भारत हमेशा से सांस्कृतिक, भाषाई और धार्मिक विविधता के लिए जाना गया है। ये दुनिया के चार प्रमुख धर्मों का जन्मस्थान भी है- हिंदू, बौद्ध, जैन, और सिख धर्म। हमारा संविधान कहता है कि भारत धर्मनिरपेक्ष देश है। यानि देश में हर किसी को अपने धार्मिक क्रियाकलापों की आजादी और अधिकार है। देश में धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार के रूप में धर्म परिवर्तन के लिए संवैधानिक सुरक्षा का भी प्रावधान है। कानून कहता है कि कोई भी अपनी मर्जी से अपना धर्म बदल सकता है, ये उनका निजी अधिकार है। लेकिन कानून ये भी कहता है कि किसी को डरा-धमकाकर या लालच देकर धर्म परिवर्तन नहीं करा सकते। देश में बहुत से लोग शादी करने के लिए धर्म बदलते हैं। कुछ लोग अपनी सुविधा या वैचारिकता के कारण धर्म बदल देते हैं। बेशक कानून कहता है कि धन का लालच देकर धर्म नहीं बदलवाया जा सकता लेकिन देश में बड़े पैमाने पर ऐसा किए जाने का आरोप लगता रहा है।
लालच सिर्फ धन का ही नहीं दिया जाता है बल्कि एक बोरी चावल का भी दिया जा है और इसके लिए व्यापक संस्थाओं द्वारा एक सिंडीकेट चलाया जाता है।
इस एक बोरी चावल देने वाली संगठन का नाम है मिशन इंडिया, जो यह प्रोजेक्ट चलाती है और इस प्रोजेक्ट नाम है Rice Bag Project. इस वेब साइट पर बड़े ही नाटकीय ढंग से यह दिखाने की कोशिश की गयी है कि भारत एक गरीब देश है और यहां के ईसाई रोज अपने घर के खाने में से चावल निकाल कर जमा करते हैं और जब एक बोरी जाता है तो जाकर चर्च में जमा कर देते हैं। इंडिया फ़ैक्ट्स के अनुसार भारतीयों का धर्मांतरण कराने और अपने मिशन को पूरा करने के लिए, मिशन इंडिया अमेरिका से धन जुटाता है और इसे तेलंगाना में अपने भारतीय एजेंट्स को भेजता है। मिशन इंडिया केवल अपने नाम से ही नहीं बल्कि एडवांसिंग इंडिया नामक एक संगठन के माध्यम से भी पैसा भेजता है। मिशिगन स्टेट लाइसेंसिंग एंड रेगुलेटरी अफेयर्स (LARA) डेटाबेस में यह नाम वर्णित हैं।
भारत में कई ऐसे गैर सरकारी संगठन हैं जो ईसाई धर्म में परिवर्तन कराने के लिए लोभ और लालच देते है।
पहली बार इस तरह से चावल की बोरी का प्रयोग विलियम डैम्पियर द्वारा लिखी गयी किताब A collection of trips में मिलता है। उन्होंने लिखा है कि कन्वर्ट होने वाले उपदेश से ज्यादा चावल देने से ईसाई धर्म को अपनाते हैं।
इसी आधार पर कई संगठन भारत में मिशन इंडिया जैसे चावल बांटने के नाम पर धर्म परिवर्तन करवाते हैं। यही नहीं पिछले वर्ष ऐसी खबर आई थी कि एक संगठन गरीबों को समोसे का लालच देकर उनका धर्मपरिवर्तन करने की कोशिश करवा रहा था।
Agra: Slum dwellers of Sector-4 Awas Vikas Colony in Jagdish Pura say they were approached by people who asked them to convert to Christianity in order to avail education for their children, houses and better lifestyle, police say matter being probed. pic.twitter.com/RiHRKDQrGU
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) March 9, 2018
बता दें कि केंद्रीय स्तर पर, भारत में कोई कानून नहीं है जो जबरन ‘धर्म परिवर्तन के मामले में कोई मंजूरी प्रदान करता है। 1954 में, भारतीय ‘धर्म परिवर्तन (विनियमन और पंजीकरण बिल) को पारित करने के लिए एक प्रयास किया गया था लेकिन विपक्ष के भारी विरोध के कारण संसद इसे पारित करने में विफल रही। बाद में, राज्य स्तर पर विभिन्न प्रयास किए गए। 1968 में ओडिशा और मध्य प्रदेश ने जबरन ‘धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए कुछ अधिनियमों को पारित किया था। ओडिशा के ‘धर्म परिवर्तन विरोधी कानून में अधिकतम दो साल की कारावास और 10 हजार रूपए के जुर्माने का प्रावधान है।
इसी तरह से झारखंड में भी ऐसा बिल पारित हो चुका है। झारखंड में लालच देकर या जबरन धमकाकर धर्म परिवर्तन कराने पर जेल की सजा के अलावा जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है। ऐसी स्थिति में धर्मांतरण कराने वाले को दोषी पाये जाने पर तीन वर्ष तक की जेल और 50 हजार रुपये जुर्माने की सजा दी जा सकती है। धर्म परिवर्तन करने वाला अगर अनुसूचित जाति या जनजाति समुदाय का हो, तो धर्मांतरण कराने वाले को चार वर्ष की सजा हो सकती है।
इसलिए अब जरूरी है कि भारत सरकार जल्द से जल्द एक ऐसा कानून लाना चाहिए जो इस तरह से लालच देकर धर्म परिवर्तन कराने वाली संस्थाओं पर रोक लगाई जा सके।