370 हटने के बाद चेनानी-नाशरी सुरंग का नाम श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर, 66 साल बाद उनके सपनों का कश्मीर

श्यामा प्रसाद मुखर्जी

जहां हुये बलिदान मुखर्जी, वो कश्मीर हमारा है,

जो कश्मीर हमारा है, वो सारा का सारा है।

जिस कश्मीर के लिए जनसंघ के संस्थापक डॉ॰ श्यामा प्रसाद मुखर्जी अपनी प्राणों की आहुति देने से भी पीछे नहीं हटे थे, उन्ही को एक उचित श्रद्धांजलि के तौर पर भारत की सबसे लंबी चेनानी-नाशरी सुरंग को उनके नाम पर अब रखा जाएगा। ये सुरंग जम्मू शहर को कश्मीर घाटी के कई प्रमुख शहरों से जोड़ती है। केंद्रीय सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने यह घोषणा करते हुए ट्वीट किया-

“यह एक ऐतिहासिक निर्णय है! जम्मू-कश्मीर में एनएच 44 पर स्थित चेनारी-नाशरी टनल का नाम डॉ॰ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर रखा जाएगा। श्यामा प्रसाद जी के लिए यह विनम्र श्रद्धांजलि है, जिन्होंने कश्मीर के लिए हमारी लड़ाई और  ‘वन नेशन वन फ्लैग’ के अंतर्गत राष्ट्रीय एकीकरण हेतु बहुत योगदान दिया है”।

इस 9.2 किमी लंबी सुरंग को 2017 में पीएम मोदी द्वारा देश को समर्पित किया गया था। ये सुरंग जम्मू और कश्मीर राज्य में सबसे महत्वपूर्ण इनफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में से एक है, जो घाटी को देश के बाकी हिस्सों के और करीब लाती है। इस सुरंग ने श्रीनगर और जम्मू के बीच सड़क की दूरी 300 किमी से घटाकर लगभग 250 किमी कर दी है। इसने जम्मू और श्रीनगर के बीच सभी प्रकार के मौसम में कनेक्टिविटी को भी बढ़ावा दिया है।

यही नहीं, ये सुरंग उधमपुर में स्थित चेनानी को रामबन जिले में नाशरी से भी जोड़ती है और दोनों के बीच की दूरी 41 किमी से 9.2 किमी तक कम करती है। इसके अलावा, यह राजमार्ग पर हिमस्खलन और भूस्खलन से प्रभावित स्थानों को भी बाईपास करता है। सुरंग में हर 150 मीटर पर एसओएस कॉल-बॉक्स, फायर फाइटिंग सिस्टम, सर्विलांस आदि जैसे प्रभावशाली सुरक्षा फीचर्स भी उपलब्ध हुए हैं। इसके अलावा, हर 300 मीटर पर ‘क्रॉस पैसेज’ से जुड़ने के लिए एक समानांतर एस्केप टनल है।

ये सुरंग भारत के लिए एक बड़ी रणनीतिक संपत्ति है। नागरिक यातायात के लिए यात्रा के समय में कमी के साथ साथ ये सुरंग सैन्य काफिले की सुगम आवाजाही भी सुनिश्चित करती है, जिससे जम्मू और श्रीनगर के बीच सेना, उपकरण, गोला बारूद इत्यादि को स्थानांतरित करना आसान हो जाता है। बर्फ और भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों को दरकिनार करने और सभी मौसमों में कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने के कारण ये भारत के लिए निस्संदेह एक लाभकारी कदम है, जब बात रणनीतिक रूप से अहम कश्मीर घाटी और आसपास के क्षेत्रों में सैन्य बल तुरंत जुटाने की हो। इसलिए यह सुरंग कोल्ड स्टार्ट सिद्धांत को भी मजबूती प्रदान करती है, जिसमें एक पूर्ण विकसित युद्ध उत्पन्न होने पर पश्चिमी मोर्चे पर सैनिकों की त्वरित तैनाती की परिकल्पना की गई है।

जनसंघ के संस्थापक डॉ॰ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर सुरंग का नाम बदलने का निर्णय इसलिए और भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि यह मोदी सरकार द्वारा संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के लगभग दो महीने बाद आया है, जिससे जम्मू एवं कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने के विवादास्पद प्रावधान से भी छुटकारा मिला। इसके साथ मोदी सरकार ने डॉ॰ मुखर्जी के भारत के साथ पूर्ण एकीकरण के सपने को पूरा किया।

यह डॉ॰ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ही थे जिन्होंने पहली बार जम्मू और कश्मीर को किसी भी अन्य राज्य की तरह भारत में एकीकृत करने के मुद्दे मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया था। डॉ॰ मुखर्जी ने जम्मू और कश्मीर राज्य में मुख्यमंत्रियों के बजाय राज्यपालों और एक प्रधानमंत्री के बजाय ‘सदर-ए-रियासत’ होने के पीछे के तर्क पर सवाल उठाया था। यह वही डॉ॰ मुखेर्जी थे जिन्होंने वह लोकप्रिय नारा गढ़ा था-

“एक देश में दो विधान, दो निशान और दो प्रधान नहीं चल सकते”। (एक देश में दो संविधान, दो प्रधानमंत्री और दो झंडे नहीं हो सकते)”।

डॉ॰ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अदम्य साहस का परिचय देते हुये दमनकारी परमिट सिस्टम के विरुद्ध आवाज़ उठाई थी, जिसके बिना जम्मू एवं कश्मीर में प्रवेश करना अपराध था। उन्हे शेख अब्दुल्ला के नेतृत्व वाले जम्मू कश्मीर की सरकार ने हिरासत में ले लिया और उनकी रहस्यमयी परिस्थितियों में 23 जून 1953 को मृत्यु हो गयी।

2004 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने आरोप लगाया की जम्मू कश्मीर की सरकार और नेहरू की केंद्र सरकार ने एक सुनियोजित योजना के अंतर्गत श्यामा प्रसाद मुखर्जी को हिरासत में मरवाया। शायद यह भी एक कारण था कि डॉ॰ मुखर्जी की माँ जोगमाया देवी सहित कई हस्तियों के लाख अपील करने के बाद भी उनकी रहस्यमयी मृत्यु पर कोई जांच नहीं हुई। डॉ॰ मुखर्जी ने जम्मू-कश्मीर क्षेत्र का भारत में विलय कराने के लिए अपने प्राणों की आहुति भी दे दी।

उनके सपनों को पूरा करते हुये पीएम मोदी की सरकार ने अनुच्छेद 370 के विशेषाधिकार संबन्धित प्रावधानों को निरस्त किया, जिससे जम्मू एवं कश्मीर क्षेत्र का भारत में सम्पूर्ण विलय संभव हुआ।

ऐसे में चेनानी-नाशरी सुरंग का नामकरण वास्तव में जम्मू-कश्मीर के शेष भारत के साथ पूर्ण एकीकरण में सभी बाधाओं को दूर करने की दिशा में जनसंघ संस्थापक के योगदान को दर्शाता है। यह जम्मू और कश्मीर की यात्रा के लिए परमिट की आवश्यकता के भेदभावपूर्ण कदम को धता बताने के उनके वीरतापूर्ण कदम के कारण ही था कि आज साल के किसी भी समय इस सुरंग के माध्यम से घाटी को सुरक्षित और निर्बाध रूप से पहुँचा जा सकता है।

वास्तविक अर्थों में सुरंग इस बात को प्रमाणित करती है कि कश्मीर भारत का अभिन्न, अविभाजित अंग है। यदि डॉ॰ श्यामा प्रसाद मुखर्जी न होते, तो राज्य अभी भी देश से अलग-थलग रहता । ऐसे में यह उचित ही है कि सुरंग का नाम डॉ॰ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर जाये, जिन्होेंने पहले जम्मू और कश्मीर राज्य के पूर्ण एकीकरण के लिए कुछ निहित स्वार्थों के विरुद्ध लड़ाई छेड़ी थी।

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