हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज चरखी दादरी में विशाल जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ एक और बड़ा कदम उठाने की बात की। उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ अब पानी पर सर्जिकल स्टाइक के संकेत दिए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रहित में जो भी कदम उठाना जरूरी होगा वह डंके की चोट पर उठाते रहेंगे। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के हालात की चर्चा करते हुए कहा, किसी को कितनी भी आपत्ति हो, हम देशहित में कोई भी कदम उठाने से नहीं हिचकेंगे।
दरअसल, प्रधानमंत्री दादरी के बाद कुरुक्षेत्र में रैली को संबोधित कर रहे थे। दादरी में रैली को संबोधित करने के बाद प्रधानमंत्री कुरुक्षेत्र पहुंचे। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि भाजपा की सरकार बनते ही हरियाणा के हर किसान के खाते में सीधी मदद पहुंचेगी। हिंदुस्तान और हरियाणा के किसानों के हक का पानी 70 साल तक पाकिस्तान जाता रहा। ये मोदी पानी को रोकेगा और आपके घर तक लाएगा।’ इसके लिए मैंने काम शुरू कर दिया है। इस पानी पर हक हिंदुस्तान का है और हरियाणा और राजस्थान के किसानों का है। इस वजह से आपके लिए मोदी लड़ाई भी लड़ रहा है।’ प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट कर दिया है कि पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा तो उसे आने वाले दिनों भारी क्षति होने वाली है।
#WATCH "Hindustan aur Haryana ke kisaano ke haq ka paani 70 saal tak Pakistan jata raha…yeh Modi paani ko rokega aur aapke ghar tak laayega. Iss paani par haq Hindustan ka hai, Haryana ke kisaan ka hai," PM Modi at an election rally in #Haryana's Charkhi Dadri pic.twitter.com/4ibs8FUTuK
— ANI (@ANI) October 15, 2019
बता दें कि भारत की तरफ से जाने वाली तीन नदियों का पानी पाकिस्तान जाता है। पाकिस्तान लगातार भारत में आतंकवाद को बढ़ावा देने हेतु प्रयासरत है। यही वजह है कि 22 अगस्त को भारतीय सीमा तथा विश्व स्तर पर पाकिस्तान के बढ़ते उत्पात के बीच भारत ने एक और बड़ा कदम उठाते हुए पाक के साथ हाइड्रोलॉजिकल डाटा साझा करना बंद कर दिया था। हाइड्रोलॉजिकल डाटा वर्षा, नदियों के मार्ग में उनका जमाव, प्रवाह की गति, जल की परिवहन क्षमता, भूजल स्तर, वाष्पीकरण के माध्यम से जल की निगरानी कर जुटाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य किसी क्षेत्र के बढ़े हुए जलस्तर के कारण आने वाले बाढ़ का पता लगाना होता है। भारत भी अपनी नदियों का हाइड्रोलॉजिकल डाटा संग्रहीत करता है। उत्तर-पूर्वी राज्यों से पाक जाने वाली नदियों से जुड़ा डाटा वर्ष 1989 के एक समझौते के तहत पाकिस्तान के साथ भी साझा किया जाता था। इसे हर साल बाढ़ के मौसम में मॉडिफाइ कर पाकिस्तान के साथ साझा किया जाता था लेकिन अब केंद्र सरकार ने इसे बंद करने का फैसला किया था।
अब प्रधानमंत्री के इस बयान यह स्पष्ट हो गया है कि इस क्षेत्र में और भी कदम उठाए जाने का संकेत देता है।
हाइड्रोलॉजिकल डाटा से जुड़ा बंद करने का भारत का यह कदम पाकिस्तान के साथ हुए सिंधु जल संधि को निरस्त करने के प्लान का पहला कदम माना जा रहा था, क्योंकि पाकिस्तान जिस तरह से कश्मीर मुद्दे को विश्व में सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रहा है उसे सबक सिखाना जरूरी है। जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी कहा था कि भारत सिंधु जल समझौते के तहत अपने हिस्से के पानी को रोकने के लिए प्राथमिकता के आधार पर काम कर रहा है।
इससे पहले पूर्व जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी ने भी 14 फरवरी को हुए पुलवामा हमले के बाद कहा था कि पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को लगातार समर्थन देने की वजह से भारत अपने हिस्से में आने वाली नदियों का पानी पाकिस्तान में जाने से रोकने पर विचार कर रहा है।
बता दें कि विश्व बैंक की मध्यस्थता के बाद 19 सितंबर 1960 को भारत और पाक के बीच सिंधु जल समझौता हुआ था। उस समय भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और पाक के राष्ट्रपति जनरल अयूब खान ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किये थे। संधि के अनुसार, भारत के पास ‘पूर्वी’ नदियों (रावी, ब्यास और सतलुज) के जल पर पूर्ण अधिकार है। बदले में, भारत को पश्चिमी नदियों (सिंधु, चिनाब और झेलम) को पाक में बिना किसी उपयोग किए छोड़ना पड़ता है।
इस सिंधु जल समझौते पर गौर करें तो इससे भारत को कोई लाभ नहीं होता बल्कि घाटा ही होता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि, इस समझौते से भारत को एकतरफा नुकसान हुआ है और उसे छह सिंधु नदियों की जल व्यवस्था का महज 20 फीसदी पानी ही मिला है। इस समझौते पर हमेशा से भारत और पाकिस्तान के बीच मतभेद रहा है। भारत का कहना है कि 1960 के सिंधु जल संधि के कार्यान्वयन पर पक्षपात हुआ है। दरअसल, इन नदियों का 80 फीसदी से ज्यादा पानी पाक को ही मिलता है।
हम सभी जानते हैं कि भारत और पाक के बीच तीन युद्ध हुए, लेकिन भारत ने एक बार भी यह समझौता नहीं तोड़ा। हालांकि, 2002 में जम्मू-कश्मीर विधानसभा में इस संधि को खत्म करने की मांग जरूर उठी थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यह भारत का बड़प्पन ही है कि, भारत इस समझौते का सम्मान कर रहा है लेकिन पाक ने इसकी कभी कद्र नहीं की।
अगर भारत यह संधि तोड़ देता है तथा पाकिस्तान में जाने वाली इन तीनों नदियों (सिंधु, चेनाब और झेलम) का पानी रोक दिया जायेगा और नतीजतन हमारे पड़ोसी देश का एक बड़ा इलाका रेगिस्तान बन जाएगा। पाक के एक बड़े हिस्से में लोगों को पानी की कमी से जूझना पड़ेगा। वहां बिजली को लेकर हाहाकार मच जाएगा क्योंकि पानी न मिल सकने के कारण कई हाइड्रोपॉवर प्रोजेक्ट बंद हो जाएंगे। पाक की खेती तबाह हो जाएगी और वहां किसानों के सामने बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा। जो पाकिस्तान पहले से ही कर्ज और गरीबी से जूझ रहा है वह यह झटका सहन नहीं कर पाएगा। धीरे-धीरे इस संधि को खत्म करने के लिए जिस तरह से मोदी सरकार प्रयास कर रही है वो आने वाले दिनों में पाकिस्तान के लिए खतरे की घंटी है।