इल्हान उमर – एक भारत-विरोधी, मोदी-विरोधी, हिंदू-विरोधी, जिहादी और कट्टरपंथी अमेरिकी नेता

अमेरिकी संसद में एक जिहादिन भी है!

इस्लाम

ऑटोमन साम्राज्य को लंबे समय से दुनिया भर के मुसलमानों द्वारा इस्लाम का खलीफा माना जाता था। इसके लिए भारत जैसे देशों ने भी मौलाना अबुल कलाम आजाद के नेतृत्व में खिलाफत आंदोलन चलाया ताकि प्रथम विश्व युद्ध में पराजय की ओर अग्रसर तुर्की का ऑटोमन साम्राज्य यानि इस्लामिक खिलाफत बनी रहे। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान इसी ऑटोमन साम्राज्य की देखरेख में लगभग 15 लाख आर्मेनियाई निवासियों की जाने चली गई थी।

इस नरसंहार की तस्वीरें आज भी कई लोगों में सिहरन पैदा कर देती हैं। अब वर्षों बाद सम्पूर्ण विश्व इसे आधिकारिक रूप से नरसंहार की संज्ञा देने को सहमत हुआ है, जिसके लिए हाल ही में यूएस की संसद यानि यूएस कांग्रेस ने लगभग एकमत होकर आर्मेनियाई लोगों पर किए गए अत्याचार को ‘नरसंहार’ की संज्ञा दी। परंतु एक सांसद ऐसी भी थी, जिन्होंने इस प्रस्ताव के विरुद्ध अपना मत डाला, और वो कोई और नहीं, बल्कि विवादित नेता एवं विश्व भर के लिबरल्स की चहेती मानी जाने वाली इल्हान ओमर थीं।

मिनेसोटा से डेमोक्रेट पार्टी के टिकट पर चुनी गयीं इल्हान ओमर अमेरिका में किसी सेलेब्रिटी से कम नहीं हैं, क्योंकि वे अमेरिका के इतिहास में रशीदा तालिब सहित पहली मुस्लिम महिला हैं, जो हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में निर्वाचित हुई हैं। सोमालिया से आई इल्हान ओमर का विवादों से पुराना नाता रहा है। इसी वर्ष के प्रारम्भ में उन्होंने 9/11 के कायराना हमले को उचित ठहराने का बेतुका प्रयास किया, जब उन्होंने कहा की ‘कुछ लोगों ने कुछ हमला किया’, जबकि ये सिद्ध हो चुका है कि इस हमले के पीछे कौन सी विचारधारा प्रमुख थी। हमास जैसे आतंकी संगठन को समर्थन देना हो, या फिर इज़राएल के विरुद्ध जहर उगलना हो, इल्हान ओमर ने वो सब किया है, जिससे उनकी विवादित छवि को बढ़ावा मिले। इसके लिए कई बार उन्हें अपनी ही पार्टी की आलोचना का शिकार भी होना पड़ा है।

परंतु जबसे उन्होंने आर्मेनियाई नरसंहार को मानने से मना किया है, वे अमेरिका में आलोचना का केंद्र बन चुकी हैं। उन्होंने बेतुका तर्क सामने रखते हुए इस प्रस्ताव की निंदा करने का प्रयास किया। वे बिल के लिए वोट करने के बाद भी अपना पक्ष रख सकती थीं, परंतु उनकी विवादित सोच ने उन्हें ऐसा नहीं करने दिया। ओमर के अंदर इतनी हिमाकत है कि वे कश्मीर में कथित मानवाधिकार उल्लंघन के लिए भारत की आलोचना की थी और एनआरसी द्वारा म्यामार के रोहिंग्याओं के विरुद्ध हो रही कार्रवाई को एक नरसंहार की संज्ञा तक दे डालीं। ओमर ने तो यहाँ तक पूछा कि क्या प्रधानमंत्री मोदी अमेरिका के मूल सिद्धांतों से वास्ता रखते भी हैं या नहीं।

यदि इनमें थोड़ी सी भी मानवीयता बची होती तो सीरिया में तुर्की द्वारा ढाये जा रहे अत्याचारों के खिलाफ अपनी आवाज़ उठा सकती थीं। अपने आप को महिला अधिकारों की प्रतिनधि कहने वाली इल्हान बड़े प्रेम से इस बात को अनदेखा कर देती है कि कैसे तुर्की समर्थित आतंकियों ने एक मानवाधिकार कार्यकर्ता हर्विन खलाफ के साथ हैवानियत की और साथ में वीडियो भी बनाया जो अब वायरल हो रहा है। एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट की माने तो सिर, चेहरे और पीठ में कई गोलियों के घाव, दोनों पैरों, चेहरों और सिर में फैक्चर और बालों से खींचे जाने के कारण काफी चोट भी पहुंची है। परंतु इल्हान ओमर की चुप्पी महज संयोग नहीं हो सकता, क्योंकि हाल ही में ये सामने आया है कि इल्हान के अभियान को तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष एरदोगन के सहयोगी ने $1500 का दान किया है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि इल्हान आतंक प्रेमी हैं।

परंतु अमेरिका के लिए इससे भी ज़्यादा चिंताजनक है इल्हान ओमर के कतर से घनिष्ठ संबंध। कतर की मीडिया इल्हान को एक नायिका के तौर पर पेश करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है और उन्होने ओमर के 9/11 संबंधी बयानों का भी बचाव किया है। कतर की मीडिया जैसे अल जज़ीरा और मिडिल ईस्ट आई ने तो कट्टरपंथी विचारधारा को बढ़ाचढ़ाकर पेश किया है और ओसामा बिन लादेन जैसों को मंच भी प्रदान किए थे। यहाँ पर ये बताना आवश्यक है कि दोनों ही चैनल सरकार के अधीन हैं और वे अपनी यहूदी विरोधी कंटेंट के लिए काफी बदनाम भी हैं। तो प्रश्न ये उठता है – कतर की मीडिया आखिर एक नवोदित अमेरिकी सांसद का महिमामंडन क्यों कर रही है? इसके पीछे का प्रमुख कारण वो है जो अमेरिकी शायद पचा न पाएँ। ओमर एक ऐसा ज़रिया भी हो सकती हैं जो अमेरिका को अंदर से तोड़ने के लिए नियुक्त की गई हों।

ऐसे कट्टरपंथी मीडिया आउटलेट का खंडन करने के बजाए जिस तरह इल्हान ओमर इनके जरिये अपने विचारधारा का प्रचार करती हैं, वो और भी चिंताजनक है। ये आश्चर्य की बात है कि ऐसे कट्टरपंथी लोग अमेरिका के संसद में निर्वाचित कैसे हो जाते हैं। ओमर जैसे लोग देश के प्रति निष्ठावान न होकर कट्टरपंथी इस्लाम के प्रति अपनी निष्ठा रखते हैं। इनके जैसे कट्टरपंथियों का बढ़ता प्रभुत्व अमेरिका के लिए शुभ संकेत नहीं है और उन्हें बिना देर किए इल्हान ओमर जैसे लोगों से नाता तोड़ लेना चाहिए।

Exit mobile version