अयोध्या राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने फ़ैसला सुना दिया है। विवादित ज़मीन रामलला विराज़मान के हिस्से आई है। अपने फ़ैसले में कोर्ट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ ज़मीन अलग जगह देने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही उन्होंने अनुच्छेद 142 का उपयोग करते हुए सुन्नी वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ की वैकल्पिक भूमि पर अयोध्या में कहीं भी मस्जिद बनाने की मंजूरी दे दी।
जहां देश भर में इस परिपक्व निर्णय को सराहा जा रहा है, तो वहीं कुछ ऐसे भी लोग हैं, जिन्हें इस निर्णय से काफी आघात पहुंचा है। इसी कड़ी में हमारा पड़ोसी देश भी है जो इस निर्णय से कुछ ज़्यादा ही बौखलाया हुआ है। हो भी क्यों न, उन्हें कश्मीर पर भारत के वार से उबरने का समय भी नहीं मिला कि अब अयोध्या में मंदिर के पक्ष में निर्णय सुनाकर सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर उनके छाती पर मूंग जो दला है।
बौखलाहट में पाक प्रशासन और पाक मीडिया भारत के खिलाफ जहर उगल रहे हैं। उदाहरण के लिए रेडियो पाकिस्तान ने करतारपुर कॉरीडोर की तुलना अयोध्या के निर्णय से करते हुए ये कहा कि पाकिस्तान ने करतारपुर में आने वाले लोगों को सुरक्षा की गारंटी दी है, जबकि भारत अपने यहां के अल्पसंख्यकों को दबाने का काम किया है। रेडियो पाकिस्तान ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि 1992 में बाबरी मस्जिद गिराई गई थी।
पाकिस्तान का आरोप है कि 460 साल पुरानी इस मस्जिद पर हिंदुओं की भीड़ टूट पड़ी थी। पाकिस्तान की ओर से कहा जा रहा है कि यह फैसला मोदी सरकार की नीतियों के मुताबिक है। भारत के मुस्लिम पहले ही दबाव में हैं, अब कोर्ट के फैसले ने उन पर दबाव बढ़ा दिया है। पाकिस्तान के कई दूसरे नेताओं में भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ बौखलाहट देखी गई।
Foreign Minister says Indian Supreme Court's decision in Babri Masjid case does not match basic international rules and ethics https://t.co/RIODdhk8Sg pic.twitter.com/hYwYh3Qshf
— Radio Pakistan (@RadioPakistan) November 10, 2019
परंतु बात यहीं पर नहीं रुकी। पाक प्रशासन ने तो भारत के खिलाफ मोर्चा ही खोल दिया। पाक आर्मी के प्रवक्ता (DG ISPR) मेजर जनरल आसिफ गफ़ूर ने ट्विटर पर एक के बाद एक ट्वीट करते हुए भारत पर निशाना साधा। एक ट्वीट में वे कहते हैं, “आज भारत के सभी अल्पसंख्यकों को हमारे महान नेता मुहम्मद अली जिन्ना के हिन्दुत्व के विचारों की सत्यता के बारे में ज्ञात होना चाहिए था। यदि वे आज होते तो भारत के इन विचारों पर और भी शर्मिंदगी महसूस करते”।
Today all minorities of India should have again realised that vision of our great leader Muhammad Ali Jinnah about Hindutva was absolutely right. They would now regret more convincingly to be part of India.#UglyIndia pic.twitter.com/V5UTAopxGK
— Asif Ghafoor (@peaceforchange) November 9, 2019
एक और ट्वीट में आसिफ गफ़ूर ने अयोध्या के निर्णय के बारे में कहा, “दुनिया ने एक बार फिर से अतिवादी भारत का असली चेहरा देख लिया है। पाँच अगस्त को कश्मीर का भारत ने संवैधानिक दर्जा ख़त्म किया और आज बाबरी मस्जिद पर फ़ैसला आया। दूसरी तरफ़ पाकिस्तान दूसरे धर्म का आदर करते हुए गुरु नानक के सेवकों के लिए करतारपुर कॉरिडोर खोल दिया।”
World has yet again seen true ugly face of extremist India. Today through verdict on Babri Mosque after illegal action for paper status of IOJ&K on 5 Aug 19.
On the other hand Pakistan today respecting other religion has opened #KartarpurCorridor for Nanak Seweks.#UglyIndia— Asif Ghafoor (@peaceforchange) November 9, 2019
ऐसे में पाक के बड़बोले मंत्री कैसे चुप रह सकते थे? पाक मंत्री फवाद हुसैन चौधरी ने इस निर्णय के लिए कहा, “शर्मनाक, निकृष्ट, अवैध और अशोभनीय”। आसिफ गफ़ूर के अलावा पाक राष्ट्रपति डॉ॰ आरिफ अल्वी ने भी भारत के विरुद्ध विष उगला। एक ट्वीट में वे लिखते हैं, “ये एक निराशाजनक निर्णय है। भारत की सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय लिया है कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद के स्थल पर एक मंदिर का निर्माण होगा, जिससे उन्होंने अपने आप को भाजपा की अतिवादी नीतियों का समर्थक बना दिया, जो एक धर्मनिरपेक्ष भारत के लिए हानिकारक हैं”।
An unfortunate verdict. Indian Supreme Court decides that a temple is to built at Ayodhya/Babri Masjid site showing clearly it has consistently sided with the extreme policies of the BJP and reflects an Hindutva ethos to the detriment of secular India.https://t.co/7nDZD1NlkV pic.twitter.com/u5ezdtbSEh
— Dr. Arif Alvi (@ArifAlvi) November 9, 2019
यही नहीं, पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार हामिद मीर ने भी ट्वीट कर कहा, ”बाबरी मस्जिद पर जिस वक़्त फ़ैसला आया उससे कई सवाल खड़े होते हैं। भारत के सुप्रीम कोर्ट ने इस हफ़्ते फ़ैसला क्यों सुनाया? क्या पाकिस्तान ने सिखों के लिए करतारपुर में जो किया उसकी प्रतिक्रिया में यह है? यह फ़ैसला क़ानून के आधार पर है या बीजेपी के घोषणापत्र के आधार पर।” शायद अब हमें समझ में आ रहा है कि अयोध्या के निर्णय के बाद द वायर को अपने लेख लिखने की प्रेरणा कहाँ से मिली थी।
वहीं भारत इस बयानबाजी पर चुप न बैठकर पाक को मुंहतोड़ जवाब दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रमुख प्रवक्ता, रवीश कुमार ने कहा “हम एक सिविल मामले पर भारत के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पाकिस्तान द्वारा की गई अनुचित और अनावश्यक टिप्पणियों को अस्वीकार करते हैं। यह कानून के शासन और सभी धर्मों के लिए समान आदर की अवधारणाओं से संबंधित है जो उनके लोकाचार का हिस्सा नहीं हैं। इसलिए पाकिस्तान की समझ की कमी कोई आश्चर्य की बात नहीं है, तनाव फैलाने के स्पष्ट इरादे के साथ हमारे आंतरिक मामलों पर टिप्पणी करने की उनकी यह आदत निंदनीय है।”
ये सोचने वाली बात है कि जो देश अपने अल्पसंख्यकों के साथ पशुओं से भी बदतर व्यवहार करता है, वो आखिर अल्पसंख्यकों का हवाला देकर हमारे आंतरिक मामलों में टांग कैसे अड़ा सकता है? परंतु यह पाक है, जो चाहे ज़मीन फट जाये या आसमान निगल ले, परंतु भारत के विरुद्ध विष उगलना नहीं छोड़ेगा।