ममता आउट, बिप्लब देब इन: बांग्लादेश मोर्चे पर सरकार का कूटनीतिक तख्तापलट

बिप्लब देब

एक तरफ भारत का राज्य पश्चिम बंगाल, और दूसरी तरफ बांग्लादेश! दोनों क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की जीवनशैली, संस्कृति और भाषा लगभग एक जैसी लेकिन दोनों क्षेत्रों के प्रमुखों में कभी रिश्ते ठीक नहीं रहे। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के बीच कुछ मुद्दों को लेकर तनातनी इतनी ज़्यादा है कि पिछले कई सालों से दोनों के बीच 36 का आंकड़ा चल रहा है। वर्ष 2011 में बांग्लादेश के दौरे पर जा रहे भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ जाने से ममता बनर्जी ने साफ मना कर दिया था। पिछले वर्ष फरवरी में दोनों नेता कई वर्षों के बाद मिले भी थे, लेकिन वह मुलाक़ात भी कोई खास फर्क नहीं डाल पाई थी। अब लगता है कि शेख हसीना ने भी ममता को डंप करने का पूरा मन बना लिया है और अब वे पहली बार ममता को छोड़ त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब देब के साथ अपने रिश्तों को प्राथमिकता दे रही हैं।

दरअसल, शेख हसीना चार दिनों के भारत दौरे पर हैं और वे गुरुवार को भारत आई थीं। यहां आने के बाद वे नई दिल्ली में जारी वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम और भारत-बांग्लादेश व्यापार फोरम जैसे महत्वपूर्ण फोरम्स में हिस्सा ले चुकी हैं। इस दौरान उन्होंने त्रिपुरा के सीएम बिप्लब कुमार देब के साथ भी मुलाक़ात की।

मुलाक़ात के बाद बिप्लब ने ट्वीट किया ‘खुश हूं नई दिल्ली में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के साथ डिनर में साथ रहा, जो कि बांग्लादेश के उच्चायुक्त द्वारा होस्ट किया गया’। इसके अलावा उन्होंने कहा, ‘चूंकि त्रिपुरा बांग्लादेश से पास है, इसलिए त्रिपुरा और बांग्लादेश से संबंधित विभिन्न द्विपक्षीय मुद्दों पर भी चर्चा की गई। मेरे अनुरोध के बाद सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मैडम हसीना ने भी ढाका से अगरतला के लिए एक अंतरराष्ट्रीय उड़ान के लिए रुचि दिखाई।’ सूत्रों ने यह भी कहा कि बांग्लादेश भारत सरकार के साथ सोनमुड़ा जलमार्ग को अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल मार्ग घोषित करने के लिए भी तैयार है।

बिप्लब कुमार देब भारत और बांग्लादेश के बीच मधुर रिश्तों के पक्षधर रहे हैं और उनका मानना है कि बांग्लादेश के माध्यम से भारत के उत्तर-पूर्व के इलाकों में कनेक्टिविटी को बेहतर किया जा सकता है। बिप्लब देब के अनुसार अगर उत्तर बांग्लादेश के माध्यम से उत्तर-पूर्वी राज्यों को भारत के मेनलैंड से जोड़ने का काम किया जाता है तो इसका सभी नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों को आर्थिक लाभ होगा। साफ है कि खुद बंगलादेश की पीएम शेख हसीना भी इस बात को समझती है और अब वे भारत के पूर्वोत्तर के राज्य त्रिपुरा के सीएम के साथ अपने रिश्तों को मजबूत करना चाहती हैं, क्योंकि वे भी ममता बनर्जी के निराशाजनक रुख से परेशान हो चुकी हैं। इसीलिए इस राज्य के साथ रिश्ते बेहतर करने के लिए शेख हसीना पहले ही त्रिपुरा से आयात होने वाले रबर और बांस जैसे 14 सामानों पर इम्पोर्ट ड्यूटि कम करने पर राज़ी हो गई हैं।

बता दें कि ममता बनर्जी और शेख हसीना के रिश्ते तीस्ता जल समझौते को लेकर खराब हुए हैं जिसकी वजह से ना केवल पश्चिम बंगाल के रिश्ते बांग्लादेश के साथ खराब हैं बल्कि कई बार भारत-बांग्लादेश के रिश्तों पर भी इसकी आंच पड़ चुकी है। दरअसल, तीस्ता जल समझौता अभी भारत और बांग्लादेश के बीच बहने वाली तीस्ता नदी को लेकर किया जाना है जिसके तहत बांग्लादेश नदी के 48 प्रतिशत पानी पर अपना अधिकार चाहता है। इसके साथ ही बांग्लादेश भारत पर यह भी आरोप लगाता है कि बरसात के मौसम में भारत की तरफ से ज़्यादा पानी छोड़ दिया जाता है जबकि कम बरसात के समय बिलकुल भी पानी नहीं छोड़ा जाता, और दोनों ही स्थितियों में बांग्लादेश के किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है। हालांकि, ममता बनर्जी इस समझौते को लेकर बिलकुल भी खुश नहीं है और यही वजह है कि उनके शेख हसीना के साथ रिश्ते खराब चल रहे हैं। हालांकि, जैसा कि हमने बताया कि अब शेख हसीना भी ममता को डंप करने के मूड में आ चुकी हैं और अब वे बिप्लब देब के साथ अपने अच्छे संबंध बनाना चाहती हैं। इसका असर भारत और बांग्लादेश के रिश्तों पर भी पड़ना तय है क्योंकि ममता बनर्जी की वजह से दोनों देशों के द्विपक्षीय रिश्तों में खट्टास आने लगी थी, लेकिन बिप्लब देब के आने के बाद अब इस समस्या का हल होना भी तय है।

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