महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव के रिजल्ट आ गए हैं। वैसे तो भाजपा दोनों राज्यों में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी है लेकिन कहीं न कहीं ये परिणाम भाजपा को नींद से जगाने का काम किया है। दोनों ही राज्यों में पिछली बार की तुलना में पार्टी ने अपनी सीटों को बचाने में असफलता पायी है। महाराष्ट्र में जहां भाजपा ने 105 सीटें जीती, तो वहीं हरियाणा में 40 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा। पिछली बार की तुलना में महाराष्ट्र में भाजपा को 17 सीटों का, तो हरियाणा में 7 सीटों का नुकसान हुआ है।
भाजपा भले ही दोनों राज्यों में सबसे बड़ी पार्टी हो, परंतु दोनों राज्यों में सीटों की गिरावट से यह साफ पता चलता है कि भाजपा की स्थानीय नेतृत्व पीएम मोदी की लोकप्रियता को अपने-अपने क्षेत्रों में भुनाने में असफल रही है। इसके अलावा जहां ये अनुमान लगाए थे कि विधानसभा चुनाव में विपक्ष को पूरी तरह साफ कर देंगे, लेकिन परिणाम ठीक उल्टा आया, विपक्षी पार्टियों ने सत्ताधारी पार्टी भाजपा के नाको चने चबवा दिये। उदाहरण के तौर पर महाराष्ट्र में 2014 के विधानसभा चुनाव में जिस एनसीपी को केवल 41 सीटें मिली थीं, इस बार उसी पार्टी ने सबको चित्त करते हुये 54 सीट प्राप्त की।
परंतु इन परिणामों से अलग उत्तर प्रदेश में भाजपा को एक सुखद समाचार भी प्राप्त हुआ है। लोकसभा चुनावों में 11 सीटों पर उक्त विधायकों के सांसद बनने के कारण वो सीटें रिक्त पड़ चुकी थी, जिस पर उपचुनाव हुए। भाजपा ने 10 सीटों पर चुनाव लड़ा, जिसमें 7 सीटों पर जीत दर्ज की। वहीं सहयोगी पार्टी अपना दल ने प्रतापगढ़ सीट पर चुनाव लड़ा और भारी मतों से जीत दर्ज की। इस तरह से सपा और बसपा, योगी को टक्कर देने में पूरी तरह असफल रहे। चूंकि उत्तर प्रदेश के उपचुनावों में भाजपा का रिकॉर्ड काफी खराब रहा है इसलिए इन परिणामों से एक बात तो साफ है कि इस बार भाजपा ने प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
उत्तर प्रदेश राज्य में योगी आदित्यनाथ विकास के प्रतीक के तौर पर उभर के सामने आए हैं। उन्हें पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा वर्षों का कुशासन विरासत में मिला था। परंतु उन्होंने राज्य में चहुंमुखी प्रगति सुनिश्चित करने की दिशा में व्यापक कदम उठाए। उदाहरण के लिए ऊर्जा क्षेत्र पर ही एक दृष्टि डालिए। उत्तर प्रदेश अंधाधुंध बिजली कटौती और ऊर्जा क्षेत्र में कुप्रबंधन के लिए काफी बदनाम थी। परंतु ढाई वर्षों के पश्चात योगी आदित्यनाथ ने जिलों और प्रमुख शहरों में 24 घंटे, तहसील में 20 और गांवों में कम से कम 18 घंटे की बिजली आपूर्ति सुनिश्चित कराई है। इसके अलावा योगी के नेतृत्व में यूपी सरकार ने लगभग एक लाख किलोमीटर सड़कों को गड्ढा मुक्त बनाया है। पूर्वाञ्चल, बुंदेलखंड, गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे एवं गंगा एक्सप्रेसवे जैसी अहम योजनाएं भी लगभग पूरी हो चुकी हैं।
परंतु योगी सरकार की सबसे उत्कृष्ट उपलब्धियों में से एक है योगी सरकार द्वारा कानून व्यवस्था पर नियंत्रण। अब तक 4600 से ज़्यादा अपराधियों का योगी सरकार ने एनकाउंटर किया है, जो प्रदेश के अपराधियों के लिए किसी दुःस्वप्न से कम नहीं है। जुलाई की एक रिपोर्ट के अनुसार 76 कुख्यात अपराधियों को योगी सरकार ने परलोक भेज दिया है।
इससे एक बात तो साफ है कि योगी आदित्यनाथ राज्य में एक सशक्त नेता के तौर पर उभर कर आए हैं और भाजपा को आगे ले जाने में अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं। इससे पहले पश्चिम बंगाल और कर्नाटक राज्यों में योगी आदित्यनाथ ने भाजपा के लिए जमकर प्रचार किया था, जिसका लोकसभा चुनाव के परिणाम में काफी गहरा असर दिखाई दिया।
यदि उन्होंने महाराष्ट्र और हरियाणा में भी ऐसे ही प्रचार किया होता, तो परिणाम कुछ और होता। ऐसे में दिल्ली और बिहार के आगामी चुनावों योगी को स्टार प्रचारक के तौर पर प्रयोग किया जा सकता है। इससे न केवल भाजपा की गाड़ी वापस पटरी पर आएगी, बल्कि योगी की लोकप्रियता भी काफी बढ़ेगी।