अपनी फेक न्यूज़ ब्रिगेड एक बार फिर झूठ फैलाते हुए रंगे हाथ पकड़ी गयी। इस बार इन सभी ने अपने निशाने पर योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश की सरकार को लिया, और ये झूठ फैलाने लगे कि सरकार ने हाल ही में अयोध्या में आयोजित दीपोत्सव में अत्यधिक खर्चा किया था। 25-26 अक्टूबर को पिछले दो वर्षों की भांति इस वर्ष भी प्रभु राम की नगरी अयोध्या में धूम धाम से दीपावली से पूर्व दीपोत्सव का आयोजन किया। 5.5 लाख से भी ज़्यादा दीप [दिये] एक साथ जलाकर इस दीपोत्सव ने पुनः एक विश्व रिकॉर्ड स्थापित किया। फिजी की डिप्टी स्पीकर वीना भटनागर ने दीपोत्सव से पूर्व श्री राम के जीवन पर आधारित 11 झांकियों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। अयोध्या के रामकथा पार्क तक निकलने वाली इन झांकियों का जगह-जगह स्वागत हुआ। इन 11 झांकियों में भगवान श्री राम के सम्पूर्ण जीवन का वृतांत है।
भारत के अनेक राज्यों से आई विभिन्न रामलीला समितियों द्वारा रचित इन झांकियों पर भगवान श्रीराम और रामायण के 11 अहम प्रसंगों को प्रस्तुत किया गया। दीपोत्सव की शोभा बढ़ाने वाली इन झांकियों को निकालने के पीछे भगवान के चरित्र को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास माना जा रहा है। परंतु किसी सनातनी त्योहार का महिमामंडन हो, और वो हमारे बुद्धिजीवियों को रास आ जाये, ऐसा भला हुआ है क्या?
जब पटाखों को लेकर केंद्र सरकार को बुद्धिजीवी एवं फेक न्यूज़ ब्रिगेड घेरने में असफल रहे, तो इन सभी ने योगी सरकार को घेरने हेतु ये फेक न्यूज़ फैलाया कि इस बार दीपोत्सव के आयोजन हेतु 133 करोड़ खर्च किए गए हैं। यदि विश्वास नहीं होता तो यह देख लीजिये –
शायद इन्होंने ध्यान से यूपी सरकार का प्रेस रिलीज़ पढ़ने का कष्ट नहीं किया होगा। सरकार द्वारा जारी प्रेस रिलीज़ में साफ लिखा था कि दीपोत्सव एक राजकीय इवेंट होगा, जिसपर 1.32 करोड़ रुपये खर्च होंगे, न कि 133 करोड़ रुपये, जैसा कि फेक न्यूज़ ब्रिगेड पिछले कुछ दिनों से भ्रम फैलाना चाह रही है –
सत्य तो यह है कि अयोध्या में होने वाले ‘दीपोत्सव’ कार्यक्रम का खर्च पहले उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग उठाने वाला था, लेकिन अब राज्य सरकार जिला प्रशासन के माध्यम से सीधे समारोह के लिए धनराशि देगी। सरकारी प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा के अनुसार दीपोत्सव अब पूर्णतया एक सरकारी कार्यक्रम होगा। इसके अलावा उन्होंने ये भी बताया कि इस वर्ष के ‘दीपोत्सव’ के लिए 1.33 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गयी है, जिसके अंतर्गत 26 अक्टूबर को 5.51 लाख से अधिक ‘दीये’ जलाए जाएंगे। चूंकि ‘दीपोत्सव’ अब एक राज्य-प्रायोजित कार्यक्रम है, इसलिए आयोजन पर खर्च होने वाले धन का मानदंडों के अनुसार ऑडिट किया जाएगा।
परंतु हमारे फेक न्यूज़ ब्रिगेड के लिए तो उनके एजेंडा का प्रचार सर्वोपरि था। इस फेक न्यूज़ को बढ़ावा देने में द लॉजिकल इंडियन जैसे वेबसाइट से लेकर आउटलुक, द इंडियन एक्सप्रेस जैसे चर्चित न्यूज़ पोर्टल तक लगे हुए थे। परंतु बात यहीं पर नहीं रुकी। अपनी कुत्सित मानसिकता का प्रदर्शन करते हुए कुछ लेफ्ट लिबरल्स ने एक फोटो को लेकर भ्रामक खबरें फैलानी शुरू कर दी –
Paanch laakh jalte diyon se bhi nahin mita andhera,
Koi samjhdaar suraj ugey to ye andhera mitey. #MuddaScope #diwali #ayodhya pic.twitter.com/xXJ5Tbx59E— Manoj Yadav (@manojkikalam) October 30, 2019
20,000 litre oil used to light up 500,000 earthen lamps in Ayodhya. Total cost: 133 crores. Here a poor girl trying to collect a little oil from these diyas to take home. Look at the fear in her eyes. Is this our idea of Ram Rajya? pic.twitter.com/5ysbGDTjwS
— Rahul Pandita (@rahulpandita) October 29, 2019
https://twitter.com/NurulHa50801041/status/1189871272873717762
इस फोटो में एक लड़की दीपों का बचा हुआ तेल इकट्ठा करती हुई दिखाई दे रहे हैं। हिन्दू विरोधी बुद्धिजीवियों को मानो इस फोटो में एक सुनहरा अवसर दिख गया, और उन्होंने तुरंत इस पर योगी सरकार को निशाने पर लेते हुए दीपावली का मज़ाक उड़ाना शुरू कर दिया। परंतु उनकी दाल यहाँ नहीं गली और उनके एजेंडावादी प्रोपेगंडा के लिए सोशल मीडिया के कई यूजर्स ने उन्हें आड़े हाथों लिया –
Instead he should be asked – @rahulpandita when you captured the poor girl collecting oil from diya and saw that fear in her eyes, what did you do?
Did you buy her a bottle of oil or some food?
Did you try to make her Diwali better?
Did your communism not teach you this?— Shibya Pandey (@PandeyShivya) October 31, 2019
https://twitter.com/consist3r/status/1189770683204562944
FTM every poor might have lit at least one diya on diwali. It's not about crores, It's about happiness that something good will happen.
Regarding that girl in the pic, she is perhaps scared of being clicked and shamed. If she had asked, someone wud have obliged to give her.— Dipendra Lal (@dipendralal) October 29, 2019
गौरतलब है कि इस दीपोत्सव ने सभी को एकजुट किया साथ ही इस आयोजन से शर में पर्यटन को बढ़ावा भी मिला। यही नहीं फिर भव्य आयोजन की तैयारी में दीयों, तेल और अन्य सामग्रियां जो खरीदी गयीं उससे स्थानीय स्थानीय दुकानदारों और विक्रेताओं को काफी मात्रा में लाभ भी हुआ। मतलब यह है कि इस उत्सव का आर्थिक महत्व भी है जिसे अनदेखा किया गया हिन्दुओं के त्योहार की निंदा करना और उसका अपमान करना तो कुछ बुद्धिजीवियों की आदत बन गयी है, परन्तु जिस तरह से एक स्पष्ट विचारधारा की सरकार को घेरने के लिए फेक न्यूज़ को फैलाया जा रहा है, और एक निश्चित एजेंडा का प्रचार किया जा रहा है, वो न केवल चिंताजनक है, अपितु हमारी जनता के लिए हानिकारक भी है। ऐसे समय में जनता को जागरूक रहने और ऐसे भ्रामक खबरों से सतर्क रहने की सख्त आवश्यकता भी है।