेशिया की मीडिया ने मोहम्मद महातिर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। मलेशियाकिनी और मलेशिया क्रॉनिकल जैसे मीडिया समूह महातिर मोहम्मद से कड़े सवाल पूछ रहे हैं।
इसी को लेकर ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल मलेशियाकिनी ने एक लेख लिखा जिसका शीर्षक था ‘Mahathir – you have made a mess’ जिसका मतलब है महातिर, आपने बहुत बड़ी गलती कर दी है’। इस लेख की शुरुआत में ही लिखा है ‘एक उलझे हुए मामले में बिना किसी बात के टांग अड़ाना कोई अच्छा विचार नहीं है’। आगे लेख में लिखा है “‘भारत द्वारा मलेशिया से आयात पर प्रतिबंध लगाने की बात पर महातिर ने कहा था कि भारत से मलेशिया का व्यापार द्विपक्षीय है और वे भी भारत से सामान को इम्पोर्ट करते हैं। यानि बातों ही बातों में हमारे प्रधानमंत्री ने भारत को एक ट्रेड वॉर की धमकी दी थी। यहाँ हम उनको बताना चाहते हैं कि हमारा व्यापार भारत से एकतरफा ही है”। आगे इस लेख में ऐसे आंकड़े दिये हुए हैं जो महातिर मोहम्मद की रातों की नींद उड़ाने के लिए काफी हैं। लेख में आगे लिखा है “जितना सामान म़लेशिया भारत से इम्पोर्ट करता है, वह भारत की जीडीपी का सिर्फ 0.2 प्रतिशत है, वहीं जितना सामान हम भारत को एक्सपोर्ट करते हैं, वह हमारी जीडीपी का 2.7 प्रतिशत है। यानि हमें यह जान लेना चाहिए कि हमारे प्रतिबंधों से दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का कुछ नहीं बिगड़ने वाला”।
इसके अलावा लेख में ज़ाकिर नाईक को लेकर भी म़लेशिया सरकार पर हमला बोला गया है। लेख में लिखा है कि म़लेशिया को जल्द से जल्द ज़ाकिर नाईक को भारत को सौंप देना चाहिए और भारत के साथ रिश्तों को सुधारने पर ध्यान देना चाहिए, नहीं तो पहले से कमजोर पड़ चुकी हमारी अर्थव्यवस्था के लिए सही नहीं होगा।
इसके अलावा एक अन्य मलयशियाई मीडिया संगठन म़लेशिया क्रॉनिकल ने कुछ इसी तरह का एक लेख लिखा है। लेख का शीर्षक है-
यानि
“महातिर मोहम्मद के बचकाने बयान और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर लाइमलाइट में आने की उनकी कोशिश हुई बर्बाद। उनका बयान बना पाम ऑइल की खेती करने वाले किसानों के लिए बना सिरदर्द”
लेख में लिखा है ‘सिर्फ दुनिया के सबसे बूढ़े प्रधानमंत्री ही यह सोच सकते हैं कि वे यूएन में जाकर भारत के खिलाफ जहर उगलकर आएंगे और पीएम मोदी इतने व्यस्त होंगे कि वे सब भूल जाएंगे’। आगे इस आर्टिक्ल में लिखा है कि “अभी कुछ दिनों पहले चीन के राष्ट्रपति भारत में थे, उन्होंने भी कश्मीर मुद्दे का ज़िक्र तक नहीं किया, फिर मलेशिया कौन होता है एक आर्थिक महाशक्ति से पंगा लेने वाला”। आगे इस लेख में भी लिखा है कि मलेशिया को चाहिए कि वे जाकिर नाइक को भारत भेजकर अपने व्यापारिक संबंध सुधारने की दिशा में काम करे।
यानि मलेशिया की मीडिया भी महातिर के भारत विरोधी सुर को लेकर मलेशिया की सरकार पर हमलावर हो गई है, यही कारण है कि महातिर मोहम्मद के सुर भी अब बदले-बदले नज़र आ रहे हैं। पिछले दिनों मलेशिया के पीएम महातिर मोहम्मद ने भी कहा कि वे भारत के साथ अपने सभी तनावों को राजनयिक तरीकों से हल करने की कोशिश करेंगे। साथ ही उन्होंने कहा था कि- ‘भारत सरकार ने आधिकारिक तौर पर कोई एक्शन नहीं लिया है और भारतीय रिफाइनर्स ने अपने आप से ही मलेशिया के पाम ऑयल का बहिष्कार कर दिया है, जिसके कारण मलेशिया की पाम ऑयल इंडस्ट्री को बड़ा झटका पहुंच सकता है।‘ ऐसे में मलेशिया के लिए यही अच्छा होगा कि वह कश्मीर मुद्दे पर अपने भारत-विरोधी रुख को छोड़कर तर्कसंगत बात करे और तुरंत कश्मीर को लेकर अपने स्टैंड में बदलाव करे। अगर मलेशिया वाकई भारत से अच्छे रिश्ते चाहता है तो उसे कश्मीर पर पाक की भाषा बोलने के लिए भारत के 130 करोड़ लोगों से माफी मांगनी चाहिए।