बांग्लादेश, भारत के सबसे अहम पड़ोसियों में से एक! आज़ादी के बाद से इस देश ने सिर्फ त्रासदियों को ही देखा है। वर्ष 1971 में जब यह देश पाकिस्तान से आज़ाद हुआ था तो भयंकर गरीबी से जूझ रहा था, और आज भी इस देश के लिए समस्याएँ कुछ कम नहीं हुई हैं। आज यह देश दुनिया की सबसे बड़ी शरणार्थी समस्या से जूझ रहा है और अभी साढ़े सात लाख रोहिंग्या मुसलमान पड़ोसी म्यांमार से आकर यहां बसे हुए हैं। हालांकि, वैश्विक पटल पर सिर्फ नकारात्मकता के लिए बदनाम बांग्लादेश आज आर्थिक मोर्चे पर कामयाबी की नई कहानी लिखता जा रहा है। बांग्लादेश बहुत तेज़ी से आर्थिक विकास करता जा रहा है और इसका सबसे बड़ा श्रेय बांग्लादेश के मैनुफेक्चुरिंग सेक्टर और खासकर के टेक्सटाइल सेक्टर को जाता है। इतना ही नहीं, विदेशों से पैसा भेजने वाले बांग्लादेशियों की संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है।
बांग्लादेश में अभी शेख-हसीना की सरकार है, और उन्होंने अपने राज के दौरान औद्योगीकरण पर खूब फोकस किया है। इतना ही नहीं, वे देश के विकास में तकनीक की भूमिका को भी बड़ा अहम मानती हैं। यही कारण है कि वर्ष 2009 में शेख हसीना ने डिजिटल बांग्लादेश लॉन्च किया था ताकि टेक्नॉलजी को बढ़ावा दिया जा सके, और इसका बड़े पैमाने पर असर देखने को भी मिला है। बांग्लादेश की राजधानी ढाका में टेक्नॉलजी सेक्टर लगातार पांव पसारता जा रहा है खास बात यह है कि बांग्लादेश टेक्नॉलजी सेक्टर में विकास के लिए अपने पड़ोसी भारत का ही अनुसरण करना चाहता है।
बांग्लादेश में बड़ी संख्या में उद्योग स्थापित होते जा रहे हैं और इसके कारण लोगों को रोजगार मिलने की संभावनाओं में वृद्धि देखने को मिली है। वर्ल्ड बैंक के सबसे नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक बांग्लादेश के इंडस्ट्री सेक्टर ने पिछले वर्ष लगभग 10 प्रतिशत की दर से विकास किया, जबकि बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था ने इस दौरान लगभग 7 प्रतिशत की रफ्तार से विकास किया। बता दें कि उद्योग क्षेत्र अभी बांग्लादेश में 21 प्रतिशत लोगों को रोजगार प्रदान करता है, जबकि सर्विस सेक्टर लगभग 40 प्रतिशत लोगों को रोजगार प्रदान करता है।
बंगालदेश का कपड़ा क्षेत्र पूरी दुनिया में मशहूर है और अल्पविकसित अर्थव्यवस्था होने के नाते बांग्लादेश को कई सहूलियत प्राप्त हैं, जिसके कारण इस देश को अपना कपड़ा एक्सपोर्ट करने में आसानी होती है। इसी वजह से बांग्लादेश में बनने वाले कपड़ों का निर्यात सालाना 15 से 17 फ़ीसदी की दर से आगे बढ़ रहा है। 2018 में जून महीने तक कपड़ों का निर्यात 36.7 अरब डॉलर तक पहुंच गया। हसीना का लक्ष्य है कि 2019 तक इसे 39 अरब डॉलर तक पहुंचाया जाए और 2021 में बांग्लादेश जब अपनी 50वीं वर्षगांठ मनाए तो यह आंकड़ा 50 अरब डॉलर तक पहुंच जाए।
इसके अलावा बांग्लादेश दवाओं के उत्पादन में भी भारत को टक्कर देना चाहता है। इसी सपने को पूरा करने के लिए बांग्लादेश की सरकार देश भर में 100 विशेष आर्थिक क्षेत्रों का नेटवर्क तैयार करना चाहती है। इनमें से 11 बनकर तैयार भी हो चुके हैं और 79 पर अभी काम चल रहा है। बता दें कि बांग्लादेश जेनरिक दवाइयों के उत्पादन में दूसरा सबसे बड़ा देश बन गया है और 60 देशों में इन दवाइयों का निर्यात कर रहा है।
बांग्लादेश के इस तेज आर्थिक विकास का ही कारण है कि वर्ष 2024 तक यूएन बांग्लादेश को अल्पविकसित देशों की सूची से निकालकर विकासशील देशों की सूची में डालने पर विचार कर रहा है। यूएन की इस पहल पर शेख हसीना ने एक इंटरव्यू में कहा था, ”अल्पविकसित श्रेणी से बाहर निकलना हमारे आत्मविश्वास और उम्मीदों की मज़बूती के लिए बहुत ख़ास है। यह न केवल नेताओं के लिए बल्कि यहां के नागरिकों के लिए भी अच्छा है। अगर आप निचले दर्जे में रहते हैं तो प्रोजेक्ट और प्रोग्राम पर बातचीत भी उन्हीं की शर्तों के हिसाब से होती है। ऐसे में आप दूसरों की दया पर ज़्यादा निर्भर करते हैं। एक बार जब आप उस श्रेणी से बाहर निकल जाते हैं तो किसी दया की नहीं बल्कि अपनी क्षमता के दम पर आगे बढ़ते हैं”।
सबसे बड़ी बात यह है कि शेख हसीना लंबे समय के लिए विकास पर फोकस रख रही हैं और वे इस बड़ी आर्थिक विकास दर को कई सालों तक मेनटेन करना चाहती हैं। एशियन निक्केई रिव्यू को दिए एक इंटरव्यू में शेख हसीना ने कहा था, ”अगले पाँच सालों में हमलोग उम्मीद करते हैं कि वृद्धि दर 9 फ़ीसदी रहेगी और 2021 में 10 फ़ीसदी तक जाएगी। मैं हमेशा ऊंची दर का अनुमान लगाती हूं।”
यानि भविष्य में भी बांग्लादेश अपने इसी विकास दर को बनाए रखना चाहता है, हालांकि अभी बांग्लादेश को इसके लिए कुछ क्षेत्रों पर फोकस करने की आवश्यकता है। उदाहरण के तौर पर ‘इज़ ऑफ डूइंग बिजनेस’ की रैंक में बांग्लादेश बहुत पिछड़ा हुआ है। इसके अलावा अगर टेक्सटाइल को छोड़ दिया जाए तो अन्य सेक्टर इस देश में विकास नहीं कर रहे हैं। वहीं, देश में इनफ्रास्ट्रक्चर भी उतना विकसित नहीं है। लेकिन फिर भी बांग्लादेश ने बहुत थोड़े समय में जो उपलब्धि हासिल की है, वह सराहनीय है और भारत समेत अन्य दक्षिण एशियाई देशों को इस देश से बहुत कुछ सीखने की ज़रूरत है।