कांग्रेस ने कल मंदिर के समर्थन की बात कही थी लेकिन उनका मुखपत्र तो कुछ और ही कहता है

नेशनल हेराल्ड ने आपत्तिजनक कार्टून छाप दी

सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोध्या मामले पर लिए गए फैसले से जहां एक तरफ पूरे देश में उत्साह का माहौल है, तो वहीं कोर्ट के इस फैसले ने कांग्रेस को कुंठित कर दिया है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह वही कांग्रेस है जिसने वर्ष 2007 में कोर्ट में कहा था कि भगवान राम का कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं मिलता है। हालांकि, कल जब इस फैसले का चारों ओर स्वागत किया जा रहा था, तो कांग्रेस ने भी लोगों को बधाई संदेश दिया।

कांग्रेस के प्रवक्ता ने मीडिया के सामने आकर यह तक कहा कि वे अयोध्या में राम मंदिर बनता देखना चाहते हैं। कांग्रेस के इस बधाई संदेश को एक दिन भी नहीं बीता था कि आज कांग्रेस के मुखपत्र नेशनल हेराल्ड ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर आपत्तिजनक कार्टून ट्विटर पर पोस्ट किया। इसके साथ ही नेशनल हेराल्ड ने यह भी लिखा कि क्या अब अयोध्या की वह ज़मीन इस लायक भी है कि वहां खड़े होकर प्रार्थना की जा सके।

आज नेशनल हेराल्ड ने सुबह-सुबह ट्विटर पर एक आर्टिकल पोस्ट किया जिसके साथ उसने लिखा ‘क्या भगवान उस मंदिर में रह सकते हैं जिसे बल, हिंसा और रक्तपात के सहारे बनाया गया हो? और भगवान उसमें रह भी लें, तो उस स्थान पर खड़े होकर प्रार्थना की जा सकती है?’ इसके साथ ही नेशनल हेराल्ड ने एक फोटो पोस्ट की, जिसमें एक तरफ वर्ष 1992 में कुछ लोगों को बाबरी मस्जिद ढहाते हुए दिखाया गया है, तो वहीं दूसरी तरफ वर्ष 2019 में सुप्रीम कोर्ट की फोटो को दिखाया गया है और उसपर लिखा है ‘जिसकी लाठी, उसकी भैंस’।

बता दें कि नेशनल हेराल्ड उसी कांग्रेस का मुखपत्र है जिसने कल सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का समर्थन किया था। कल कांग्रेस ने कहा था ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अयोध्या मामले में उच्चतम न्यायालय के निर्णय का सम्मान करती है। हम सभी संबंधित पक्षों और सभी समुदायों से निवेदन करते हैं कि वे भारत के संविधान में स्थापित ‘‘सर्वधर्म समभाव” तथा भाईचारे के उच्च मूल्यों को निभाते हुए अमन-चैन का वातावरण बनाए रखें।” यानि कल तक जो कांग्रेस इस फैसले का सम्मान कर रही थी, वह आज राम जन्म भूमि को प्रार्थना करने के लायक भी नहीं समझती है। कांग्रेस का इस तरह हिंदुओं की भावनाओं का मज़ाक उड़ाना बेहद शर्मनाक है और कांग्रेस को अभी इस पूरे मामले पर अपना स्पष्टीकरण देने की ज़रूरत है।

हालांकि, अयोध्या मामले पर कांग्रेस की इस हिपोक्रिसी से किसी को कोई आश्चर्च भी नहीं होना चाहिए। यह वही कांग्रेस है जो समय-समय पर भगवान राम के अस्तित्व को नकारती आई है। वर्ष 2007 में यूपीए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपने हलफनामे में कहा था कि राम के बारे में कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं हैं और इस बात के कोई पुख्ता साक्ष्य नहीं हैं कि ‘राम-सेतु’ का निर्माण पौराणिक चरित्रों द्वारा किया गया। इसी तरह यूपीए सरकार में उनकी पार्टनर रही डीएमके पार्टी ने सरेआम श्रीराम को अपमानित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। श्रीराम के चरित्र पर प्रश्न चिन्ह लगाना हो, या फिर श्री राम को दुष्ट बता राम लीला के कलाकारों का तमिलनाडु में अपमान करना हो, डीएमके ने तो मानो श्रीराम का नाम इतिहास से मिटाने की ठान ले थी। इसके अलावा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने तो यह बयान दिया था कि जो लोग मंदिर जाते हैं, वे लड़कियों को छेड़ते हैं।

जिस कांग्रेस की ओर से समय-समय पर ऐसे हिन्दू-विरोधी बयान आते रहते हों और जिस पार्टी की सरकार खुलकर राम विरोधी रुख अपना चुकी हो, उस पार्टी से हम उम्मीद भी क्या कर सकते हैं।

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