पाकिस्तानी इमरान खान के खिलाफ, अब बाजवा को इमरान खान का साथ देना पड़ा महंगा

पाकिस्तान

इमरान खान पाकिस्तान के पहले ऐसे प्रधानमंत्री है जिन्हें सभी मुद्दों पर फेल होने के बावजूद पाकिस्तानी सेना और पाकिस्तानी न्यायालय दोनों का भरपूर समर्थन मिल रहा है। हाल की घटनाओं को देखते हुए यह स्पष्ट होता जा रहा है। पाकिस्तान नेशनल असेंबली की सभी विपक्षी पार्टियां एकजुट हो चुकी हैं और इमरान खान सरकार के खिलाफ ‘आज़ादी मार्च’ निकाल रही है। यह ‘आजादी मार्च’ पाकिस्तान में बढ़ती महंगाई और देश की गिरती अर्थव्यवस्था को लेकर निकाला जा रहा है जिसकी अगुवाई जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (जेयूआई-एफ) के अध्यक्ष मौलाना फजलुर रहमान कर रहे हैं। यह प्रदर्शन इस हद तक बढ़ चुका है कि मौलाना फजलुर रहमान ने इमरान खान को दो दिन के अंदर प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने की धमकी दी थी। लेकिन इस धमकी के बाद पाकिस्तानी सेना तुरंत अपने कठपुतली को प्रधानमंत्री को बचाने के लिए कूद पड़ी। आजादी मार्च को लेकर पाकिस्तान की सेना ने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि किसी को भी देश में अस्थिरता और अराजकता पैदा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। यह हास्यास्पद है कि यह पाकिस्तानी सेना ही है जो जनता द्वारा चुनी हुई सरकार को कई बार हटा कर देश को खुद अपने नियंत्रण में कर चुकी है, अब वही इमरान खान को बचाने की बात कर रही है।

दरअसल ‘आजादी मार्च’ की शुरुआत कराची के सोहराब गोथ से 27 अक्टूबर को हुई थी। शुक्रवार को यह अपने आखिरी गंतव्य स्थान इस्लामाबाद पहुंचा। शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद मौलाना फजलुर रहमान ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि मैं इमरान खान की सरकार को चेतावनी देता हूं कि वह दो दिनों के भीतर प्रधानमंत्री पद से अपना इस्तीफा दें।

फजलुर रहमान ने इमरान खान की तुलना सोवियत संघ के नेता ‘मिखाइल गोर्बाचेव‘ से भी कर दी। मौलाना ने कहा कि ‘पाकिस्तान के गोर्बाचेव‘ को शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वाले लोगों के संयम की परीक्षा लिए बगैर ही पद से इस्तीफा देना चाहिए, वरना इसके नतीजे भयावह होंगे। फजलुर रहमान पाकिस्‍तान की सियासत में बड़ा कद रखने वाले नेता हैं। उनकी सबसे बड़ी मजबूती की वजह है पाकिस्‍तान में मौजूद मदरसे। दरअसल, पाकिस्‍तान में चलने वाले मदरसे फजलुर रहमान के दिशा-निर्देश पर ही काम करते हैं। यही वजह है कि फजलुर रहमान अपनी रैली में भीड़ एकत्रित कर लेते हैं। नवाज शरीफ के कार्यकाल में भी उन्‍होंने इसी तरह का प्रदर्शन किया था जिसमें हजारों की तादाद में लोगों ने सड़कों पर उतरकर नवाज शरीफ के खिलाफ नारेबाजी की थी। लेकिन, तब और अब में वक्‍त काफी बदल चुका है।

फजलुर रहमान के बढ़ते कद और इमरान को इससे हो रही परेशानी को कम करने के मकसद से ही पाकिस्‍तान की सेना ने इसमें दखल दिया है। गौरतलब है कि पाकिस्‍तान की सियासत में वहां की आर्मी सबसे बड़ी भूमिका अदा करती है।

वहीं दूसरी तरफ इमरान खान ने इस्तीफा देने से मना किया है, और कहा है यह विरोध प्रदर्शन पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है क्योंकि विपक्षी नेता चाहते हैं कि उनके खिलाफ चल रहा भ्रष्टाचार, गबन, मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद जैसे मामलों में उन्हें माफ कर दिया जाए। बता दें कि पूर्व राष्ट्रपति आशिफ आली जरदारी और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ तथा कई अन्य विपक्षी नेता जेल में बंद है। पिछले दिनों इन दोनों की ही रहस्यमयी कारणों से स्वस्थ्य खराब होने की खबर आई थी तथा दोनों को ही अस्पताल में भर्ती करना पड़ा था।

इमरान खान की सरकार सरकार अब मार्च की  अगुवाई करने वाले उलमा-ए-इस्लाम प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान के खिलाफ केस करने की तैयारी में है। पाकिस्‍तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, रक्षा मंत्री परवेज खट्टक ने शनिवार को कहा कि सरकार ने उलमा-ए-इस्लाम संगठन के प्रमुख मौलाना फजलुर पर विद्रोह का मुकदमा दर्ज कराने का निर्णय लिया है। इन कड़े फैसलों से इमरान खान की ही पोल खुलती नज़र आ रही है क्योंकि ऐसे प्रदर्शन पहले भी नवाज शरीफ कार्यकाल में हो चुका है।

और इसमें अब इमरान को बचाने आर्मी भी कूद पड़ी है। पाकिस्तान सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर ने चेतावनी देते हुए कहा, “मौलाना फजलुर रहमान एक वरिष्ठ राजनीतिज्ञ हैं। उन्हें स्पष्ट करना चाहिए कि वह किस संस्था की बात कर रहे हैं। पाकिस्तान के सशस्त्र बल हमेशा लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकारों का समर्थन करते हैं।” उन्होंने आगाह किया कि किसी को भी अस्थिरता उत्पन्न नहीं करने दी जायेगी, क्योंकि देश अराजकता बर्दाश्त नहीं कर सकता। बाजवा के नेतृत्व में पाकिस्तानी सेना इमरान खान के बचाव में इसलिए आई है क्योंकि वह जानती है कि सेना के लिए कठपुतली की तरह कम करनेवाला कोई दूसरा नहीं मिलेगा। वहीं मानवाधिकार कार्यकर्ता आरिफ अजाकिया मानते हैं कि इमरान खान की कुर्सी को कोई खतरा नहीं है। इसकी सबसे बड़ी वजह इमरान का सेना के प्रति वफादार होना ही है। उनका कहना है कि सेना को पाकिस्‍तान में ऐसा बड़ा चेहरा नहीं मिल सकता है जो उसकी हर बात मानें और उसके इशारों पर ही चले। इतना ही नहीं इमरान को पीएम की कुर्सी पर बिठाने में सबसे बड़ा योगदान पाकिस्‍तान आर्मी का ही है। वहां की आर्मी के लिए सबसे अच्‍छा मौहरा इमरान ही हैं, जो बिना उसके सामने आए वो सब काम कर रहे हैं जो वहां की आर्मी चाहती है। यहाँ पर यह भी ध्यान देने वाली बात है कि पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल बाजवा के खिलाफ भी सेना में विरोध है और इसकी वजह है उनका कार्यकाल अवधि बढ़ाया जाना। बाजवा के लिए नियम तोड़ते हुए सेनाध्यक्ष के पद पर कार्यकाल में बढ़ोतरी हुई और इसे इमरान खान ने मंजूरी दी थी। इससे सेना के पक्ष में विद्रोह की भावना भी है।अब इमरान खान और बाजवा एक दूसरे को बचाने में लगे है।

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