चीनी कंपनी हुवावे पर सुरक्षा कारणों से प्रतिबंध लगाने के बाद अब अमेरिका में एक अन्य चीनी कंपनी टिकटॉक के खिलाफ कड़े कदम उठाने की मांग उठाई जा रही है। समाचार एजेंसी ‘रायटर्स’ और समाचार पत्र ‘न्यूयॉर्क टाइम्स और अन्य की खबरों के अनुसार अमेरिका में विदेशी निवेश पर अंतर-एजेंसी समिति टिकटॉक के खिलाफ जांच शुरू भी कर चुकी है। अमेरिका में अभी सबसे बड़ी समस्या यह है कि लोगों को टिकटॉक के डेटा एकत्रित करने के मॉड्यूल को लेकर कोई जानकारी नहीं है, और हुवावे की तरह ही इस कंपनी पर भी लोगों का डेटा चीनी सरकार के साथ साझा करने का आरोप है। टिकटॉक का विवादों के साथ पुराना नाता रहा है और यह पहले बार नहीं है जब टिकटॉक पर ऐसे आरोप लगाए गए हैं। यहां तक कि टिकटॉक भारत सरकार के रडार पर भी आ चुका है। भारत और अमेरिका टिकटॉक के सबसे बड़े बाज़ार है, ऐसे में इन बाज़ारों में टिकटॉक के लिए बढ़ती मुसीबतें चीनी कंपनी के भविष्य पर बड़ा सवाल खड़ा करती हैं।
अमेरिका में टिकटॉक यूजर्स की संख्या पिछले कुछ सालों में बड़ी तेज़ी से बढ़ी है। अक्टूबर 2017 में अमेरिकी अडल्ट टिकटॉक यूजर्स की संख्या सिर्फ ढाई मिलियन थी, जो कि एक वर्ष बाद बढ़कर लगभग साढ़े 9 मिलियन हो गयी और इस पिछले वित्तीय वर्ष के आखिर तक यह संख्या 14 मिलियन पार कर गयी थी। इसके अलावा एपल स्टोर पर भी टिकटॉक एप सभी एप्स को पछाड़कर नंबर 1 एप बन गयी है।
इसके अलावा अन्य आंकड़े भी दिखाते हैं कि भारत और अमेरिका जैसे देशों में टिकटॉक के मंथली डाउनलोड्स की संख्या में भारी बढ़ोतरी देखने को मिली है। वर्ष 2019 की पहली तिमाही में भारत में टिकटॉक को 40 मिलियन से ज़्यादा बार डाउनलोड किया गया, जबकि इसी दौरान अमेरिका में इसे 16 मिलियन बार डाउनलोड किया गया।
आंकड़े दिखाते हैं कि यह एप लोगों के बीच बहुत पोपुलर है और यही कारण है कि इसे लेकर भारत और अमेरिकी सरकार अपनी चिंता व्यक्त कर रहीं हैं। जैसा हमने आपको बताया, इस एप के डेटा शेयरिंग मॉड्यूल को लेकर तो सरकारों के बीच संशय है ही, साथ ही इस प्लेटफॉर्म पर सामग्री की गुणवत्ता और बच्चों पर उसके प्रभाव को लेकर भी सरकारों की अपनी समस्याएँ हैं। अभी कुछ महीने पहले ही भारत में यह एप खबरों में तब आई थी जब एक टिकटॉक स्टार ने इसके जरिये आतंक का प्रचार करने की कोशिश की। तबरेज अंसारी के मामले में हमें यही देखने को मिला था जब कुछ टिकटॉक स्टार्स ने एक समुदाय विशेष के लोगों को भ्रामक खबरों के माध्यम से भड़काने की कोशिश की थी।
सबसे चिंता की बात तो यह है कि यह एप बच्चों और किशोरों के बीच बहुत लोकप्रिय है और इस एप पर कंटैंट की क्वालिटी बेहद घटिया है। बेहद आपत्तिजनक सामग्री को बच्चे आसानी से एक्सेस कर सकते हैं जो कि उनके लिए बेहद नुकसानदायक हैं। बता दें कि भारत सरकार इन्हीं कारणो से टिकटॉक से कई कड़े सवाल भी पूछ चुकी है। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने पिछले दिनों टिकटॉक से स्पष्टीकरण मांगा था कि इन सोशल मीडिया मंचों का इस्तेमाल करने के लिये बच्चों की न्यूनतम आयु 13 साल क्यों रखी गई है जबकि भारत में 18 साल से कम आयु वाले को बालक माना गया है।
इसी कारण से भारत में कुछ समय के लिए मद्रास हाई कोर्ट ने इस एप को प्रतिबंधित भी कर दिया था। हालांकि, जब इस एप ने लिखित में कोर्ट को यह विश्वास दिया कि वह अपने प्लेटफॉर्म पर नियंत्रण को और मजबूत करेगा, तो मद्रास हाई कोर्ट ने इस प्रतिबंध को हटा दिया था। सरकार को इस एप पर और कड़े एक्शन लेने की जरूरत है ताकि लोगों के डेटा की सुरक्षा को मजबूत किया जा सके। सरकार को टिकटॉक, हुवावे और अन्य ऐसी सभी कंपनियों पर लगाम लगानी ही चाहिए जो लोगों के डेटा का अवांछित इस्तेमाल करने की मंशा रखती हैं।