केजरीवाल ने दिल्ली को मुफ्त पानी का वादा किया, पर बदले में दूषित पानी का उपहार दिया

केजरीवाल

PC: Indiatimes

अरविंद केजरीवाल फ्री की चीज़ें बांट-बांट कर मसीहा बनना चाहते हैं और इसी कारण दिल्ली को बद से बदतर करते जा रहे हैं। सर्दी का मौसम आते ही दिल्ली गैस चेम्बर में तब्दील हो जाती है। हवा के बाद अब नलों से आने वाले पानी भी प्रदूषित हो गए हैं। ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड यानी BIS  ने 20 राज्यों के कई शहरों के पानी की गुणवत्ता की जांच एक निजी लैब में करवाने के बाद ये पाया कि दिल्ली का पानी सबसे प्रदूषित है। दिल्ली में कृषि मंत्रालय, बुराड़ी, सोनिया विहार समेत खुद खाद्य एवं उपभोक्ता मंत्रालय के केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का 12 जनपथ तक के घर के पानी का सैंपल 19 मापदंडो पर फेल हो गया है। इस पानी का TDS, PH, एल्यूमिनियम, नाइट्रेट, डिटरजेंट के अलावा E.coli जैसे बैक्टीरिया भी मिले हैं।

बता दें कि अरविंद केजरीवाल खुद दिल्ली जल बोर्ड के अध्यक्ष हैं और चुनाव में उन्होंने यह वादा किया था कि सभी को वह मुफ्त में पानी देंगे। दिल्लीवासियों को पानी तो मिल रहा है लेकिन काफी प्रदूषित।

अरविंद केजरीवाल, जलबोर्ड और भ्रष्टाचार का पुराना नाता है। जब से दिल्ली में आम आदमी की सरकार आई है तब से दिल्ली जलबोर्ड को लगभग 800 करोड़ का नुकसान हो चुका है। वित्तीय वर्ष 2015-16 में इस बोर्ड को 209 करोड़ का घाटा हुआ था, वहीं वर्ष 2017 में 533 करोड़, और वर्ष 2018 में 275 करोड़ का घाटा हुआ था। केजरीवाल सरकार आने के पहले इस दिल्ली जल बोर्ड को एक भी रूपये का नुकसान नहीं हुआ था। अब इस तरह से जल बोर्ड को नुकसान होगा तो वह कहाँ से जल शुद्धिकरण के उपकरण पर खर्च करेगी?

लाउड स्पीकर पर भाषण देते समय तो केजरीवाल वोट पाने के लिए फ्री पानी की घोषणा कर देते हैं, लेकिन इसी क्रम में दिल्ली जल बोर्ड को खोखला कर चुके हैं। यही वजह है कि साल दर साल दिल्ली जल बोर्ड द्वारा उपलब्ध कराये जाने वाले पानी की गुणवत्ता गिरती गई और आज यह इतना दूषित हो चुका है कि पानी की गुणवत्ता के मामले में यह शहर टॉप पर है।

जब वर्ष 2015 में केजरीवाल सरकार सत्ता में आई तो 22 लाख पानी के कनेकशन को 20,000 लीटर पानी देने का वादा किया था। दिल्ली जल बोर्ड प्रतिवर्ष 10 प्रतिशत के हिसाब से पानी का रेट बढाता है, लेकिन केजरीवाल सरकार के आने के बाद यह बढ़ा ही नहीं जिसके कारण जल बोर्ड साल दर साल घाटे में चला गया।

यह हालत सिर्फ जल बोर्ड की ही नहीं है, बल्कि दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन (डीटीसी) का भी यही हाल है। द प्रिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2013 से ही दिल्ली को 11,000 बसों की दरकार है। लेकिन 2019 में भी कुल सरकारी बसों की संख्या महज़ 3800 है। हैरत की बात ये है कि 2013 से अब तक दिल्ली में एक भी बस नहीं ख़रीदी गई। एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली सरकार ने सितंबर 2018 तक ग्रीन टैक्स के तहत 1800 करोड़ रुपए वसूले हैं। इन पैसों से सरकार को पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सुधार करना था, लेकिन 2019 के जून तक दिल्ली में इस फंड का कोई प्रभावी इस्तेमाल नज़र नहीं आता। पिछले वित्त वर्ष में डीटीसी को 1,000 करोड़ का नुकसान भी हुआ था, कई डिपो प्राइवेट ऑपरेटर्स को दे दिए गए।

केजरीवाल ने तो वादा कर दिया लेकिन उसे पूरा करने के लिए दिल्ली को ही खोखला करते जा रहे हैं। पानी के नाम पर दिल्लीवासियों को दूषित पानी पीला रहे हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने ट्वीट कर कहा ‘फ्री पानी के नाम पर दिल्ली की जनता को ज़हर पिला रहे हैं अरविंद केजरीवाल। देश के 20 शहरों के पानी पर हुए सर्वे में दिल्ली का पानी सबसे ज्यादा जहरीला पाया गया। विकास के बड़े-बड़े दावे करने वाली आम आदमी पार्टी सरकार लोगों को साफ़ पानी तक मुहैया कराने में नाकाम रही है।’

देश पानी की समस्या से जूझ रहा है और हर साल पानी की कमी का सामना करने वाली दिल्ली जल प्रबंधन को लेकर गंभीर नहीं है। नीति आयोग की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि जल प्रबंधन के मामले में दिल्ली का प्रदर्शन देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सबसे खराब है। नीति आयोग ने अगस्त में कंपोजिट वाटर मैनेजमेंट इंडेक्स जारी किया था। जल संसाधनों के प्रबंधन का प्रदर्शन दर्शाने वाले इस इंडेक्स पर दिल्ली का स्कोर मात्र 20 है जो सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में सबसे कम है।

Exit mobile version