पाकिस्तान को लिस्ट से बाहर फेंक IMF ने भारत को कहा ‘Growth का इंजन’

(PC: Postcard news )

दक्षिण भारत के वैश्विक विकास का नेतृत्व करने की क्षमता पर प्रकाश डालते हुए IMF ने हाल ही में एक लेख प्रकाशित किया है, जिसका शीर्षक है ‘क्या दक्षिण एशिया टेकऑफ के लिए तैयार है? एक परिपक्व और समावेशी ग्लोबल एजेंडा’। IMF द्वारा हाल ही में प्रकाशित इस लेख के अनुसार भारत के नेतृत्व में दक्षिण एशिया वैश्विक विकास के केंद्र के तौर पर उभर रहा है, और 2040 तक इसका वैश्विक विकास में योगदान एक तिहाई हो जाएगा। IMF के भौगोलिक डिविजन के अनुसार दक्षिण एशिया में भारत के अलावा बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका, भूटान एवं मालदीव हैं, और रोचक बात तो यह है की इस डिविजन में पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान शामिल नहीं हैं!

IMF के इस पत्र के अनुसार इस लक्ष्य की प्राप्ति हेतु इस क्षेत्र को अपनी जनसंख्या का सदुपयोग करना पड़ेगा। दक्षिण एशिया 2040 तक वैश्विक विकास में एक तिहाई योगदान दे पाएगा, यदि उदारीकरण को सही से क्षेत्र में लागू कर क्षेत्र की विशाल युवा पीढ़ी को उचित अवसर प्रदान किया जाए। रिपोर्ट के प्रकाशित होने से पहले IMF की एशिया एवं पैसिफिक विभाग की डिप्टी डाइरेक्टर एन्न मैरी गुल्डे वुल्फ़ ने कहा, “विकास का जो पैमाना हमें दिखाई दे रहा है और एशिया में जो विकास हम देख रहे हैं, उससे हमें समझ में आ रहा है की दक्षिण एशिया वैश्विक विकास के केंद्र के रूप में उभर कर सामने आ रहा है। इस क्षेत्र [दक्षिण एशिया] के विकास में अभी काफी वृद्धि देखि गयी है”। भारत के बारे में बात करते हुए उन्होने बताया,  “इस देश के पास एक शानदार शैक्षणिक व्यवस्था है जो उच्च मूल्यों से निर्मित है। तो किसी भी स्थिति में कोई नीति इस गुण को धूमिल न कर पाये”।

उन्होने यह भी कहा की भारत को औद्योगिक क्षेत्र में अपनी ताकत बढ़नी होगी, जहां भारत अपने विकास दर की वृद्धि के दर के हिसाब से थोड़ा पीछे चल रही है। उनके अनुसार निजी क्षेत्र को साथ में लाने से औद्योगिक बेस बढ़ाया जा सकता है। उन्होने प्राथमिक और सेकेंडरी शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान देने की बात भी कही। इतना ही नहीं, उन्होने ये भी बताया कि कैसे राज्य को वित्तीय क्षेत्र में अपनी हिस्सेदारी कम करनी होगी।

यहाँ ये बताना आवश्यक है कि दक्षिण एशिया की क्षमता अनंत है, जिसका सदुपयोग इसे कई ऊंचाइयों तक ले जा सकता है। यदि क्षेत्रीय व्यापार में वृद्धि होती है, तो दक्षिण एशिया को इससे काफी फ़ायदा हो सकता है। पिछले वर्ष वर्ल्ड बैंक द्वारा जारी रिपोर्ट ‘अ ग्लास हाफ फुल – दक्षिण एशिया के क्षेत्रीय व्यापार की क्षमता’ के अनुसार क्षेत्रीय व्यापार में घनिष्ठता एवं कनेक्टिविटी से भारत का व्यापार उसके दक्षिण एशियाई पड़ोसियों के साथ तीन गुना बढ़ सकता है।

अपने दक्षिण एशियाई पड़ोसियों के साथ भारत का वर्तमान व्यापार $ 19 बिलियन है, जो संभावित स्तर से 43 बिलियन डॉलर नीचे है और वैश्विक व्यापार का केवल 3 प्रतिशत है। क्षेत्रीय मुक्त व्यापार समझौता, SAFTA असफल सिद्ध हुआ और दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय व्यापार कभी भी अपनी क्षमता का सदुपयोग नहीं कर सका। हालांकि, आईएमएफ ने यह स्पष्ट कर दिया कि दक्षिण एशिया में , पाकिस्तान को छोड़कर, इस क्षेत्र में विकास की विराट संभावनाएं हैं, और ऐसा कोई कारण नहीं है कि दक्षिण एशिया को व्यापार टैरिफ और अन्य व्यापार बाधाओं के आधार पर एक प्रमुख व्यापारिक ब्लॉक बनाने का प्रयास नहीं करना चाहिए।

भारत दुनिया की एक प्रमुख व्यापारिक शक्ति के रूप में उभरने के लिए तैयार है। भारत ने हाल ही में RCEP डील पर साइन करने भी मना कर दिया है जो आगे चलकर भारत के आर्थिक हितों की रक्षा करेगा। वहीं भारत ने वर्ष 2024 तक 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बनाने का भी लक्ष्य निर्धारित किया है। ऐसे में अब भारत तेजी से विकास करने की नीति पर काम कर रहा है जिसपर IMF ने भी अपनी मुहर लगाई है।

 

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