पिछले एक आधे माह से जेएनयू के छात्रों ने हॉस्टल फ़ीस में वृद्धि के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने सुविधाओं में सुधार लाने लिए सिंगल सीटर हॉस्टल का रूम रेंट 20 रुपये से बढ़ाकर 600 रुपये कर दिया है। वहीं डबल सीटर रूम का रेंट दस रुपये से बढ़ाकर 300 रुपये कर दिया है। ये पहले की अपेक्षा 3000 पर्सेंट ज्यादा है। इसके अलावा प्रशासन ने प्रतिमाह 1700 रुपये का सर्विस चार्ज भी लागू किया है। प्रदर्शनकारियों ने मांग की है कि 2740 से 30100 प्रतिवर्ष की 999 प्रतिशत बढ़ोत्तरी को तुरंत वापस लिया जाये”।
This highest partiality & cruel …. In India colleges are charging poor people for Lakhs and many poor people can't able to continue schools other side Govt wasting hundreds Cores for JNU Free Loaders #ShutDownJNU @PMOIndia @narendramodi … All State Govt must look this … pic.twitter.com/nQ1UwilZE8
— hari(மோடி குடும்பம்) (@harikrisnan_) November 12, 2019
इससे यह स्पष्ट होता है कि जेएनयू के विद्यार्थी काफी मामूली शुल्क पर कैम्पस में रह रहे थे और प्रशासन ने स्थिति और कैम्पस में सुधार लाने के लिए फ़ीस में बढ़ोत्तरी की है। दिल्ली के एक पॉश इलाके में केवल 10 रुपये प्रतिमाह रहने की सुविधा केवल जेएनयू वाले ही उठा सकते थे।
इतनी सस्ती फ़ीस के कारण कई विद्यार्थियों ने इस विश्वविद्यालय में एक दशक से भी ज़्यादा समय बिताया है। कई विद्यार्थी दो दो बार मास्टर्स की डिग्री करते हैं, पीएचडी पूरी करने हेतु 7 से 8 साल लेते हैं, जिससे वे जेएनयू में ज़्यादा से ज़्यादा समय बिता सकें। चूंकि कैंटीन का भोजन एवं हॉस्टल फ़ीस काफी सस्ता है, इसलिए कोई भी जेएनयू में एक महीना केवल 5000 रुपये प्रतिमाह में भी बिता सकता है। अगर कोई वीकेंड पर भी खाली काम करे, तो भी उस व्यक्ति को अपने गार्जियन से दक्षिण दिल्ली में स्थित इस कैम्पस में रहने के लिए अतिरिक्त धन नहीं चाहिए।
Delhi: Students of JNU continue to protest over different issues including fee hike. Rent for student single room hiked from Rs 10 to Rs 300, rent for student double room hiked from Rs 20 to Rs 600, one-time refundable mess security deposit hiked from Rs 5,500 to Rs 12,000. pic.twitter.com/xFliGWxPPy
— ANI (@ANI) November 11, 2019
परंतु यही एक कारण नहीं है कि प्रदर्शनकारियों ने जेएनयू में आजकल अराजकता का माहौल पैदा किया है। दरअसल, उनके निशाने पर जेएनयू के वर्तमान उप कुलपति, प्रोफेसर एम जगदीश कुमार हैं, जिन्होंने अपने आगमन से जेएनयू में अराजकता पर नकेल कसने के लिए अपनी कमर कस चुके हैं। उदाहरण के लिए उन्होंने छात्रों को रात 11 बजे के बाद परिसर से बाहर जाने में रोक लगा दी थी और हॉस्टल के टाइम को तय करते हुए हॉस्टल में ड्रेस कोड लागू करने की भी बात की थी। अब जिन्होंने वर्षों से अनुशासन का ‘अ’ भी न सीखा हो, उन्हें एक व्यक्ति उसी पथ पर ले जाये तो इससे अच्छा भला क्या हो सकता है?
इन प्रदर्शनकारियों के कारण विश्वविद्यालय के प्रशासन को ही नहीं, बल्कि इस विश्वविद्यालय के आम छात्रों और इस विश्वविद्यालय में आने वाले अतिथियों को भी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जब विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में प्रदर्शनकारियों उपराष्ट्रपति के कार्यक्रम में बाधा डालने की कोशिश की, तो पास ही में स्थित AICTE के भवन में इसे स्थानांतरित करा दिया गया। परंतु प्रदर्शनकारियों को इसकी भनक लगी, और उन्होंने तुरंत अपना प्रदर्शन AICTE भवन में शिफ्ट किया। उनके कारण न केवल एचआरडी मिनिस्टर रमेश पोखरियाल निशंक 6 घंटे तक फंसे रहे, अपितु कई विदेशी विद्यार्थियों को अपनी फ्लाइट इस कारण से मिस करनी पड़ी।
इस तरह की अवैध गतिविधियां अब जेएनयू में आम बात बन चुकी हैं। राष्ट्र विरोधी नारों से लेकर ड्रग्स, ट्रैफ़िकिंग इत्यादि, घंटों तक उप कुलपति एवं शिक्षकों को बंधक बनाना, ये अब जेएनयू की वर्तमान दिनचर्या बन गयी है।
कुछ दशकों पहले तक देश के अग्रणी विश्वविद्यालयों में गिनी जाने वाली इलाहाबाद विश्वविद्यालय अब अवैध गतिविधियों का केंद्र बन चुकी है। यहाँ बम बनाना, गुंडागर्दी, हत्या इत्यादि अब आम बात हो चुकी है। हालांकि प्रशासन ने हाल में सक्रियता दिखाते हुए पुलिस को विश्वविद्यालय के परिसर में घुसने की अनुमति दे दी है, जिसके कारण इन अवैध गतिविधियों में काफी कमी आयी है। मौजूदा समय में पुलिस के साथ साथ पीएसी और आरएएफ की भी कड़ी नजर रहती है जिससे की विश्वविद्यालय का माहौल खराब न हो। अराजकता में संलिप्त पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई भी की जाती है। इसी प्रकार से बीएचयू भी पुलिस फोर्स एवं पीएसी का उपयोग कर विद्यार्थियों द्वारा अवैध गतिविधियों पर रोक लगाने में सफल रही है।
यही हाल बिहार की राजधानी पटना स्थित अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज की एक समय थी। कैंपस में छात्राओं से छेड़खानी, गुंडागर्दी आम बात हो गई थी, लेकिन पुलिस प्रशासन की कड़ाई ने वहां की अराजकता की कमर तोड़कर रख दी। बता दें कि यहां कैंपस के अंदर ही थाना है इसी वजह आज अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज की तस्वीर बदल गई, वहां अब शांति व्यवस्था है, छात्र पढ़ाई पर ध्यान देते हैं।
अगर यही फॉर्मूला, सरकार जेएनयू कैंपस में भी लागू कर दें यानि कैंपस की निगरानी रखने के लिए अर्धसैनिक बलों की तैनाती कर दी जाए तो इनकी फालतू की गतिविधियों पर लगाम लगाई जा सकती है। ऐसा कई विश्वविद्यालयों की सुधरी तस्वीर कहती है हम नहीं।
वामपंथी विचारधारा के विद्यार्थियों के लिए जेएनयू किसी स्वर्ग से कम नहीं रहा है। अभिव्यक्ति की निर्बांध स्वतन्त्रता इस स्थान पर प्रचुर मात्र में पाये जाने का दावा किया जाता है। परंतु अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता का दुरुपयोग करने के लिए बदनाम जेएनयू के अराजक छात्रों पर अब प्रशासन सख्त होने के लिए कमर कस चुकी है, जो निस्संदेह जेएनयू में अराजकतावादियों और असामाजिक तत्वों के लिए एक शुभ संकेत नहीं है। जरूरत है कि जेएनयू में प्रशासन और मजबूत की जाए।