आंध्र प्रदेश के सीएम व YSR कांग्रेस के नेता जगन मोहन रेड्डी ने एक अहम फैसला लेते हुए शिक्षा व्यवस्था में व्यापक बदलाव किया है। दरअसल, जगन ने सारे आंध्रप्रदेश की सरकारी पाठशालाओं में सभी विषयों को पढ़ने-पढ़ाने का माध्यम अंग्रेजी कर देने की घोषणा की है। यानि अब आंध्रप्रदेश के बच्चे किसी भी विषय को सीखना चाहें तो उसे वे तेलुगु या उर्दू माध्यम से नहीं सीख सकेंगे।
बता दें कि यह फैसला इमाम और पादरी के लिए वेतन की घोषणा करने के कुछ महीने बाद जगनमोहन सरकार ने ली है। हालांकि इस फैसले का पूर्व मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू, जन सेना अध्यक्ष पवन कल्याण और कई वरिष्ठ भाजपा नेताओं ने कड़ी आलोचना की है। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने भी आंध्र प्रदेश सरकार के इस कदम की आलोचना की है।
आंध्र प्रदेश सरकार का यह कदम उन वैज्ञानिक निष्कर्षों के खिलाफ है जो नई शिक्षा नीति -2019 के तहत तैयार किए गए थे। नई शिक्षा नीति के अनुसार- “यह एक वैज्ञानिक तथ्य है कि बच्चे जल्दी सीखते हैं यदि उन्हें अपनी मातृभाषा में कुछ सिखाया जाता है। इसलिए नई शिक्षा नीति के अनुसार- ‘शिक्षा के माध्यम’ के रूप में मातृभाषा बेहद जरूरी है। ”
इस नई व्यवस्था को लागू करने के पीछे उनका तर्क यह है कि अंग्रेजी एक ग्लोबल भाषा है और उसके माध्यम से रोजगार पाना देश और विदेशों में भी आसान होता है। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीबों, ग्रामीणों और पिछड़ों के बच्चों को इस लाभ से वंचित क्यों रखा जाए? उन्होंने यह भी तर्क दिया था कि अगर सरकारी स्कूल उन्हें तेलुगु भाषा में पढ़ाना जारी रखते हैं, तो राज्य खुद ही अन्य राज्यों से अपने लोगों को विकास और समृद्धि सुनिश्चित करने में पिछड़ जाएगा।
राष्ट्रविरोधी, हिंदू विरोधी गैंग ने रेड्डी सरकार के कदम का समर्थन करना शुरू कर दिया है। कांचा इलैया, जिस व्यक्ति ने हिंदुओं, हिंदू धर्म और हिंदी के बारे में खूब प्रोपेगेंडा फैलाया, वह द वायर में एक लेख लिखे हैं, जिसका शीर्षक है “आंध्र प्रदेश की नई शिक्षा नीति, स्थायी संरचनात्मक परिवर्तन ला सकती है।”
यह बात सभी को पता है कि वाई एस जगनमोहन रेड्डी एक ईसाई परिवार से आते हैं। उनके पिता, स्वर्गीय वाई एस राजशेखर रेड्डी, जो कांग्रेस पार्टी के तहत राज्य के दो बार मुख्यमंत्री रहे थे, उन्होंने भी इसी तरह के अल्पसंख्यक तुष्टिकरण को अपनाया। राम नवमी, प्रमुख हिंदू त्योहार राज्य सरकार द्वारा अनुमोदित छुट्टियों को हटा दिया गया और ईसाइयों के लिए छुट्टियां बढ़ा दी गईं। चूंकि 1993 से तिरुमाला मंदिर का प्रशासन राज्य सरकार के अधीन था, इसलिए YSR ने मंदिर के प्रशासन में ईसाई लोगों को नियुक्त किया।
जगनमोहन रेड्डी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में ही अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के कदमों का संकेत दे दिया था। पार्टी के घोषणापत्र सम्मेलन में, जगनमोहन रेड्डी ने कहा था कि हर पादरी को एक घर मिलेगा और राज्य में ईसाई लड़कियों की विवाह के लिए धन भी आवंटित किया जाएगा। PGurus की एक लेख के अनुसार “व्हाट्सएप पर एक वीडियो पोस्ट किया गया है जहां आपकी बहन खुले तौर पर कह रही है कि आप संयुक्त राष्ट्र में बंद रहेंगे और यीशु का संदेश लाएंगे।”
रेड्डी ने अपने परिवार के साथ ईसाई पवित्र स्थल यरुशलम का दौरा किया, वो भी राज्य सरकार के खर्च पर। यह बहुत स्पष्ट है कि रेड्डी का लक्ष्य आंध्र प्रदेश के छात्रों का पश्चिमीकरण और ईसाईकरण करना है। आंध्र प्रदेश के विभिन्न सरकारी और निजी स्कूलों में 10वीं तक के 70 लाख से अधिक छात्र हैं। इसमें से 62 प्रतिशत या 44 लाख छात्र पहले से ही अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पढ़ रहे हैं। जिनमें से अधिकांश निजी संस्थाओं द्वारा संचालित है। तेलुगु माध्यम स्कूलों में पढ़ने वाले 26 लाख छात्रों में से अधिकांश 45,000 सरकारी स्कूल चलाते हैं। अगर जगन सरकारी स्कूलों में शिक्षा के माध्यम में बदलाव करके पूरी तरह से अंग्रेजी थोपना चाहते हैं तो यह एक तरह से राज्य का ईसाईकरण हो रहा है।