अमित शाह राज्य सभा में आए, विपक्ष को धोया और बिल पारित करा निकल लिए

अमित शाह

PC: AajTak

बीते सोमवार को नागरिकता संशोधन बिल लोकसभा से पास होने के बाद कल यानि बुधवार को यह बिल राज्यसभा से भी पास हो गया। अमित शाह ने इस बिल को पेश करने के दौरान यह स्पष्ट किया कि यह बिल अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए पीड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान करने के लिए है, और इसके जरिये किसी भी भारतीय मुसलमान को कोई परेशानी नहीं पहुंचेगी। उनके भाषण में जहां एक तरफ उन्होंने विपक्ष के खोखले दावों की धज्जियां उड़ाई, तो दूसरी तरफ उन्होंने देश के सामने तथ्यों के साथ अपनी बात रखी। आइए देखते हैं जब अमित शाह ने राज्यसभा में खड़े होकर विपक्ष के एक-एक सवाल का जोरदार तरीके से जवाब दिया। इसके साथ ही अमित शाह ने धर्मनिरपेक्षता की बजाए पंथनिरपेक्षता पर जोर दिया और कहा कि आपकी पंथनिरपेक्षता सिर्फ मुस्लिमों पर आधारित होगी लेकिन हमारी पंथ निरपेक्षता किसी एक धर्म पर आधारित नहीं है।

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सबसे पहले उन्होंने इस बिल का विरोध कर रही कांग्रेस को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा ‘यह बिल कभी संसद में न आता, अगर भारत का बंटवारा न हुआ होता। बंटवारे के बाद जो परिस्थितियां आईं, उनके समाधान के लिए मैं यह बिल आज लाया हूं। पिछली सरकारें समाधान लाई होतीं तो देश का विभाजन न हुआ होता और धर्म के आधार पर न हुआ होता, तो भी यह बिल न लाना होता’। इस बिल को लेकर शिवसेना के दोहरे चरित्र पर भी शाह ने हमला बोला। उन्होंने कहा,

“लोग सत्ता के लिए कैसे-कैसे रंग बदल लेते हैं। शिवसेना ने लोकसभा में बिल का समर्थन किया तो फिर एक रात में ऐसा क्या हो गया जो आज विरोध में खड़े हैं”।

इसके बाद उन्होंने उन सभी लोगों को जवाब दिया जो बार बार इस बिल को नेहरू-लियाकत समझौते का उल्लंघन बता रहे हैं। उन्होंने कहा ‘नेहरू-लियाकत समझौते के तहत दोनों पक्षों ने स्वीकृति दी कि अल्पसंख्यक समाज के लोगों को बहुसंख्यकों की तरह समानता दी जाएगी। उनके व्यवसाय, अभिव्यक्ति और पूजा करने की आजादी भी सुनिश्चित की जाएगी। यह वादा अल्पसंख्यकों के साथ किया गया लेकिन वहां लोगों को चुनाव लड़ने से भी रोका गया। उनकी संख्या लगातार कम होती रही और यहां राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, चीफ जस्टिस जैसे कई उच्च पदों पर अल्पसंख्यक रहे। यहां अल्पसंख्यकों का संरक्षण हुआ’।

यह कांग्रेस की मुस्लिम ध्रुवीकरण की राजनीति ही है जिस वजह से उसे इस बिल का विरोध करने पर मजबूर होना पड़ रहा है। अमित शाह ने कल इसी बात को राज्यसभा में उठाया। उन्होंने कहा ‘विपक्ष का ध्यान सिर्फ इस बात पर कि मुस्लिम को क्यों नहीं लेकर आ रहे हैं? आपकी पंथनिरपेक्षता सिर्फ मुस्लिमों पर आधारित होगी लेकिन हमारी पंथ निरपेक्षता किसी एक धर्म पर आधारित नहीं है। इस बिल में उनके लिए व्यवस्था की गई है जो पड़ोसी देशों में धार्मिक आधार पर प्रताड़ित किए जा रहे हैं। ऐसे लोगों को यहां की नागरिकता देकर हम उनकी समस्या को दूर करने के प्रयास कर रहे हैं। आज नरेन्द्र मोदी जी जो बिल लाए हैं, उसमें निर्भीक होकर शरणार्थी कहेंगे कि हां हम शरणार्थी हैं, हमें नागरिकता दीजिए और सरकार नागरिकता देगी’।

बिल पर चर्चा के दौरान कांग्रेस के नेता कपिल सिब्बल ने अमित शाह पर तंज़ कसते हुए कहा था कि उनसे देश का कोई मुसलमान नहीं डरता है बल्कि वह इस देश के संविधान से डरता है जिसकी आप धज्जियां उड़ा रहे हैं। इसपर अमित शाह ने उन्हें जवाब देते हुए कहा “कपिल सिब्बल कह रहे थे कि मुसलमान आपसे नहीं डरता है। मैं भी तो यही कह रहा हूं कि भारत में रहने वाले किसी भी अल्पसंख्यक को, विशेषकर मुस्लिम भाइयों और बहनों को डरने की जरूरत नहीं है। इस बिल से किसी की नागरिकता छिनने नहीं जा रही है। इस देश के गृह मंत्री पर सभी का भरोसा होना चाहिए, चाहे वो बहुसंख्यक हो या अल्पसंख्यक”। 

यही नहीं अमित शाह ने सदन में कांग्रेस की हिपोक्रिसी को भी एक्सपोज किया और कहा, ‘जब इंदिरा जी ने 1971 में बांग्लादेश के शरणार्थियों को स्वीकारा, तब श्रीलंका के शरणार्थियों को क्यों नहीं स्वीकारा। समस्याओं को उचित समय पर ही सुलझाया जाता है। इसे राजनीतिक रंग नहीं देना चाहिए’।

आर्टिकल 14 पर सरकार के विचार को रखते हुए उन्होंने कहा, ‘आर्टिकल 14 में जो समानता का अधिकार है वह ऐसे कानून बनाने से नहीं रोकता जो रीजनेबल क्लासिफिकेशन के आधार पर है। यहां रीजनेबल क्लासिफिकेशन आज है। हम एक धर्म को ही नहीं ले रहे हैं, हम तीनों देशों के सभी अल्पसंख्यकों को ले रहे हैं और उन्हें ले रहे हैं जो धर्म के आधार पर प्रताड़ित हैं’। 

रोहिंग्या मुद्दे पर किये गये सवाल का जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा, ‘जहां तक रोहिंग्या का सवाल है तो वे लोग सीधे हमारे देश में नहीं आते हैं। वे पहले बांग्लादेश जाते हैं फिर वहां से घुसपैठ करके आते हैं। रोहिंग्याओं पर हमारा मत एक स्पष्ट है’। वहीं पूर्वोत्तर में इस बिल को लेकर जो झूठ फैलाया जा रहा था और तथ्यों को गलत तरीके से पेश कर उन्हें भड़काने का प्रयास किया जा रहा था उसपर स्पष्टि भी अमित शाह ने दिया। उन्होंने कहा ‘मैं सिक्किम और नॉर्थ ईस्ट के लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि आर्टिकल-371 को इस बिल की वजह से कोई दिक्कत नहीं होगी। हम कहीं से भी इस आर्टिकल को नहीं हटाने जा रहे हैं। हम असम समझौते का पूरी तरह पालन करेंगे। असम की संस्कृति की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है और हम इसे पूरा करेंगे’। सभी को इस बिल से जुड़े झूठे प्रचार से बचने का आग्रह करते हुए उन्होंने कहा, ‘मुझे आइडिया ऑफ इंडिया की बात मत बताइए। मैं भी यहीं पैदा हुआ हूं और मेरी सात पुश्तें यहीं पैदा हुई हैं। मुझे आइडिया ऑफ इंडिया का अंदाजा है। इस बिल में मुसलमानों का कोई अधिकार नहीं जाता। ये नागरिकता देने का बिल है, नागरिकता लेने का बिल नहीं है। मैं सबसे कहना चाहता हूं कि भ्रामक प्रचार में मत आइए। इस बिल का भारत के मुसलमानों की नागरिकता से कोई संबंध नहीं है’।

कांग्रेस कैसे पाकिस्तान की भाषा बोलती है उसपर भी उन्होंने कांग्रेस को आड़े हाथों लिया और कहा, ‘कांग्रेस के नेताओं के बयान और पाकिस्तान के नेताओं के बयान कई बार घुलमिल जाते हैं। पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने कल जो बयान दिया और जो बयान आज सदन में कांग्रेस के नेताओंं ने दिए वे एक समान हैं। आर्टिकल-370, एयरस्ट्राइक, कश्मीर और नागरिकता संशोधन विधेयक पर पाकिस्तान के नेताओं और कांग्रेस के नेताओं के बयान एक समान हैं। कांग्रेस के नेताओं के बयान को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने यूएन में कोट किया। पाकिस्तान में हिन्दू-सिख लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन कराया जाता है। अफगानिस्तान में भी अल्पसंख्यकों के खिलाफ इसी तरह के जुल्म किए गए’।

कुल मिलाकर अमित शाह ने जिस तरह से इस बिल पर सरकार का पक्ष रखा वो न केवल तथ्यों से परिपूर्ण था बल्कि हर झूठ को तगड़ा जवाब था।

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