लगता है अजय देवगन आराम करने के मूड में नहीं है। ‘तानाजी’ के ट्रेलर लॉन्च के पश्चात जहां उनहोंने लिबरलों की उम्मीदों पर पानी फेरते हुए हिंसक प्रदर्शनों की निंदा की, तो वहीं ट्रेलर लॉन्च पूर्व सैन्य अफसर एवं सैन्य इतिहासकार मेजर जनरल जीडी बक्शी को न केवल मंच पर उचित स्थान दिया, बल्कि उनके विचारों को भी सम्मानित किया।
अपने ट्विटर टाइमलाइन पर अजय देवगन ने एक ट्वीट पोस्ट शेयर करते हुए कहा, “आज के जनरल एक अलग समय के युद्ध के बारे में बात करते हुए” –
A general of today's time talking about war in a different time #MajorGeneralBakshi@itsKajolD #SaifAliKhan @omraut @itsBhushanKumar @SharadK7 @ADFFilms @TSeries @TanhajiFilm pic.twitter.com/DeN5w9MYAW
— Ajay Devgn (@ajaydevgn) December 18, 2019
इस ट्वीट में अजय देवगन ने ट्रेलर लॉन्च के दौरान मेजर जनरल जीडी बक्शी को अपने विचार प्रस्तुत करने को कहा, जिसपर मेजर जनरल बक्शी बोले, “सर्वप्रथम मैं अजय का आभार प्रकट करता हूँ, जिन्होने सिल्वर स्क्रीन पर हमारे सैन्य शक्ति के पुनरुत्थान को जीवंत करने का प्रयास किया है। 13वीं सदी से 16वीं सदी तक हमने एक के बाद एक कई आक्रमण और कई पराजय झेलने पड़े हैं। हमारे नगर जलाए गए, हमारे मंदिरों को ध्वस्त किया गया, और हमारी महिलाओं के साथ दुष्कर्म किया गया”। पराजय की पराकाष्ठा ने जब सारी सीमा पार कर दी, तो वहां से हमारा पुनरुत्थान शुरू हुआ, और पता है किसने शुरू किया? दक्षिण में छत्रपति शिवाजी महाराज ने, उत्तर में गुरु गोबिन्द सिंह और पूर्व में लाचित बरफूकन ने। मैं अजय का आभार प्रकट करता हूं जो उन्होंने इतिहास के उस पक्ष को सामने रखा, जिसे जानबूझकर भुला दिया गया”।
मेजर जनरल जीडी बक्शी ने बात भी उचित कही। अजय देवगन ने इससे पहले ‘तानाजी’ के प्रोमोशन के दौरान बताया था कि वे केवल तानाजी मालुसरे तक ही सीमित नहीं रहेंगे, अपितु उनके साथ देश के ऐसे कई नायकों की एक फ्रैंचाइज़ बनाना चाहते हैं, जिन्हें मार्क्सवादी इतिहासकारों ने जानबूझकर हमसे छुपाए रखा। उनके अगले कुछ प्रोजेक्ट इसी तरफ इशारा भी करते हैं।
उनकी अगली फिल्म ‘भुज – द प्राइड ऑफ इंडिया’ 1971 के युद्ध में 300 गुजराती ग्रामीण महिलाओं द्वारा भुज एयरबेस के पुनर्निर्माण की शौर्यगाथा है, तो एसएस राजामौली द्वारा निर्देशित ‘आरआरआर’ में अल्लूरी सीताराम राजू और कोमराम भीम के शौर्य का चित्रण किया जाएगा, जिसमें अजय देवगन भी एक अहम भूमिका निभा रहे हैं। इतना ही नहीं, वे नीरज पाण्डेय द्वारा निर्देशित बायोपिक में अखंड भारत के जनक और प्रखर राजनीतिज्ञ, आचार्य विष्णुगुप्त अथवा चाणक्य की भूमिका भी निभाएंगे।
बता दें कि मेजर जनरल गगन दीप बक्शी एक बड़े ही सम्मानित सैन्य अफसर हैं, जिनके परिवार ने निरंतर देश की सेवा में अपना सर्वस्व अर्पण किया जाया। उनके बड़े भाई कैप्टन रमन बक्शी 1965 के भारत पाक युद्ध के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए थे। मेजर जनरल जीडी बक्शी ने कश्मीर में राजौरी पुंछ क्षेत्र में कई आतंक रोधी ऑपरेशन्स के अंतर्गत आतंकी गतिविधियों पर लगाम लगाने में काफी सफलता पायी थी।
1999 के कारगिल युद्ध में अपनी सेवाओं के लिए उन्हें विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया गया था। वे एक कुशल सैन्य इतिहासकार और लेखक भी हैं, जिन्होंने राष्ट्रीय अखंडता का समर्थन करते हुए कई पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें ‘सीज़ ऑफ वारवान’, ‘महाभारत – अ मिलिट्री एनालिसिस’, ‘बोस – द इंडियन समुराई’ कुछ प्रमुख उदाहरण हैं।
परंतु जीडी बक्शी और बॉलीवुडिया लिबरलों में छत्तीस का आंकड़ा रहता है, क्योंकि मेजर जनरल जीडी बक्शी हमेशा से ही भारत तोड़ो ब्रिगेड के विरुद्ध अपनी आवाज़ बुलंद किए हुए हैं। जनवरी 2019 में मेजर जनरल जीडी बक्शी कश्मीर पर एक व्याख्यान देते समय आतंकियों के उल्लेख पर उग्र हो उठे और उन्होंने अपने व्याख्यान में पूछा कि ‘क्या कश्मीर कोई वेश्यालय है कि कोई भी मुंह उठा कर चले आए’।
इस पर लिबरल्स ने उन्हें भला बुरा कहना शुरू कर दिया और स्वरा भास्कर जैसे लोगों ने तो उन्हें GD Bakshi is a National Embarassment कहा था। इसी कड़ी में कुछ हफ्तों बाद जब एयर विस्तारा ने मेजर जनरल जीडी बक्शी के साथ एक फोटो अपने ट्विटर अकाउंट पर अपलोड की, तो इन्हीं लिबरलों ने एयर विस्तारा को अपना ट्वीट डिलीट करने पर विवश कर दिया, जिसके लिए उन्हे बाद में काफी आलोचना भी झेलनी पड़ी।
ऐसे में अजय देवगन जैसे हस्ती का मेजर जनरल जीडी बक्शी को अपने फिल्म के ट्रेलर लॉन्च पर बुलाना और उन्हें आदरपूर्वक अपने विचार प्रकट करने के लिए उचित मंच देना हमारे वामपंथियों को एक स्पष्ट संदेश भेजता है, कि अजय उन लोगों में से नहीं है जो सस्ती लोकप्रियता के लिए राष्ट्रहित और नैतिकता की बलि चढ़ाते फिरें। हाल ही में उन्होंने CAA पर हो रहे प्रदर्शनों के बारे में स्पष्ट जवाब दिया, “देखिए, यह एक लोकतन्त्र है, यहां सभी को अपना मत रखने का अधिकार है। अब प्रशासन का अपना मत हो सकता है और विरोधियों का अपना। अपनी बात मनवाने के लिए हिंसा का प्रयोग करना मैं उचित नहीं मानता। लड़ने की बजाए आपसी बातचीत से अपनी समस्या सुलझा सकते हैं। किसी कारण से आम जनता को नुकसान हो, ये नहीं चलेगा”।
इससे स्पष्ट होता है कि जहां एक ओर बॉलीवुड का एलीट वर्ग देश को तोड़ने और तनाव भड़काने के लिए एड़ी चोटी का ज़ोर लगा रहा है, तो वहीं अजय देवगन जैसे कुछ लोग भी हैं, जिनके लिए राष्ट्रहित सर्वोपरि है और रहेगी।