अब मोदी सरकार बचाएगी नेहरू की विरासत, क्योंकि मोदी-शाह-राजनाथ की तिकड़ी संभालेगी नेहरू मेमोरियल

जयराम रमेश, मल्लिकार्जुन खड़गे और करण सिंह को दिया गया आराम

नेहरू

सांस्कृतिक मंत्रालय ने नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी में एक बड़ा बदलाव किया है। नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी व कांग्रेस के दिग्गज नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, करण सिंह और जयराम रमेश को बाहर का रास्ता दिखाया गया है। कांग्रेस के इन नेताओं का जगह बीजेपी के अनिर्बन गांगुली, वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा व गायक प्रसून जोशी, सच्चिनानंद जोशी, लोकेश चंद्र, मकरंद प्रान्जपे, रिजवान कादरी को मिली है, इनका कार्यकाल 5 साल का होगा।

समिति में शामिल अन्य चेहरों में पीएम मोदी पर किताब लिखने वाले किशोर मकवाना, जेएनयू के पूर्व वीसी कपिल कपूर, सौराष्ट्र यूनिवर्सिटी के पूर्व चांसलर कमलेश जोशीपुरा, राघवेंद्र सिंह को भी जगह मिली है। इन्हीं सदस्यों में शामिल अनिर्बन गांगुली गृहमंत्री अमित शाह पर हाल ही में किताब लिखे थे। सरकार की तरफ से समिति का पुनर्गठन निर्धारित समय से छह महीने पहले ही किया गया है।

इस सोसायटी के अध्यक्ष पद पर पीएम मोदी, उपाध्यक्ष पद पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह विराजमान हैं वहीं गृहमंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मलासीतारमण और पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर इसके सदस्य हैं। नई समिति में कुल 28 सदस्य हैं जबकि पिछली समिति में 34 सदस्य शामिल थे।

बता दें कि केंद्र सरकार ने तीन मूर्ति इस्टेट में सभी प्रधानमंत्रियों के लिए संग्राहलय की आधारशिला रखने के कुछ दिन बाद ही नेहरू मेमोरियल के सदस्यों अर्थशास्त्री नितिन देसाई, प्रो उदयन मिश्रा और पूर्व नौकरशाह बीपी सिंह को किनारे कर दिया था। रिपोर्ट के मुताबिक नेहरू मेमोरियल के संबंध में केंद्र सरकार के रवैये को लेकर तीनों पूर्व सदस्य नितिन देसाई, प्रो. उदय मिश्रा और पूर्व नौकरशाह बीपी सिंह काफी आलोचना करते थे।

रिपोर्ट के अनुसार इन लोगों ने केंद्र सरकार की तरफ से सभी प्रधानमंत्रियों के लिए संग्राहलय बनाए जाने के कदम का खुलकर कर विरोध किया था। उनका कहना था कि यदि सभी पीएम के लिए ऐसा संग्रहालय बन सकता है तो मुख्यमंत्रियों के लिए ऐसा क्यों नहीं सोचा गया।

मालूम हो कि नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की याद में बनवाया गया था। अब इस सोसायटी से दिग्गज कांग्रेसी नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाया गया है तो आने वाले दिनों में सियासत तेज हो सकती है। भाजपा हमेशा अपने संकल्पों में कांग्रेस मुक्त भारत के स्वप्न को दोहराती रही है। इसे इस संकल्प से भी जोड़कर देखा जा रहा है।

हमेशा से ही नेहरू की विरासत को लेकर कांग्रेस हमलावर रही है। ऐसे में कांग्रेस के बड़े नेताओं को नेहरू मेमोरियल से बाहर का रास्ता दिखाए जाने के बाद कांग्रेस के बड़े नेता जयराम रमेश ने कहा है कि अब नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी, नागपुर मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी बन गया है। नागपुर का यहां संघ से तात्पर्य है।

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