Tution, Part Time Job, दुकान पर नौकरी करके पढ़ाई करने वाले सफल युवाओं से सीखें JNU के मुफ्तखोर

जेएनयू

कई दिनों से देश की राजधानी दिल्ली में छात्र बवाल कर रहे हैं और यह बवाल किसी और चीज के लिए नहीं बल्कि फीस बढ़ाए जाने के खिलाफ है। इसके केंद्र में है देश की सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय जवाहरलाल नेहरू विश्व विद्यालय यानि JNU। कुछ सप्ताह पहले प्रशासन ने फीस में बढ़ोतरी कर दी थी वह भी मामूली। मतलब जो नाममात्र की फीस लगती थी उसे जरा सा बढ़ा दिया गया था। इसके बाद तो जैसे JNU में भूकंप सा आ गया हो। कुछ अति उत्साही छात्र जो अपने लाल झंडे के सामने झुकने के लिए जाने जाते हैं, सभी ने मिल कर पूरे कैंपस में रायता फैला दिया। जगह-जगह लाल सलाम वाले नारे लिख दिये गए। सिर्फ इतना ही नहीं स्वामी विवेकानंद की मूर्ति जिसका अभी अनावरण भी नहीं हुआ था उसे क्षत-विक्षत कर उसके पाये में कई असंवेदनशील नारे लिख दिये गए। इसके बाद यह तमाशा रोड पर भी उतर गया और सड़क छाप यात्रा निकाली गई।

आखिर यह छात्र जो तमाशा कर रहे थे वे यह दलील दे रहे हैं कि JNU में गरीब छात्र पढ़ते हैं और इस तरह की फीस बढ़ोतरी से वे अपनी पढ़ाई आगे नहीं कर पाएंगे। कितना बचकाना है यह। देशभर में न जाने कितने गरीब छात्र पढ़ते हैं जिन्हें JNU जैसी न बोलने की सुविधा होती है न ही परिवार से खुली छूट होती जिससे वो धुआँ उड़ाते हुये पूरी जवानी कॉलेज में ही बिता दें। ये वही JNU है, जहां के छात्रों के रिसर्च विषयों को देख कर देश के किसी भी करदाता का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच जाएगा। इन रिसर्च विषयों में से कुछ का नाम बताने में भी शर्म आती है। सविता भाभी से लेकर मुगलों के समय में सेक्स-संबंध और DU के बच्चों के खाली समय पर ये JNU के कथित बुद्धिजीवी रिसर्च करते हैं और कहते हैं कि इन्हें भी हॉस्टल फ्री में चाहिए।

इस हंगामे के सामने आने के बाद कई लोगों को JNU के फीस का पता चला तो वे स्तब्ध ही रह गए। पहले एक छात्र मात्र 240 रुपये पढ़ाई के लिए विश्वविद्यालय को देते थे। लेकिन इन छात्रों को वह भी मंजूर नहीं है।

कॉलेज या यूनिवर्सिटी के दिनों में अधिकतर छात्रों को परेशानी होती है लेकिन इसका यह मतलब तो नहीं कि वह इस तरह से बदतमीजी करें और कॉलेज को लाल सलाम नारों से भर दें, मूर्ति तोड़ दें।

सोशल मीडिया के आने से ऐसे उपद्रवी छात्रों की पोल तो खुलती जा रही है पर अच्छे लोगों की कहानी भी सामने आ रही है। जेएनयू के इस प्रकरण के बाद कुछ ऐसे ही लोग सामने आएं हैं जिन्होंने अपने ग्रेजुएशन के दिनों में खुद के पैसे से कॉलेज की फीस और खुद का खर्चा भरा है।

इन्हीं लोगों में हैं एक ट्विटर यूजर, जो @AndColorPockeT नाम से ट्विटर अकाउंट चलाते हैं।

उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, “दोस्तों अगर अपने-अपने परिवार के असमर्थ होने पर पार्ट टाइम जॉब कर अपनी पढ़ाई की है तो अपनी कहानी यहाँ बताएं।”

बस फिर क्या था, इसके बाद तो लाइन लग गयी और यह थ्रेड बढ़ता ही गया। एक यूजर ने बताया कि जब वह पांच साल का था तब उनकी माँ गुज़र गयीं थीं और जब वह बारह वर्ष के थे तब उनके पिता गुजर गए और वह सोलह वर्ष की उम्र से कमा रहे हैं। वहीं The Frustrated Indian के CEO, अतुल मिश्रा ने बताया कि कॉलेज के दिनों में नेता वाले स्वभाव के कारण उन्हें एक सेमेस्टर के लिए सस्पेंड कर दिया गया था। जिसके बाद शर्म से उन्होंने घर से मिल रहे रुपयों को लेना बंद कर दिया और फिर टेक्नोलोजी से जुड़े विषयों पर लिखना शुरू किया। और देखते ही देखते वे भारत के प्रमुख टेक राइटरों में से एक बन गए।

ऐसे ही एक और यूजर ने बताया कि वह अपनी पढ़ाई के लिए बच्चों को ट्यूशन पढ़ाया करते थे। उन्होंने बताया कि ट्यूशन पढ़ने से उनका भी रिविज़न हो जाया करता था।

वहीं एक दूसरे यूजर पुलकित ने बताया कि वह अपने कॉलेज के दिनों में गेमिंग PC एकत्रित करके, आसइंमेंट लिख कर, और दूसरों को पढ़ाकर अपना खर्च चलाते थे। उनका भाई तो इससे से भी आगे निकला और यूनिवर्सिटी टॉप कर स्कॉलरशिप से जर्मनी पढ़ाई करने गया वह भी बिना परिवार पर बोझ बने।

https://twitter.com/Modern_Monk719/status/1196809448716505088?s=20

इसी तरह एक यूजर इंद्रेश ने बताया कि उन्होंने CA के फाइनल्स की तैयारी के समय बीकानेर के एक छोटे से दुकान में एकाउंटेंट की नौकरी की और उन्हें प्रतिमाह 5000 मिलते थे। अब वह अमेरिका में एक सफल CA हैं।

एक यूजर जोग माया ने बताया कि UG तक उनके उनके माता-पिता ने उनकी ट्यूशन फीस दी लेकिन फिर भी उन्होंने एक विदेशी एजुकेशनल सर्विस में नौकरी की और फिर अपने PG के लिए एजुकेशन लोन लिया।

वहीं एक अन्य यूजर आस्था ने लिखा कि सिंगल कामकाजी माँ की बेटी के नाते अपनी अंतरात्मा के आवाज पर उन्होंने 11 वीं कक्षा में अपना खुद का व्यवसाय शुरू किया। साथ ही उन्होंने TOI में पेड इनटर्न के रूप में भी काम किया।

https://twitter.com/AasthaVarma/status/1196821161528545281?s=20

ऐसे ही कई यूजर्स ने अपनी कहानी शेयर की और सभी का यहाँ बता पाना मुमकिन नहीं है। लेकिन इतना बताने के लिए काफी है कि देश में अनगिनत उदाहरण हैं जो कठिनाइयों के बाद भी खुद काम कर अपनी पढ़ाई पूरी की और आज सफल हैं। JNU वासियों को कुछ शर्म कर इनसे सीख लेनी चाहिए और ऐसे करदाताओं के मेहनत की कमाई का लिहाज कर कुछ काम करना चाहिए।

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