विश्व बैंक ने चीन में अल्पसंख्यक मुस्लिम उइगरों के साथ हो रहे अत्याचारों के बाद निर्णय लिया है कि वे चीन में व्यवसायिक स्कूलों को आर्थिक मदद करना बंद करेंगे। न्यूज एजेंसी रायटर की एक रिपोर्ट के अनुसार- विश्व बैंक अब उन कैंपो को मदद नहीं करेगी जिन्हें वे मॉनिटर नहीं कर सकते, क्योंकि वे इस पर रिस्क नहीं लेना चाहते।
विश्व बैंक ने सोमवार को कहा कि वह पांच भागीदार स्कूलों को शामिल करने वाली एक प्रोजेक्ट को बंद कर देगा, जो कि आरोपों के बाद 50 मिलियन डॉलर के ऋण कार्यक्रम का हिस्सा थे, जोकि उइगर अल्पसंख्यकों को कथित रूप से शिक्षा प्रदान करने के लिेए चलाए जा रहे थे।
दरअसल, शिक्षा देने के नाम पर जो राशि चीन विश्व बैंक से उधार लेता था वह उसका अन्य कामों में प्रयोग करता था, जैसे कंटिले तार, गैस लॉन्चर और बख्तर आदि पर पैसे खर्च करता था। यह आरोप फॉरेन पालिसी की एक रिपोर्ट में प्रकाशित हुई थी जिसके बाद विश्व बैंक समीक्षा कर रहा था।
इसी साल अगस्त महीने में विश्व बैंक ने उइगर मुस्लिमों की शिक्षा के लिए करीब 50 मिलियन डॉलर जारी किया था। इन पैसों से उइगर मुस्लिमों को व्यवसायिक शिक्षा देना था। हालांकि चीन ने ऐसा नहीं किया। फॉरेन पालिसी की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि 30 हजार डॉलर का प्रयोग चीन ने सुरक्षा के सामानों को खरीदने में खर्च कर दिया। इसमें चीन ने आंसू गैस, कंटिले तार, बॉडी आर्मर आदि की खरीदारी पर पैसे खर्च किए।
विश्व बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा की गई समीक्षा में आरोपों की पुष्टि नहीं की गई, लेकिन यह फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि जिन स्कूलों की समीक्षा करना संभव नहीं है उनके प्रोजेक्ट्स हम बंद कर देंगे। उन्होंने कहा कि हम जोखिम नहीं ले सकते।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने मंगलवार को एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा, “रिपोर्ट से पता चलता है कि विदेशी मीडिया द्वारा लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं, और वे विश्व बैंक की नीति के अनुसार ही काम कर रहे हैं।”
चीनी सरकार का यह मानना है कि उसने सभी लोगों को पूरी धार्मिक स्वतन्त्रता दी हुई है, हालांकि यह भी सच्चाई है कि उसने पिछले कुछ समय से मुस्लिमों पर बेतहाशा पाबंदी लगाई हुई है। संयुक्त राष्ट्र और अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक, चीन के नजरबंदी शिविरों में मुस्लिम उइगर अल्पसंख्यक समुदाय से करीब 10 लाख से ज्यादा को शिविरों में बंधक बनाकर रखा गया है। वहीं चीन इस पर यह तर्क देता है कि उन्हें कट्टरवाद और अशिक्षा से आजादी दिलाने के लिए कैंपो में रखा गया है।
इससे पहले संयुक्त राष्ट्र संघ की टीम ने चीन का दौरा किया था। टीम ने कहा था और चीन में मुसलमानों की स्थिति पर चिंता व्यक्त किया था। उन्होंने कहा था कि ये समझ के बाहर है कि उइगर समुदाय के लोगों को चीन ने री एजुकेशन कैंप में क्यों रखा है? चीन ने उइगर मुस्लिमों को बुनियादी अधिकारों से वंचित कर रहा है इसपर अमेरिका के दोनों प्रमुख दल रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टी के सांसदों ने अपनी चिंता भी व्यक्त की थी। इसके अलावा उन्होंने कहा था कि चीन में मुसलमानों के साथ जो बर्ताव किया जा रहा है इसके लिए सभी को एक मंच पर आकर इसका विरोध करना होगा लेकिन इस्लामिक देशों ने इसपर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
ऐसे में विश्व बैंक की यह कार्रवाई काफी सराहनीय है, चीन हमेशा से विश्व बैंक से पैसे लेकर उइगर मुसलमानों पर अत्याचार करता रहा है। जिसके लिए विश्व बैंक को काफी आलोचना भी झेलनी पड़ी थी। कई देशों का तो यह भी कहना था कि चीन जैसे धनी देश को अपने अल्पसंख्यकों पर खर्च करने के लिए विश्व बैंक से क्यों पैसा लेना पड़ रहा है? चीन उन्हें शिक्षा देने के नाम पर विश्व बैंक से पैसा तो लेता है लेकिन उनका खर्च उन्हें प्रताड़ित करने पर करता है। ऐसे में विश्व बैंक को इस प्रोजेक्ट के तहत अपने सारे करार खत्म कर देने चाहिए।