“हम भारत के खिलाफ कुछ नहीं करेंगे” Modiplomacy ने भारत विरोधी गोटाबाया को चुटकी में किया अपने पाले में

श्रीलंका के चुनावों में दरअसल गोटाबाया राजपक्षा को जीत मिली थी, जो कि श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षा के छोटे भाई हैं और वे श्रीलंका के रक्षा मंत्री भी रह चुके हैं।

(PC : Ada Derana)

पिछले हफ्ते ही भारत के पड़ोस, श्रीलंका में चुनाव समाप्त हुए थे और चुनावी नतीजों में उस शख्स को जीत मिली थी, जिसे आमतौर पर चीन का समर्थक और भारत का विरोधी माना जाता है। श्रीलंका के चुनावों में दरअसल गोटाबाया राजपक्षा को जीत मिली थी, जो कि श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षा के छोटे भाई हैं और वे श्रीलंका के रक्षा मंत्री भी रह चुके हैं। उनके राष्ट्रपति बनने के बाद से ही भारत में यह चर्चा चल रही है कि क्या वे भारत के हितों को दरकिनार करते हुए चीन की कठपुतली की तरह बर्ताव करेंगे? यह सवाल उठना इसलिए भी जायज़ है क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में गोटाबाया काफी भारत-विरोधी बयान दे चुके हैं, और वे एक बार तो भारत सरकार पर उनकी पार्टी के खिलाफ काम करने के आरोप भी लगा चुके हैं। हालांकि, अब एक इंटरव्यू के जरिये गोटाबाया ने ऐसे सभी अटकलों पर विराम लगा दिया है। उन्होंने हाल ही एक अपने इंटरव्यू में यह साफ कर दिया है कि वे भारत के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाने वाले हैं। उनका यह बयान भारतीय कूटनीति के लिए बड़ी जीत मानी जा रही है।

दरअसल, श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने कहा है कि उनका देश ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं हो सकता, जिससे भारत की सुरक्षा को खतरा हो और वे भारतीय चिंताओं के महत्व को समझते हैं। स्ट्रेटेजिक न्यूज इंटरनेशनल के साथ एक साक्षात्कार में राजपक्षे ने कहा कि वे ऐसा कुछ नहीं करेंगे, जिससे भारत के सुरक्षा हितों को नुकसान पहुंचे। उन्होंने भारत से निवेश, शिक्षा और प्रौद्योगिकी के विकास के ज़रिए श्रीलंका को मदद देने का अनुरोध किया। बता दें कि उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब वे 29 और 30 नवंबर को भारत दौरे पर आने वाले हैं। उनके इस भारत के पक्ष में बयानबाजी के पीछे भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की बड़ी भूमिका मानी जा रही है, क्योंकि गोटाबाया के राष्ट्रपति बनने के बाद वे सबसे पहले श्रीलंका की यात्रा पर गए थे।

भारत की यह तत्पर कूटनीतिक चाल इसलिए सबसे महत्वपूर्ण थी क्योंकि गोटाबाया को आमतौर पर भारत-विरोधी समझा जाता है। गोटाबाया ने पूर्व में ऐसे भारत विरोधी बयान दिये हैं जिसके कारण भारत में कुछ लोगों को यह डर था कि अगर वे राष्ट्रपति बनते हैं तो वे भारत के हितों के खिलाफ और चीन के हितों के लिए काम कर सकते हैं। लेकिन जिस तरह भारत सरकार पिछले एक साल से राजपक्षा परिवार से संबंध बढ़ा रही थी, और जिस तरह उनकी जीत के बाद भारत सरकार उनके साथ कूटनीति को आगे बढ़ा रही है, यह वाकई प्रशंसनीय है।

बता दें कि पिछले कुछ सालों में भारत और राजपक्षा परिवार के रिश्ते लगातार खराब होते जा रहे थे। इसका एक उदाहरण हमें तब देखने को मिलता है जब वर्ष 2015 में महिंदा ने भारत सरकार पर यह आरोप लगाया कि उन्हें हराने में भारत सरकार का बड़ा योगदान है। इसके बाद वर्ष 2018 में यानि पिछले ही वर्ष गोटाबाया ने भारत पर आरोप लगाया कि राजपक्षा परिवार के खिलाफ भारत सरकार का विशेष द्वेष है।

हालांकि, गोटाबाया से ही जुड़े सूत्रों ने अब बताया है कि पिछले एक साल में उन्हें भारत सरकार के रुख में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। उनके सूत्रों के अनुसार ‘अब भारत सरकार के रुख में बड़ा बदलाव आया है। पहले कोलंबो में मौजूद भारतीय अधिकारी हमसे मिलने में आनाकानी करते थे, लेकिन अब हमारे बीच मधुर संबंध है। हम अभी भी उसी नीति का पालन करेंगे, जिसका हम पहले करते थे, और वह नीति है कि चीन हमारा व्यापारिक साझेदार है, जबकि भारत एक रिश्तेदार है’। यानि जहां भारत सरकार ने गोटाबाया से चुनावों से पहले रिश्ते मधुर करने की दिशा में कई कदम उठाए, तो वहीं उनकी जीत के बाद भी भारतीय विदेश मंत्रालय उनके साथ बड़ी तेज़ी से कूटनीति को आगे बढ़ा रहा है।

 

Exit mobile version