राहुल द्रविड़ और सौरव गांगुली, भारत के दो महान और बेहद लोकप्रिय क्रिकेटर अपने समय के महान साझेदार थे। 1999 विश्वकप में टांटन के मैदान पर खेली गयी इन दोनों की वह पारी जिसमें दोनों ने मिलकर 318 रन बनाए थे, कौन भूल सकता है। वह दौर भारत के क्रिकेट जगत में उत्थान का था। इन दोनों ने भारत के लिए साझेदारी करते हुए 88 मैचों में लगभग 50 की औसत से 4,363 बनाए और रिकॉर्ड लिस्ट में यह जोड़ी 10 स्थान पर टॉप टेन में आती है। अब यही जोड़ी भारत के क्रिकेट में भविष्य को और उज्ज्वल बनाने के लिए साझेदारी करने जा रही है।
दरअसल, भारत के सबसे सफल और करिश्माई नेतृत्व देने वाले पूर्व कप्तान सौरव गांगुली को पिछले सप्ताह BCCI के 39वें अध्यक्ष पद के लिए चुना गया था। इसके बाद दादा ने भारतीय क्रिकेट को अमूल-चूल परिवर्तन कर दशा और दिशा दोनों बदलने का मन बना चुके है। इस बारे में उन्होंने कप्तान विराट कोहली से भी बात करने की बात कही थी। बांग्लादेश के खिलाफ टीम चयन के बाद मुख्य चयनकर्ता MK Prasad से मुलाक़ात के बाद वह विराट और रोहित से मिले भी।
दादा के इस मुलाक़ात के बाद अब वह अपने पुराने साझेदार और NCA यानि राष्ट्रीय क्रिकेट एकेडमी के अध्यक्ष पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ से बुधवार को मिलने वाले है। यह मुलाक़ात भारत में क्रिकेट के भविष्य के लिए रोड मैप तैयार करने को लेकर होने वाला है।
बता दें कि इसी वर्ष जुलाई में क्रिकेट की दीवार कहे जाने वाले राहुल द्रविड़ ने NCA के अध्यक्ष पद का कार्यभार संभाला था। इससे पहले वह भारत ए और अंडर-19 के कोच पद पर थे। राहुल भी नेशनल क्रिकेट एकेडमी से जुड़ने में दिलचस्पी दिखा चुके थे और उनके पास एकेडमी को आगे ले जाने की कई योजनाएं हैं। उनकी कोशिश है कि वह एनसीए से जुड़कर भारतीय क्रिकेट के लिए बेहतरीन खिलाड़ियों की पौध तैयार करने में मदद करें।
नेशनल क्रिकेट एकेडमी की स्थापना 2000 में की गई थी जो भारतीय क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व करने की क्षमता रखने वाले युवा क्रिकेटरों को प्रशिक्षण देने के लिए भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अंदर आता है। एनसीए को भारतीय क्रिकेट की सप्लाई लाइन माना जाता है लेकिन पिछले कुछ वर्षों से यह रिहैबिलिटेशन केंद्र सा बन गया है। सौरव गांगुली ने भी अध्यक्ष बनने के बाद इस बात को माना। सौरव गांगुली ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा, ‘हां एनसीए को पुनर्जीवित करने के लिए मेरे पास कुछ योजनाएं हैं। मैं 30 अक्टूबर को बेंगलुरु जाऊंगा।’
पिछले सप्ताह ही टीम इंडिया के पूर्व बल्लेबाज वीवीएस लक्ष्मण ने भी बीसीसीआई अध्यक्ष के रूप में सौरव गांगुली को एनसीए के सुधार पर फोकस करने की सलाह दी थी। लक्ष्मण ने कहा था, ‘एनसीए को सिर्फ रिहैबिलेटेशन सेंटर ही नहीं बने रहना चाहिए। यहां भारतीय क्रिकेट का भविष्य यानी युवाओं को निखारने पर फोकस होना चाहिए। अगर आप मुझसे एक बात पूछेंगे तो वो ये होगी कि सौरव एनसीए को कैसे पुनर्जीवित कर सकते हैं। भारतीय टीम की महानता उसकी बेंच स्ट्रेंथ में है।’
द्रविड़ और सौरव गांगुली दोनों की साझेदारी एक बार फिर से भारत को क्रिकेट की उच्चाईयों पर ले जाने वाली है। भारत को इस समय गांगुली जैसे एक क्रिकेट प्रशासक की आवश्यकता थी जोकि अब पूरी हो चुकी है, वहीं क्रिकेट की नई पौध को संवारने के लिए राहुल द्रविड़ से बेहतर भारत में अभी कोई नहीं है। यह कला राहुल द्रविड़ अपनी भारत ए और अंडर-19 के कोचिंग के दौरान साबित भी कर चुके है। क्रिकेट खेल में द वॉल यानी कि ‘दीवार’ नाम से मशहूर राहुल द्रविड़ साल 2016 से अंडर-19 टीम के कोच रह चुके है। उनके मार्गदर्शन में इंडिया-ए और अंडर 19 टीम लगातार अच्छा प्रदर्शन कर चुकी है। द्रविड़ के मार्गदर्शन में भारत ने दो बार लगातार अंडर-19 वर्ल्ड कप के फाइनल में जगह बनाई है। इतना ही नहीं 2018 में टीम ने उनके मार्गदर्शन में खिताब भी जीता है। राहुल द्रविड़ टीम इंडिया के लिए नए खिलाड़ी तराशने में लगे हुए हैं और उनके मार्गदर्शन में ही मयंक अग्रवाल, कुलदीप यादव, श्रेयस अय्यर, पृथ्वी शॉ, ऋषभ पंत और शुबमन गिल जैसे युवा खिलाड़ी भारतीय टीम के लिए खेल रह हैं। द्रविड़ की सबसे बड़ी खूबी उनका मैन-मैनेजमेंट कौशल है और मुख्य कोच के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने व्यक्तिगत खिलाड़ियों के विकास पर अधिक ध्यान केंद्रित किया और परिणाम सभी को देखने को भी मिला हैं।
वहीं दूसरी ओर बंगाल टाइगर के नाम से मशहूर सौरव गांगुली का प्रशासनिक क्षमता उनके बंगाल क्रिकेट के सेक्रेटरी और अध्यक्ष रहते देखा जा चुका है। अध्यक्ष बनते ही उन्होंने सबसे पहले ईडन गार्डन का ड्रेनेज सिस्टम ठीक कराया वह भी दलजीत सिंह जैसे सीनियर पिच क्यूरेटर को फोन करके। वहीं उन्होंने विजन 2020 जैसे प्रोग्राम को भी लॉंच किया था जो युवा क्रिकेटरों के एक्सपोजर और क्रिकेट कोचिंग के लिए शुरू किया गया था। सौरव गांगुली ने इस प्रोग्राम के लिए मुलीधरन, वीवीएस लक्ष्मण और टीए शेखर जैसे खिलाड़ियों को इस प्रोग्राम से जोड़ा ताकि युवा खिलाड़ियों को अधिक से अधिक फायदा हो सके। उन्होंने बंगाल क्रिकेट के अध्यक्ष रहते जमीनी स्तर पर भी कई बदलाव किए थे, जैसे दो दिवसीय फ़र्स्ट डिवीजन क्रिकेट को तीन दिवसीय करना, खिलाड़ियों को रोजगार देने के लिए कॉर्पोरेट की मदद लेना तथा कॉर्पोरेट कप शुरू करना आदि।
इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि BCCI में COA द्वारा किए गए 3 वर्षों तक क्रिकेट के साथ की गयी छेड़खानी को सुधारते हुए भारत को एक नई दिशा में ले जाएंगे।
इन दोनों ही पूर्व कप्तानों ने एक साथ, एक ही टेस्ट मैच में अपने क्रिकेट की शुरुआत 1996 में लॉर्ड्स क्रिकेट मैदान पर की थी। एक तरफ जहां सौरव ने पहले ही मैच में आक्रामक शतक जड़ डाला था तो वहीं, राहुल द्रविड़ ने 95 रनों की अहम पारी खेली थी। तब से इन दोनों ने ही भारत के लिए कई मैच जीताऊ साझेदारी कर चुके हैं। टांटन की वह 318 रनों की शानदार साझेदारी आज भी विश्व की सबसे महान साझेदारियों में से एक मानी जाती हैं। दोनों ही खिलाड़ियों के अंदाज बिल्कुल भिन्न है। एक ओर जहां सौरव आक्रामक हैं तो वहीं, द्रविड़ की पहचान शांत और कभी हार न मानने वाले खिलाड़ी के रूप में रही है। अब जब भारत के क्रिकेट प्रमुख पद इन दोनों के ही पास है तो पुराने रिकॉर्ड से यह कहा जा सकता है कि आने वाले वर्षों में यहां भी धमाका होने वाला है। एक ओर जहां द्रविड़ नए खिलाड़ियों को पहचान कर उन्हें राष्ट्रीय पटल पर लाने के लिए तैयार करेंगे तो वहीं, सौरव BCCI के प्रशासन में सुधार लाकर क्रिकेट की संरचना को व्यवस्थित करेंगे। इस बारें में टीम इंडिया के कोच रवि शास्त्री का कहना है कि सौरव का BCCI अध्यक्ष बनना और राहुल द्रविड़ का NCA का अध्यक्ष होना, इससे बेहतर भारत के क्रिकेट के लिए अब क्या हो सकता है?