बदलाव, भारतीयों को पसंद नहीं है। हम भारतीयों की यह आदत है कि हम पुराने तौर-तरीकों तक ही सिमट कर रहना चाहते हैं और इसीलिए यह देखा गया है कि भारतीयों ने किसी भी नई तकनीक को अपनाने में बाकी दुनिया से ज़्यादा समय लगाया है। हालांकि, वर्ष 2014 के बाद से हमने ठीक इसके उलट होते देखा है। पारंपरिक नकद भुगतान से हटकर UPI तकनीक को अपनाना हो, या अति-आधुनिक तकनीक वाले smartphones का इस्तेमाल हो, हर क्षेत्र में भारत के लोगों ने नई तकनीक को गले से लगाया है। ठीक इसी तरह भारत के लोगों ने पिछले कुछ वर्षों में पारंपरिक लाइट बल्ब को छोड़कर आधुनिक LED बल्ब्स को अपनाया है। LED बल्ब के इस्तेमाल से ना सिर्फ लोगों को बेहतर उजाले में जीने का अवसर प्राप्त हुआ बल्कि बिजली खर्च में भी भारी कटौती देखने को मिली। हालांकि, देश में इस उजाला क्रांति के सपने को धरातल पर उतारना इतना भी आसान नहीं था और इस सपने को पूरा करने में सरकार ने सबसे महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।
वर्ष 2014 में जब मोदी सरकार बनी तो गांवो-गांवों तक बिजली पहुंचाना केंद्र सरकार का एक प्रमुख एजेंडा था। इसके लिए सरकार ने कई योजनाएँ शुरू की। इसी कड़ी में मोदी सरकार ने वर्ष 2015 में दुनिया की सबसे बड़ी LED बल्ब वितरण योजना उजाला को लॉंच किया। इस योजना को सफल बनाने का जिम्मा बिजली मंत्री पीयूष गोयल को सौंपा गया। काम इतना आसान नहीं था। बाज़ार में उस वक्त एक LED बल्ब की कीमत 500 रुपए से ज़्यादा थी, और गरीब के लिए उसे खरीदना लगभग असंभव था। हालांकि, पीयूष गोयल के नेतृत्व में सरकार ने हार नहीं मानी और सरकारी कंपनी EESL (Energy Efficiency Services Limited) के माध्यम से सरकार ने LED बल्ब को लोगों को 75 से 100 रुपए के बीच की कीमत में उपलब्ध कराया। इसका यह नतीजा हुआ कि बाज़ार में मौजूद अन्य कंपनियों को LED बल्ब के दाम कम करने पड़े, जिससे इस योजना को और बल मिला।
उजाला योजना की सफलता का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 2015 से अब तक देशभर में 36.02 करोड़ एलईडी बल्ब वितरित किए जा चुके हैं। इतनी बड़ी संख्या में एलईडी बल्ब वितरण से सरकार को 18716 करोड़ रुपये की बचत हुई है। और इतना ही नहीं, इस योजना से पर्यावरण की जो रक्षा हुई है, वह अलग। इतनी बड़ी मात्रा में बिजली की बचत से कोयले से बनने वाली बिजली की मांग में कमी आई है जिसके कारण प्राकृतिक संसाधनों की भी बचत हुई है।
जैसा हमने आपको बताया, कि उजाला योजना की सफलता का श्रेय केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को ही जाता है। उन्होंने पिछली केंद्र सरकार में साल 2014 से 2017 तक बिजली, कोयला, नई और नवीकरणीय ऊर्जा विभाग में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) का पदभार संभाला था। इसी दौरान उन्हें ये ज़िम्मेदारी सौंपी गयी थी जिसे उन्होंने बखूबी निभाया। हालांकि, यह एक मात्र मंत्रालय नहीं है जहां उन्होंने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया हो। इसके बाद वर्ष 2017 में उन्हें रेल मंत्रालय का महत्वपूर्ण पदभार सौंपा गया था। और पिछले 2 वर्षों में जिस तरह हमें रेल ट्रांसपोर्ट क्षेत्र में नए-नए इनोवेशन्स देखने को मिले हैं, वे वाकई प्रशंसनीय हैं।
जिस तरह उन्होंने मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में देश के घर-घर तक LED पहुंचाने की चुनौती का सफलतापूर्वक सामना किया, ठीक उसी तरह अब वे रेलवे में भी LED क्रांति लाने की तैयारी में हैं। दरअसल, अब रेल मंत्रालय ने रेल कोच के अंदर रोशनी को बेहतर करने के लिए कदम उठाने शुरू कर दिये हैं जिसके तहत रेल कोच के अंदर लगे साधारण बल्ब और CFL लाइट्स को LED बल्ब से बदला जाएगा। इससे न सिर्फ यात्रियों को सहूलियत होगी, बल्कि बिजली की बचत से रेलवे को भी फायदा होगा। बता दें कि northeast frontier railway zone में पहले से ही कई स्टेशन्स पर लाइट्स को LED बल्ब से बदल दिया गया है, और अब रेलवे अन्य क्षेत्रों में भी LED बल्ब के इस्तेमाल को ही बढ़ावा देगा।
पीयूष गोयल केंद्र सरकार के ऐसे इकलौते मंत्री हैं जो जिस भी मंत्रालय का पदभार संभालते हैं, उस मंत्रालय पर अपनी छाप छोड़ जाते हैं। उजाला और उदय योजना के माध्यम से देश में कोने-कोने तक बिजली पहुंचाना हो, या फिर रेल मंत्रालय का पदभार संभालते हुए रेलवे के आधुनिकरण की दिशा में कदम उठाने हो, हर बार उन्होंने अपनी नेतृत्व क्षमता का परिचय दिया है। अब उनसे उम्मीद है कि वे भविष्य में भी ऐसे ही अपनी इनोवेटिव सोच के तहत जनता की भलाई के लिए जन-लाभकारी कदम उठाते रहेंगे।