यह तो आप जानते ही होंगे कि जबसे यूएन में मलेशिया ने कश्मीर का मुद्दा उठाया है, तभी से ही भारत मलेशिया को सबक सिखाने की कोशिश कर रहा है, जिसमें वह काफी हद तक सफल भी रहा है। इसी कड़ी में जब खबरों में यह आया कि भारत मलेशिया से आयात होने वाले सामान पर प्रतिबंध लगा सकता है, तो मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने भारत को धमकाते हुए एक कड़ा बयान दिया था। महातिर मोहम्मद ने कहा था कि मलेशिया का भारत के साथ होने वाला व्यापार द्विपक्षीय है और अगर भारत कोई ऐसा कदम उठाता है, तो वे भी भारत के साथ अपने व्यापारिक रिश्तों पर पुनर्विचार करेंगे। आसान भाषा में कहा जाये तो महातिर ने तब इशारों ही इशारों में यह कहा था कि अगर भारत कोई एक्शन लेता है तो वो भी पलटकर एक्शन लेने से नहीं घबराएँगे।
हालांकि, उनके बयान के महज़ कुछ दिनों बाद ही अब उनके सुर बदले बदले नज़र आ रहे हैं। 17 अक्टूबर को अपने बयान में महातिर मोहम्मद ने बेहद नरम रवैया दिखाते हुए कहा कि वे भारत के साथ अपने सभी तनावों को राजनयिक तरीकों से हल करने की कोशिश करेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने आधिकारिक तौर पर कोई एक्शन नहीं लिया है और भारतीय रिफाइनर्स ने अपने आप से ही मलेशिया के पाम ऑयल का बहिष्कार कर दिया है, जिसके कारण मलेशिया की पाम ऑयल इंडस्ट्री को बड़ा झटका पहुंच सकता है।
इससे पहले भारत और मलेशिया के रिश्तों में तनाव पर मलेशिया के प्राथमिक उद्योग के मंत्री ने कहा था कि ‘भारत और मलेशिया के रिश्ते पिछले 6 दशकों से बेहद मजबूत रहे हैं, और मलेशिया व्यापार को लेकर भारत की चिंताओं पर विचार करने के लिए तैयार है’। साथ ही उन्होंने कहा था कि वे भारत से चीनी और बफेलो मीट (भैंस के मांस) को आयात करने पर राज़ी हैं।
बता दें कि भारत प्रतिवर्ष 90 लाख टन पाम ऑयल का आयात करता है और जिन देशों से भारत आयात करता है उसमें मलेशिया और इंडोनेशिया प्रमुख हैं। इसी पाम ऑयल के आयात को भारत सरकार मलेशिया से हटकर अब इंडोनेशिया पर केन्द्रित करने पर विचार कर रही है। पिछले महीने भारत ने मलेशिया से आयात होने वाले पाम ऑयल पर इम्पोर्ट ड्यूटी को 5 प्रतिशत बढ़ा दिया था, जिसके बाद भारतीय रिफाइनर्स ने मलेशिया से आयात होने वाले पाम ऑयल का बहिष्कार कर दिया था। इससे लगभग 3 करोड़ लोगों को रोजगार देने वाली मलेशिया की पाम ऑयल इंडस्ट्री को गहरा धक्का पहुंचा है। भारत मलेशिया से बहुत बड़ी मात्रा में पाम ऑयल इम्पोर्ट करता है, और ऐसे में जब भारतीय आयातकों ने मलेशियन पाम ऑयल का इम्पोर्ट बंद किया तो मलेशिया को इससे बड़ी तकलीफ पहुंची है। यही कारण है कि अभी मलेशिया के प्रधानमंत्री को अपने कड़े शब्दों को छोड़कर कूटनीतिक की बातें करते सुना जा रहा है।
मलेशिया और भारत के रिश्ते वैसे तो अच्छे ही रहे हैं, लेकिन मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने पिछले महीने यूएन में कश्मीर का मुद्दा उठाया था, जिसके बाद से ही नई दिल्ली में मलेशिया को लेकर गुस्सा देखने को मिला। महातिर मोहम्मद ने जम्मू-कश्मीर के हालात पर टिप्पणी करते हुए इसे भारत का आक्रमण करार दिया था। मोहम्मद ने भारत को पाक से बातचीत करने की सलाह भी दी थी। वहीं इस पर भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा था कि हम मलेशिया सरकार को कहेंगे कि वह कोई भी बयान देने से पहले जमीनी हकीकत को समझ ले और ये मुद्दा पूरी तरह भारत का आंतरिक मामला है।
मलेशिया के प्रधानमंत्री को भी यह बात अब भली-भांति समझ में आ चुकी है कि भारत के साथ पंगा लेने में उनके देश का कोई फायदा नहीं है। वहीं भारत ने भी अब साफ कर दिया है कि वह अपनी अर्थव्यवस्था को एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर किसी भी देश को लाइन पर आने को मजबूर कर सकता है। ऐसे में महातिर मोहम्मद के लिए यही अच्छा होगा कि वह कश्मीर मुद्दे पर पाक के एजेंडे को बढ़ावा ना देकर अपने देश के लिए पहले सोचें।