हाल ही में करतारपुर कॉरीडोर के उद्घाटन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित देश के तमाम राजनीतिक हस्ती मौजूद थे। पीएम मोदी ने पंजाब के गुरदासपुर जिले में करतारपुर कॉरीडोर के उदघाटन के लिए पहुंचे थे, जहां उन्होंने सिख समुदाय को बधाई देते हुए उनके धर्म की महिमा का उल्लेख किया। ज्ञात हो कि करतारपुर कॉरीडोर भारत के पंजाब में डेरा बाबा नानक गुरुद्वारे को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में नारोवाल जिले के करतारपुर स्थित दरबार साहिब से जोड़ता है। पीएम मोदी के अनुसार, “भारत की एकता, भारत की रक्षा-सुरक्षा से लेकर, गुरुनानक देव जी से लेकर गुरु गोविंद जी तक हर गुरु साहब ने कई बलिदान दिए हैं। इस परंपरा को आजादी की लड़ाई और आजाद भारत की रक्षा में सिख साथियों ने पूरी शक्ति से निभाया है”। यही नहीं, उन्होने इमरान खान को अपना आभार प्रकट करते हुए कहा, “भारत की भावनाएं समझने, उन्हें सम्मान देने के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान नियाज़ी को मेरा आभार”।
परंतु यह क्या? पीएम मोदी के इस ट्वीट के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने इमरान नियाजी को खूब ट्रोल किया और पीएम मोदी को उनके सेंस ऑफ ह्यूमर के लिए सराहा। अब पीएम मोदी ने ऐसा क्या कह दिया कि सोशल मीडिया यूज़र्स पीएम मोदी के सेंस ऑफ ह्यूमर की इतनी तारीफ और इमरान खान को इतना ट्रोल करने लगे? असल में उन्होंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का पूरा नाम ले लिया, जो है इमरान खान नियाज़ी। इसे इमरान कुछ कारणों से छुपाते आए हैं, और वो क्या है, आइये उस पर प्रकाश डालते हैं।
नियाजी यानि पाकिस्तान के लिए बेइज्जती भरा शब्द
हमारे पड़ोसी देश में नियाज़ी उपनाम को सम्मान की दृष्टि से नहीं देखा जाता। इसका मुख्य कारण है पाक आर्मी के पूर्व उपाध्यक्ष और पूर्वी पाकिस्तान के सैन्य प्रमुख, लेफ्टिनेंट जनरल अमीर अब्दुल्लाह खान नियाज़ी, जिन्होंने 1971 में भारत-पाक युद्ध में भारत के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। भारत के लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के साथ उनका इन्स्ट्रुमेंट ऑफ सरेंडर के डॉक्युमेंट पर उनके हस्ताक्षर वाली फोटो आज भी पाकिस्तानियों का विश्व भर में उपहास उड़ाने के लिए काफी है।
अमीर अब्दुल्लाह खान नियाज़ी पश्तून समुदाय से संबंध रखते हैं, जो अपने नाम में अपने कुल का नाम अवश्य जोड़ते हैं। उदाहरण के लिए नोबल पुरस्कार विजेता मलाला युसुफजई को ही देख लीजिये। वे अपने नाम में अपने पश्तून कुल युसुफजई लगाना नहीं भूलतीं। परंतु इमरान खान अपना पूरा नाम कभी नहीं बताते, क्योंकि आज भी पूरा पाकिस्तान लेफ्टिनेंट जनरल नियाज़ी को भारत-पाक युद्ध में हार के लिए दोषी मानता है। रोचक बात तो यह है कि कई बार नियाजी कहने पर इमरान खान चिढ़ जाते हैं।
1971 के युद्ध के बाद लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाज़ी को भारत ने बंदी बना लिया था, और उन्हें 1975 में पाकिस्तान वापस भेजा गया। वापस आने पर नियाज़ी की न केवल थ्री स्टार रैंक उनसे छीनी गयी, बल्कि उन्हें पाक आर्मी से भी निष्कासित कर दिया गया। उन्हें 1982 में War Enquiry कमिशन ने पूछताछ के लिए सम्मन भी जारी किया था। हालांकि उनका कोर्ट मार्शल नहीं किया गया, परंतु आज भी अधिकांश पाकिस्तानी उन्हें 1971 की पराजय के लिए दोषी मानते हैं।
हालांकि यह पहली बार नहीं है जब पीएम मोदी ने अपने सेन्स ऑफ ह्यूमर का इतना बेजोड़ इस्तेमाल किया हो। 2015-16 के बीच जब कांग्रेस ने मनरेगा स्कीम के संभावित निष्कासन पर संसद में हंगामा किया था, तब पीएम मोदी ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा था, “मैं मनरेगा को बंद नहीं करूंगा। पर उसे गाजे बाजे के साथ चलाऊँगा। यह काँग्रेस सरकार की विफलता का जीता जागता प्रमाण है”।
इसके अलावा पिछले वर्ष जब नो कॉन्फ़िडेंस मोशन के दौरान राहुल गांधी ने उन्हें गले लगाने का प्रयास किया, तो पीएम मोदी ने उस पर भी तंज़ कसते हुए कहा, “आजकल कुछ लोगों को सत्ता में आने की बहुत जल्दी मची हुई है। आते ही कहते हैं, उठो उठो उठो”। यही नहीं, जब राहुल गांधी ने पीएम मोदी को गले लगाने के बाद अपने साथी सांसदों को आँख मारी, तो उस पर भी पीएम मोदी ने चुटकी ली, और कहा, “आँखों की बात करने वालों की आँखों की ने हरकतों ने…. आज पूरा देश देख रहा है, कैसे आँखें खोली जा रही है, कैसे बंद की जा रही है”। हर बार पीएम मोदी ने अपने ह्यूमर से विरोधियों की मौज ली है। चाहे वह पाकिस्तान हो या फिर विपक्ष, किसी को नहीं छोड़ा।
आज हमारा पड़ोसी देश कंगाल घोषित होने से सिर्फ एक कदम की दूरी पर रही है। लाख चाहने के बाद भी विश्व में कोई भी कश्मीर मुद्दे पर उसकी बात सुनने को तैयार नहीं है, आतंकवादी घुसपैठ नहीं कर पा रहे हैं, इसके साथ ही अब हमारे प्रधानमंत्री ने एक बार पाक पीएम का पूरा नाम लेकर सिद्ध कर दिया कि हमारा पड़ोसी देश वास्तव में उनके लिए क्या महत्व रखता है। इस घटना से एक बात तो साफ है – पीएम मोदी के सेन्स ऑफ ह्यूमर का कोई जवाब नहीं है।