अमेरिका पिछले कुछ समय से अपने द्वारा वेनेजुएला और ईरान पर लगाए गए प्रतिबंध के चलते भारत पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। हालांकि, अब भारत ने अमेरिका को इसका कड़ा जवाब दिया है। भारत ने कहा है कि उसके लिए अपने हित सबसे पहले है ना कि अमेरिका के तथाकथित प्रतिबंध, और वह अपने हित में कदम उठाता रहेगा। भारत की ओर से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह बात कही। भारत की आबादी 133 करोड़ है, ऐसे में भारत की बड़ी ऊर्जा ज़रूरतें हैं। अमेरिका ने जिन दो देशों पर प्रतिबंध लगाए हैं, वे दोनों ही ऑयल रिच देश हैं। ऐसे में भारत का यह रुख एक दम तर्कसंगत है, और एक साझेदार होने के नाते अमेरिका को भी इस बात को समझना चाहिए।
यही बात निर्मला सीतारमण ने भी कही। एक मीडिया समूह को इंटरव्यू देते हुए उन्होंने कहा ‘’कुछ खास मुद्दे जो भारत के नीतिगत हितों के लिए महत्वपूर्ण हैं, उन्हें लेकर अमेरिका को यह बात समझाई गई है कि भारत संयुक्त राष्ट्र अमेरिका का नीतिगत साझेदार है और आप चाहते हैं कि आपका नीतिगत साझेदार मजबूत हो, कमजोर नहीं’। बता दें कि अमेरिका ने ईरान के साथ-साथ वेनेजुएला पर भी कड़े प्रतिबंध लगाए हुए हैं, लेकिन हैवी ऑयल के निर्यातक बहुत कम देश हैं और भारत की रिलायंस कंपनी को हैवी ऑयल आयात करना पड़ता है। ऐसे में भारत को तथाकथित अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन करना ही होगा जिसको लेकर अब भारतीय वित्त मंत्री ने अमेरिका को दो टूक शब्दों में अपनी बात कही है।
गौरतलब है कि इस साल जनवरी में वेनेजुएला में सबसे बड़े राजनीतिक और आर्थिक संकट के बीच अमेरिका ने वहां की तेल कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया। लंबे समय से वेनेजुएला आर्थिक संकट से गुजर रहा है। इसी तरह अमेरिका ने पिछले वर्ष ईरान पर भी प्रतिबंध लगा दिया था, जिसके बाद भारत में कच्चे तेल की कमी होने का खतरा बढ़ गया था।
हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब भारत ने अमेरिका को दो टूक शब्दों में अपनी बात कही हो। इससे पहले पिछले वर्ष तत्कालीन भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी अमेरिकी प्रतिबंधों को लेकर भारत का रुख साफ किया था। तब सुषमा स्वराज ने कहा था कि ‘ईरान और वेनेजुएला पर अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद भारत दोनों देशों से अपना व्यापार जारी रखेगा, क्योंकि हम सिर्फ यूएन के प्रतिबंधों को मानते हैं, किसी खास देश की ओर से लगाए प्रतिबंधों को नहीं। भारत अपनी विदेश नीति किसी देश के दबाव में आकर नहीं बनाता है’।
तब भी भारत ने अपनी विदेश नीति को स्पष्ट किया था, और आज भी भारत की विदेश नीति वही है। यह दिखाता है कि भारत एक जिम्मेदार स्वतंत्र देश है जो किसी दूसरे देश के दबाव में आकर अपनी कोई नीति नहीं बनाता है। भारत ने यह साफ कर दिया है कि वह एक बड़ी शक्ति है और इस तरह कोई उसपर अपना निश्चय नहीं थोप सकता है।