अमेरिका का 9/11 आतंकी हमला तो आपको याद ही होगा जब आतंकियों ने कमर्शियल प्लेन को हाईजैक कर अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर को तबाह कर दिया था। अमेरिका ने बाद में पाकिस्तान में पनाह ले रहे इस हमले के मास्टरमाइंड ओसामा बिन लादेन को तो मार दिया, लेकिन ओसामा बिन लादेन की विचारधारा को वह नहीं मार पाया, जिससे प्रेरित होकर आज भी कई आतंकी दुनियाभर में ठीक 9/11 जैसा हमला करने के प्लान पर काम कर रहे हैं। इसी का उदाहरण हमें तब देखने को मिला जब फ्रांस में पुलिस ने लगभग 30 साल के एक युवा को गिरफ्तार किया जो फ्रांस में इसी तरह के एक हमले को अंजाम देने की फिराक में था। फ्रांस के गृह मंत्री ने बाद में मीडिया को बताया कि सुरक्षा एजेंसियों ने न सिर्फ आतंकी हमले को नाकाम किया है, बल्कि साजिशकर्ता को भी गिरफ्तार कर लिया है। पिछले कुछ सालों में फ्रांस समेत पूरे यूरोप पर बड़ा सुरक्षा खतरा मंडरा रहा है और इसका सबसे बड़ा कारण फ्रांस की देश-विरोधी प्रवासी नीति मानी जा रही है। पिछले कुछ सालों में फ्रांस और यूरोप में भूमध्य सागर के पार से अफ्रीका से भारी संख्या में शरणार्थी आकार बस गए हैं, जो इन देशों में सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन रहे हैं।
60 attentats ont été déjoués depuis 2013 et chaque semaine des individus sont interpellés.
Nos services de renseignement œuvrent, quotidiennement, à notre protection.
Je veux leur rendre hommage et leur dire ce soir, à nouveau, toute ma reconnaissance.#VALP pic.twitter.com/paUu8zNVr0— Christophe Castaner (@CCastaner) October 17, 2019
इस खबर के सामने आने के बाद एक बार फिर फ्रांस में अवैध प्रवासियों को देश से बाहर करने की बहस तेज़ हो गयी है। मीडिया से बातचीत करते हुए फ्रांस के गृह मंत्री ने यह भी कहा कि उन्हें अपने देश से अवैध प्रवसियों को जल्द से जल्द बाहर करने पर काम करना होगा, इसके साथ ही जो लोग फ्रांस में अब शरणार्थी बनने की गुहार लगा रहे हैं, उनके अनुरोध को अस्वीकार किया जा रहा है। फ्रांस पर इस्लामिक आतंकवाद का खतरा आप इसी बात से समझ सकते हैं कि पिछले 4 सालों में अब तक फ्रांस में आतंकी हमलों में 230 से ज़्यादा लोग मारे जा चुके हैं, और वर्ष 2013 के बाद से फ्रांस में आतंकी हमलों को अंजाम देने की 60 से ज़्यादा कोशिशें हो चुकी हैं।
यूरोप में शरणार्थी समस्या वर्ष 2013-14 में शुरू हुई जब इन शरणार्थियों को स्वीकार करने के मुद्दे पर पूरा यूरोप दो हिस्सों में बंट गया था। एक हिस्सा इन शरणार्थियों का स्वागत कर रहा था, तो दूसरे हिस्सा विरोध। उस वक्त फ्रांस और जर्मनी जैसे देश इन शरणार्थियों को अपने देश में पनाह देने के पक्ष में थे, तो वहीं हंगरी और पोलैंड जैसे देश शुरू से ही इसके विरोध में रहे हैं। फ्रांस की इसी प्रवासी नीति का यह नतीजा है कि आज फ्रांस के गृह मंत्री को भी इनके खिलाफ कड़े बयान देने पड़ रहे हैं।
यूरोप में शरणार्थी समस्या इतनी गहरा गयी है कि इसकी वजह से दो देशों में तनाव को बढ़ावा मिल रहा है। इटली और फ्रांस इस मुद्दे पर एक दूसरे के आमने सामने हैं। इटली का आरोप है कि फ्रांस इन शरणार्थियों को उनके देश में ‘डंप’ कर रहा है जबकि फ्रांस इस आरोपों को खारिज कर रहा है। इसके अलावा इन शरणार्थियों की वजह से फ्रांस में अपराध बढ़ने का डर भी बढ़ गया है।
फ्रांस में गहराता जा रहा सुरक्षा खतरा जर्मनी और यूरोप के ऐसे देशों के लिए सबसे बड़ा सबक है जो अपने देश में शरणार्थियों का बड़े ज़ोर-शोर से स्वागत कर रहे हैं। यूरोप के साथ-साथ कनाडा जैसे देश भी धीरे-धीरे इसी शरणार्थी समस्या का शिकार बनते जा रहे हैं। ऐसे में यह समस्या समस्त पश्चिमी सभ्यता के विनाश का कारण बनती जा रही है जिसका मुक़ाबला करना इन देशों के लिए मुश्किल बनता जा रहा है। अब इन देशों को सख्त प्रवासी नीति बनाने पर काम करना चाहिए और जल्द से जल्द इन घुसपैठियों को देश से बाहर करना चाहिए।