29 और 30 नवंबर को मंगलुरू में साहित्य महोत्सव का आयोजन हुआ। ऐसे साहित्यिक महोत्सव में प्रकार के विचारों का खुलकर स्वागत किया जाता है। पर मंगलुरू साहित्य महोत्सव में एक पत्रकार आनंद रंगनाथन ने जिस तरह चर्चित पत्रकार बरखा दत्त की पोल खोली, वह अपने आप में देखने लायक था।
I can bet you won’t be looking at @smitaprakash even for a second while listening her answer @ARanganathan72’s Hypothetical Question about “what would you do if you found one of your journalists fixing cabinet berths?” #MlrLitFest https://t.co/3HqNbfkPOe
— Yo Yo Funny Singh (@moronhumor) December 1, 2019
महोत्सव में एक पैनल में बरखा दत्त और ए एन आई की स्मिता प्रकाश किसी विषय पर व्याख्यान दे रहे थे। जनता का हिस्सा होने के नाते आनन्द ने ये प्रश्न उठाया-
“स्मिता जी, हम मीडिया के पक्ष और उनके मालिकों की बात कर रहे हैं। अब एक काल्पनिक प्रश्न पूछता हूं। मान लीजिए कि आपका एक कर्मचारी लॉबिंग करते हुए और मंत्रियों की फिक्सिंग करते हुए पकड़ा जाए, तो आपको कैसा लगेगा? क्या आप उसे निष्कासित करोगी?”
स्वाभाविक रूप से स्मिता प्रकाश को इस प्रश्न का उत्तर देने में कुछ समय लगा, क्योंकि ये प्रश्न बरखा को निशाने पर ले रहा था, जो उनसे पांच मीटर दूर भी नहीं बैठी थी।
स्मिता ने फिर उत्तर में कहा, ‘फिक्सिंग हो लॉबिंग हो, या फिर पोजिशनिंग, हम इतने भी प्रभावशाली नहीं। मुझे नहीं लगता कि मेरे साथ काम करने वाले लोग ऐसे काम करेंगे। बात सिर्फ मंत्रालय की फिक्सिंग की नहीं है। अब आप देख सकते हैं कि कई पत्रकार खुले तौर पर इस बारे में किताबों में लिखते हैं कि वे कैसे थे और भारत पाकिस्तान शांति वार्ता का हिस्सा हुए करते थे। कुछ बोलते हैं, मैंने पाकिस्तान के पूर्व प्रधान मंत्री से कहा कि आपको बस सेवा शुरू करनी चाहिए। मैंने पाकिस्तान के पूर्व जनरल से कहा कि आपको अब बातचीत शुरू करनी चाहिए। या कि इस समय चुनाव होने चाहिए। वे वास्तव में खुलकर सामने आ रहे हैं। क्योंकि अब जो हुआ है वह पत्रकारिता में 40-50 साल का अनुभव है, इसलिए उन्हें लगता है कि उन्होंने यह देश की भलाई के लिए किया है। या तो आप रिपोर्ट कर रहे हैं और आप एक पत्रकार हैं, या आप एक ब्रोकर हैं और जो कुछ भी हो सकता है, जो आपके लिए बहुत गौरवशाली है कि आप एक विशेष बात कर रहे हैं, चाहे वह आपके संगठन के लिए हो, चाहे देश के लिए, राष्ट्र के लिए। पर सत्य है कि आप पत्रकार नहीं हैं, आप दलाल हैं। “
I can bet you won’t be looking at @smitaprakash even for a second while listening her answer @ARanganathan72’s Hypothetical Question about “what would you do if you found one of your journalists fixing cabinet berths?” #MlrLitFest https://t.co/3HqNbfkPOe
— Yo Yo Funny Singh (@moronhumor) December 1, 2019
बॉडी लैंग्वेज का जिन्हें ज़रा भी ज्ञान हो, उन्हें पता होगा कि कैसे बरखा इस व्याख्या से असहज महसूस कर रही थी। अंगूठों का अस्वाभाविक हिलना हो, और प्रकाश के जवाब के अंत में, माइक्रोफ़ोन के साथ खिलवाड़, बरखा की असहजता स्पष्ट थी। 2010 में, बरखा दत्त के पकरियर में ‘राडिया टेप्स ’के लीक होने से खलबली मच गई, जिसमें उन्होंने दयानिधि मारन को आईटी मंत्री के रूप में नियुक्त करने के खिलाफ एक दलाल के रूप में काम किया। इसके बाद, ए राजा को डीएमके के निरंतर आग्रह पर पोर्टफोलियो दिया गया। द्रमुक कांग्रेस को केंद्र सरकार बनाने के लिए तभी समर्थन करेगी, जब उसके कुछ सांसदों को कैबिनेट बर्थ दी जाए, और यह बरखा दत्त की दलाली द्वारा अन्य लोगों के बीच सुनिश्चित किया गया था।
यहां यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि आनंद रंगनाथन का प्रकाश से सवाल केवल बरखा के खिलाफ ही नहीं, बल्कि प्रणॉय रॉय के खिलाफ भी है, जिन्होंने बरखा दत्त के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की, और एनडीटीवी के लिए एक पत्रकार के रूप में उसके बाद भी काम किया था।
इस बीच, दर्शकों ने एक सार्वजनिक मंच पर बरखा दत्त के इस रोस्ट का पूरे दिल से आनंद लिया। यह केवल इस तथ्य की पुष्टि करता है कि आज के भारत में कोई भी व्यक्ति किसी से ऊपर नहीं है, और उनके पिछले पाप हमेशा उन्हें परेशान करने के लिए वापस आ जाएंगे।