चीन को भारत की एक और धोबी-पछाड़, वनीला आइलैंड के बाद अब मेडागास्कर में दिखा ‘Modiplomacy’ का जादू

मेडागास्कर

अफ्रीका और दक्षिण एशिया क्षेत्र में चीन के प्रभाव को चुनौती देने की दृष्टि से भारत ने अब एक और बड़ा कूटनीतिक कदम उठाया है। चीन को अफ्रीका में सैन्य और आर्थिक तौर पर चुनौती देने के साथ ही अब भारत ने पश्चिमी हिन्द महासागर देश मेडागास्कर में डिफेंस अताशे की तैनाती की है। बता दें कि भारतीय दूतावासों में राजदूत के अलावा सैन्य मामलों के लिए एक डिप्लोमैट की तैनाती की जाती है। इन्हें डिफेंस अताशे कहा जाता है। आमतौर पर इस पद पर मिलिट्री से जुड़े लोगों को ही तैनाती दी जाती है। अब मेडागास्कर में डिफेंस अताशे की नियुक्ति इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि अभी मौजूदा मेडागास्कर सरकार का झुकाव सेना की ओर ज़्यादा है। दरअसल, इस देश के मौजूद राष्ट्रपति ने वर्ष 2009 में जब देश में सैन्य तख़्तापलट किया था, तो इनके पास सत्ता आ गयी थी। ऐसे में इन्हें सेना का खास माना जाता है। अब वहाँ डिफेंस अताशे की नियुक्ति कर भारत ने इस देश के साथ कूटनीतिक रिश्तों में बढ़ोतरी करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है।

पिछले कुछ समय में भारत सरकार ने हिन्द महासागर में पड़ने वाले देशों पर प्रभाव बढ़ाने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं। इस महीने की शुरुआत में विदेश मंत्रालय ने हिंद महासागर के देशों श्रीलंका, मालदीव, मॉरीशस और सेशेल्स को एक डिविजन के अंतर्गत लाने का फैसला लिया था। विदेश मंत्रालय ने इसके लिए इंडियन ओशियन रीजन डिविजन के गठन का भी फैसला लिया था। यह डिविजन पश्चिमी हिंद महासागर के देशों मेडागास्कर, कोमोरोस और फ्रेंच रीयूनियन के मामलों को भी डील करेगा। अभी चीन भी इस इलाके में कूटनीतिक घुसपैठ करने की कोशिश कर रहा है। वह इलाके को अफ्रीका के गेटवे के तौर पर देखता है। ऐसे में इन देशों के साथ भारत के मजबूत कूटनीतिक संबंध चीन के लिए किसी बुरे सपने से कम साबित नहीं होंगे।

मेडागास्कर में अभी इस नई कूटनीतिक चाल के अलावा भारत इस क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए कई कदम उठा चुका है। इसी वर्ष अक्टूबर में भारतीय उप-राष्ट्रपति ने वनीला द्वीप समूह देशों का दौरा किया था, जिसे रणनीतिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण माना गया था। वेनिला द्वीप में भारतीय हिन्द महासागर के कोमोरोस, मेडागास्कर, मॉरीशस, मैयट, रीयूनियन, और सेशेल्स शामिल हैं और यह सभी मोजाम्बिक चैनल के आसपास भौगोलिक रूप से स्थित है।

इस प्रकार इन सभी द्वीपों का अफ्रीकी देशों के साथ व्यापार के संबंध में एक महत्वपूर्ण रणनीतिक स्थान है। इसके अलावा सेशेल्स में मार्च 2016 से तटीय रडार चालू है और इस द्वीप देश ने भारत को पिछले साल द्वीप पर मिलिट्री इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करने की भी अनुमति दी है, जो दर्शाता है कि भारत रणनीतिक रूप से स्थित द्वीप देश के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने में सक्षम है। मॉरीशस के डिएगो गार्सिया (Diego Gracia ) में स्थित अमेरिकी बेस के उपयोग पर छूट मिलने से इस रणनीतिक लाभ को और बढ़ावा मिला है। वहीं भारत और फ्रांस के बीच एक लॉजिस्टिक एक्सचेंज समझौते को अंतिम रूप देने से पूर्व में रीयूनियन द्वीप तक पहुंच प्राप्त हो जाएगी, जो कि वेनिला द्वीप में एक फ्रांस अधिकृत द्वीप है। यानि भारत अरब सागर के दक्षिणी छोर पर भी चीन पर कई-सौ गुना भारी पड़ता है।

भूमध्य सागर और लाल सागर को जोड़ने वाली स्वेज नहर के निर्माण के कारण वेनिला द्वीप समूह ने अपने रणनीतिक महत्व को खो दिया था। हालाँकि, एशियाई महाशक्ति जैसे चीन, जापान और भारत के उभरने के साथ ही वैनिला द्वीप के देशों का एक बार फिर से सामरिक महत्व बढ़ गया है। इन एशियाई शक्तियों की विश्व में आर्थिक उन्नति के लिए अफ्रीकी संसाधन महत्वपूर्ण हैं। नए उभरते भू-राजनीतिक समीकरणों में, ये द्वीपीय देश अपने नए रणनीतिक महत्व को पहचान रहे हैं और इसलिए विश्व की उभरती शक्तियों के साथ भागीदारी के लिए आगे बढ़ रहे हैं।

भारत द्वारा मेडागास्कर में डिफेंस अताशे की नियुक्ति से इस क्षेत्र में कूटनीतिक लिहाज से भारत को चीन पर बढ़त मिलना तय है। अफ्रीका से व्यापार करने वाले देशों के लिए ये क्षेत्र और भी ज़्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि इसी इलाके से अधिकतर सामान ट्रांसपोर्ट किया जाता है। अगर इस इलाके पर भारत का कूटनीतिक दबदबा होगा, तो इससे ना सिर्फ भारत अपने विरोधियों पर दबाव बना सकेगा बल्कि इससे भारत को व्यापार करने में भी आसानी होगी।

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