वेटिकन ने फ्रांसिस्कन क्लैरिस्ट कांग्ग्रेशंस के फैसले के खिलाफ केरल की नन की याचिका खारिज कर दी है। एफसीसी नियमों से उलट अपनी जीवनशैली के बारे में संतोषजनक जवाब नहीं देने पर नन को कांग्रेगेशन से बाहर कर दिया है। वेटिकन के अलुवा स्थित एफसीसी ने पांच अगस्त को सिस्टर लुसी कलापुरा को निष्कासित कर दिया था। एफसीसी के प्रमुख अन्न जोसेफ की तरफ से इस संबंध में पत्र जारी किया गया था।
कांग्रेगेशन ने सिस्टर लुसी पर अपनी कविताएं प्रकाशित कराने, कार खरीदने और दुष्कर्म के आरोपित जालंधर डायोसिस के पूर्व बिशप के खिलाफ प्रदर्शन में भाग लेने समेत कई आरोप लगाए थे। वहीं सिस्टर लुसी की मानें तो इनमें से कई आरोप फर्जी हैं। उनमें उनकी कोई भागेदारी नहीं थी। कांग्रेगेशन ने कहा कि सिस्टर लुसी को उनके किए पर पश्चाताप करने के लिए कहा गया था लेकिन उन्होंने नहीं किया। इसलिए 11 मई को धर्मसभा की आम परिषद की बैठक में कलाप्पुरा को ‘सर्वसम्मति’ से बर्खास्त करने का फैसला किया गया। कलाप्पुरा को जनवरी में जारी नोटिस में एफसीसी ने ड्राइविंग लाइसेंस लेने, कार खरीदने, ऋण लेने, किताब प्रकाशित करने और वरिष्ठों की जानकारी के बिना धन खर्च करने के नियमों का उल्लंघन करने का दोषी पाया गया था।
चर्च के पदाधिकारियों का कहना है कि वेटिकन ने नन की याचिका खारिज कर दी है लेकिन उन्हें एक बार और अपील करने का मौका दिया जाएगा। अगर यह भी खारिज हुआ तो उन्हें कांग्रेगेशन से हमेशा के लिए अलग कर दिया जाएगा।
चर्च के बिशप के खिलाफ विरोध कर चुकी हैं सिस्टर लुसी
यहां आपको बता दें कि ये वही केरल की नन है जो रेप के आरोपी बिशप फ्रैंको मुलक्कल के खिलाफ हुए कोच्ची के एक प्रदर्शन में शामिल हुई थीं। जिसके बाद उन्हें चर्च के पदाधिकारियों ने अपने निशाने पर ले लिया था। इस विरोध प्रदर्शन पर चर्च के पदाधिकारियों ने उन्हें नोटिस भी जारी की थी, जिस पर उन्होंने कहा- ‘उन्हें कोच्चि के विरोध प्रदर्शन में जाने का कोई पछतावा नहीं है। मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है। अगर ननों द्वारा कोई और विरोध प्रदर्शन होता है तो मैं उसमें भी शामिल होऊंगी।’
बता दें कि पिछले साल जालंधर के बिशप फ्रैंको मुलक्कल को केरल पुलिस ने गिरफ्तार किया था। बिशप फ्रैंको मुलक्कल पर 2014 से 2016 के बीच एक नन के साथ कई बार रेप करने का आरोप लगा था। पुलिस ने पिछले वर्ष जुलाई में बिशप फ्रैंको मुलक्कल के खिलाफ केरल के कोट्टायम में रेप और यौन शोषण की शिकायत दर्ज की थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि जालंधर के बिशप काम के सिलसिले में अक्सर केरल आते-जाते रहते थे। इस दौरान उन्होंने कई बार एक नन के साथ रेप की वारदात को अंजाम दिया। बिशप मुलक्कल ने इन सभी आरोपों से इनकार किया था।
वेटिकन की दोषी पादरियों पर चुप्पी, आखिर क्यों?
देशभर के चर्चों में धर्म परिवर्तन कराने के साथ-साथ पादरियों का घिनौना व्यवहार अब खुलकर सामने आ रहा है। इस पर जब कोई नन विरोध करती है तो उसे चर्च से बाहर का रास्ता दिखाया जाता है। वहीं आरोपी बिशप व पदाधिकारी पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती। ईसाइयों का मठ कहे जाने वाले वेटिकन सिटी का भी व्यवहार बेहद शर्मनाक है। एक रेप के आरोपी का विरोध करने वाली नन को किसी वित्तीय हेराफेरी के मामले का हवाला देकर चर्च से बाहर किया जाता है वहीं बिशप मुलक्कल पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है, क्या यह वेटिकन का दोहरा मापदंड नहीं है?