भारतीय नौसेना अरब सागर में एक बड़ा युद्ध अभ्यास शुरू करने के लिए पूरी तरह तैयार है, जिसे अपनी परिचालन तैयारियों का परीक्षण करने और नई रणनीतियों को प्रयोग में लाने के अवसर के रूप में देखा जा रहा है। ज़ी न्यूज़ की एक रिपोर्ट के अनुसार, अपनी परिचालन तैयारियों का परीक्षण करने और नौसेना के संचालन की नई रणनीतियों को आजमाने के लिए, भारतीय नौसेना अरब सागर में एक अभ्यास की तैयारी कर रही है जिसमें मुंबई स्थित पश्चिमी नौसेना कमान की परिसंपत्तियों का नियोजन किया जाएगा। एएनआई के अनुसार, “मॉनसून खत्म होते ही समुद्र की स्थिति ठीक हो जाती हैं. यही सही समय होता है जब हम अपने ऑपरेशन्स-तैयारी को टेस्ट कर सकते हैं। साथ ही नई रणनीति और ऑपरेशन्स टेस्ट कर सकते हैं।”
यह अभ्यास भारतीय नौसेना का न केवल शक्ति प्रदर्शन दिखाएगा, अपितु परिचालन कुशलता को सुधारने हेतु अभ्यास युद्ध अभ्यास में संचार मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) से हेलीकॉप्टर संचालन एवं लाइव-फायरिंग ड्रिल कराएगा । नौसेना के प्रवक्ता ने आगे बताया “यह मानसून के मौसम के तुरंत बाद अभ्यास करने, समुद्र में बेहतर स्थितियों का लाभ उठाते हुए और तैनाती के लिए नौसेना को तैयार कराने हेतु महत्वपूर्ण है। । यह हमारी तैनाती अवधारणाओं, परीक्षण संचार योजनाओं को ठीक करने का उचित समय है”।
यह अभ्यास अरब सागर क्षेत्र में भारतीय नौसेना के प्रभुत्व को सिद्ध करेगा। भारतीय नौसेना ने इससे पहले अदन की खाड़ी में समुद्री डकैती रोधी अभियानों में महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज की है। इसके अलावा भारतीय नौसेना ओमान की खाड़ी में ऑपरेशन संकल्प का एक हिस्सा है। यह पाकिस्तान को एक कड़े संदेश के रूप में भी देखा जा सकता है, और भारत पहले ही अरब सागर में पाकिस्तान पर अपना वर्चस्व साबित कर चुका है। भारत और पाकिस्तान के बीच भविष्य की युद्ध संबंधी संभावनाओं को खारिज नहीं किया जा सकता है। हालाँकि, बड़े पैमाने पर शक्ति प्रदर्शन के साथ भारतीय नौसेना यह स्पष्ट करती है कि जब समुद्र में प्रभुत्व की बात आती है, तो भारत लाभकारी स्थिति में है।
इस वर्ष पाकिस्तान ने एयर स्ट्राइक्स के पश्चात अपनी समस्त नौसेना अपने तटों पर तैनात कर दी थी। जवाब में भारतीय नौसेना ने भी अपने बेड़े तैयार रखे थे। नौसेना के इस बेड़े में एक विमानवाहक पोत, परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियां और कई युद्धपोत शामिल थे। भारतीय नौसेना की तैनाती का ऐसा प्रभाव था कि पाकिस्तान ने चीनी नौसेना की 70 वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित समुद्री परेड को छोड़ने का निर्णय किया। भारतीय नौसेना अरब सागर में ब्लॉकेड रचने के बाद भी समुद्री परेड के लिए अपने जहाज़ निकालने में सक्षम थी, जबकि पाकिस्तान स्पष्ट रूप से बैकफुट पर था जो एक साधारण युद्धपोत का प्रबंधन भी नहीं कर सकता था।
यही नहीं, यह युद्ध अभ्यास चीन को भी एक कड़ा संदेश भेजता है, जो इस क्षेत्र में नौसैनिक प्रभुत्व हासिल करने के लिए उत्सुक है। चीन भारत को घेरने हेतु रणनीतिक रूप से स्थित द्वीपों पर सैन्य या वाणिज्यिक बिंदुओं को बढ़ाकर हिंद महासागर क्षेत्र में अपने प्रभाव का विस्तार करना चाहता है, जिसे ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ का सिद्धान्त भी कहा जाता है।
परंतु भारत ने भी यहाँ कच्ची गोलियां नहीं खेली हैं। वे प्रत्युत्तर के तौर पर हिंद महासागर क्षेत्र में रणनीतिक रूप से अहम बिंदुओं पर नौसैनिक अड्डों का निर्माण करके चीन की रणनीति को प्रभावी ढंग से बेअसर कर सकता है। भारत ने अपनी उपस्थिति का विस्तार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है जो हाल के दिनों में हिंद महासागर क्षेत्र में वर्चस्व के लिए उभरती हुई चीन-भारतीय प्रतियोगिता के रूप में वर्णित किया जा सकता है। हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की उपस्थिति का मुकाबला करने की दिशा में भारत अब अपनी नौसेना का शक्ति प्रदर्शन कर रहा है। अब देखना होगा कि इस युद्ध में कौन किस पर हावी होता है।