रिटायर्ड मेजर जनरल एसपी सिन्हा का विवादित बयान सेना को आचार संहिता बनाने के लिए चेतावनी है

सेना

आपको याद ही होगा कुछ दिनों पहले एक टीवी डिबेट पर आर्मी के एक पूर्व अफसर ने बलात्कार को लेकर एक बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। कश्मीरी पंडितों के मुद्दों को लेकर टीवी 9 भारतवर्ष चैनल पर एक डिबेट शो आयोजित किया गया था। इस दौरान तमाम पैनलिस्ट के साथ रिटायर्ड मेजर जनरल एसपी सिन्हा भी कार्यक्रम में मौजूद थे। इस बीच डिबेट के दौरान उन्होंने कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के मुद्दे पर बोलते हुए कहा- मौत के बदले मौत, बलात्कार के बदले बलात्कार।

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उनके इस बयान की सोशल मीडिया पर कड़ी आलोचना की गयी थी। भारतीय सेना के कई पूर्व अधिकारियों ने भी उनके इस गैर-जिम्मेदाराना बयान की काफी आलोचना की थी। इसको लेकर लेफ्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया ने ट्विटर पर लिखा था “असंवेदनशील और दुर्भाग्यपूर्ण। मुझे पूरी उम्मीद है कि एसपी सिन्हा साहब किसी भी आतंक-विरोध ऑपरेशन का हिस्सा नहीं रहे होंगे। AC स्टुडियो में बैठकर बातें करना आसान होता है, ऐसे आप सेना के सभी कार्यों और त्याग पर पानी फेर देते हैं”।

बता दें कि सेना के अफसर के इस बयान का पाकिस्तान ने भरपूर फायदा उठाया था और भारत के खिलाफ उनके इस बयान को इस्तेमाल किया था। पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने उनके इस बयान पर ट्वीट करते हुए कहा था “इससे आप भारतीय कब्जे वाले कश्मीर में महिलाओं की स्थिति का अंदाज़ा लगा सकते हैं”। यानि स्पष्ट है कि सेना के पूर्व अफसरों के ऐसे बयान ना सिर्फ भारतीय सेना के हितों को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि दुश्मनों को भी एजेंडा चलाने का भरपूर मौका देते हैं।

यहाँ न्यूज़ चैनलों की भूमिका को भी नकारा नहीं जा सकता। वे जान-बूझकर ऐसे पूर्व सेना के अफसरों को डिबेट करवाने के लिए बुलाते हैं और उन्हें भड़काऊ चीज़ें बोलने के लिए प्रेरित करते हैं ताकि TRP बंटोरी जा सके। इस तरह आर्मी के पूर्व कार्यकर्ता अपने अतिवादी विचार भी सबके सामने रख देते हैं और नाम खराब होता है देश की सेना का। इस बात में कोई दो राय  नहीं है कि भारतीय सेना में काम करने वाले अधिकतर अफसर या पूर्व अधिकारी बेहद अनुशासित होते हैं और अपनी बात को सोच-समझकर सबके सामने रखते हैं लेकिन ऐसे मुद्दों पर में एक-दो प्रतिशत अपवाद को भी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। भारत विरोधी तत्व तुरंत ऐसे बयानों को अपने फायदे के इस्तेमाल करना शुरू कर देते हैं।

यही कारण है अब इस पूरे मुद्दे पर भारतीय सेना के अध्यक्ष बिपिन रावत ने अपनी चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने कहा है कि भारतीय सेना के पूर्व अधिकारी सेना के राजदूत होते हैं और उनका व्यवहार ही भविष्य में सेवानिवृत होने वाले अफसरों के लिए एक अच्छे वातावरण को तैयार करता है। यह बात उन्होंने रिटायर होने वाले अफसरों के लिए आयोजित सेमिनार में कही

इस दौरान उन्होंने सेना के पूर्व अफसरों के लिए एक कोड ऑफ कंडक्ट के संबंध में भी बात कही। उन्होंने कहा “यह केवल दिग्गजों की आकांक्षा है। कई दिग्गज एक स्थिति परिवर्तन से गुजरते हैं, जो वे सामाजिक जीवन में प्रदर्शित करना पसंद करते हैं। इससे कुछ संस्थानों में असंतोष पैदा हुआ है। हमें घर में ही इसका समाधान खोजने के लिए इस पर चर्चा शुरू करने की जरूरत है। इसका जवाब अंदर से आएगा। रेजिमेंटल सेंटर जैसी जगहें इसके लिए अच्छी हैं”।

माना जा रहा है कि सेना अपने सेवानिवृत्त अधिकारियों के लिए एक आचार संहिता को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है। वर्तमान में, सेना अधिनियम में केवल सेवारत सेना अधिकारी शामिल हैं। सेना मुख्यालय की योजना के अनुसार, सभी सेवारत सेना अधिकारियों को अपने सेवानिवृत्ति के बाद एक ड्राफ्ट पर हस्ताक्षर करने की आवश्यकता होगी, जिसका संचालन एक कोड ऑफ कंडक्ट द्वारा किया जाएगा। सेवानिवृत्त सेना अधिकारी रिटायरमेंट के बाद अपने सैन्य रैंक को बरकरार रखते हैं, लेकिन उनपर कार्रवाई भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) द्वारा कवर की जाती है, क्योंकि वे सेना अधिनियम के दायरे में नहीं आते हैं। हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि सेना द्वारा शुरू की जाने वाली आचार संहिता में दंडात्मक प्रावधान होंगे या नहीं। द प्रिंट के हवाले से एक वरिष्ठ सेना अधिकारी के अनुसार, पूर्व मेजर जनरल, एसपी सिन्हा द्वारा की गई प्रकृति की टिप्पणियां और भाषा सेना की “आचार संहिता” शुरू करने की योजना के पीछे कारण है।

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