देश में जब से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सत्ता संभाली है तब से ही वर्षो से चली आ रही कामचोरी की परंपरा को खत्म करते जा रहे हैं। अपनी नीतियों से सभी क्षेत्र में वे अमूलचुल परिवर्तन कर देश की दशा और दिशा दोनों बदलने में लगे है। इसी कड़ी में एक क्षेत्र ऐसा है जहां सबसे अधिक रिफॉर्म की जरूरत थी और वह है नौकरशाही। पीएम मोदी ने इस क्षेत्र में लेटरल एंट्री ला कर धीरे-धीरे रिफॉर्म शुरू का दिया था। एक रिपोर्ट के अनुसार अब केंद्रीय सचिव के पद पर नियुक्ति की प्रक्रिया में बदलाव और इस पद पर IAS के वर्चस्व को समाप्त कदम उठाने जा रही है। द प्रिंट के अनुसार सरकार अब empanelment process को समाप्त करने पर विचार कर रही है जिसके तहत संयुक्त सचिव, अतिरिक्त सचिव और सचिव पद पर नियुक्ति की जाती है।
रिपोर्ट के अनुसार सरकार अब empanelment process को हटा कर advertising के जरिये नियुक्ति करने का प्लान बनाया है। इस प्रक्रिया से सभी अफसरों चाहे वे IAS हो या IPS या फिर IRS या अन्य को एक बराबर का मौका मिलेगा। इससे इन केंद्रीय पदों पर IAS अफसरों का वर्चस्व कम होगा और सभी को बराबर का मौका मिलेगा। सरकार संयुक्त सचिव के स्तर से लेकर सभी पदों के लिए सार्वजनिक विज्ञापन के जरिए खोलने पर विचार कर रही है। विज्ञापन में अधिकारियों के लिए पात्रता के लिए विस्तृत मानदंड होंगे – संयुक्त सचिव, अतिरिक्त सचिव और सचिव के लिए 20 से अधिक वर्षों की सेवा। सभी केंद्रीय सिविल सेवक जो सेवाओं के मानदंडों को पूरा करते हैं, वे पदों के लिए आवेदन करने के लिए स्वतंत्र होंगे।
बता दें कि empanelment process भारत सरकार के संयुक्त सचिव, अतिरिक्त सचिव और सचिव के स्तर पर केंद्रीय स्टाफिंग स्कीम के तहत पदों पर चयन के लिए उपयुक्त अधिकारियों की चयन-सूची तैयार करने की प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया की अक्सर अन्य सेवाओं के अफसरों ने आलोचना की है। उदाहरण के लिए, पिछले साल, भारतीय राजस्व सेवा (IRS) एसोसिएशन ने पीएम नरेंद्र मोदी को इस प्रक्रिया में “पक्षपात” को दर्शाते हुए एक पत्र लिखा था। इस प्रक्रिया में कई बार पक्षपात भी देखने को मिला है।
नए advertising प्रक्रिया के बारे में एक अधिकारी ने बताया कि अगर सरकार का यह नया कदम लागू किया जाता है, तो सभी केंद्रीय सेवाओं के अफसरों को केंद्रीय संयुक्त सचिव, अतिरिक्त सचिव और सचिव के पदों पर नियुक्त होने लिए बराबरी का अवसर मिलेगा। यदि इसे लागू किया जाता है, तो यह प्रक्रिया आईएएस अधिकारियों और अन्य सेवाओं के लोगों के बीच पदोन्नति और नियुक्तियों में बराबरी के मौके देने जैसे दो महत्वपूर्ण उद्देश्य को पूरा करेगी।
वर्ष 2014 में सत्ता संभालने के बाद मोदी सरकार ने सबसे ज्यादा पारदर्शिता लाने पर काम किया। इसके लिए जो भी उचित एक्शन लेना था सरकार ने लिया। कुछ महीनों पहले मोदी सरकार ने नौकरशाही में लेटरल एंट्री (पार्श्विक प्रवेश) योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत 40 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों और अर्थशास्त्र, विमानन वाणिज्य व अन्य क्षेत्रों में 15 साल के अनुभव के साथ संयुक्त सचिव पद पर नियुक्त किया जा सकता है।
ये सच है कि आईएएस और अन्य सिविल सेवा कैडरों में कई कड़ी मेहनत करने वाले और सक्षम व्यक्ति शामिल हैं लेकिन ये भी सच है कि कई अधिकारी सुस्ती, अक्षमता और भ्रष्टाचार में भी सबसे आगे रहे हैं। अब तक भारतीय नौकरशाही के लिए कोई प्रतिस्पर्धा नहीं थी। यह फैसला समय के साथ नौकरशाहों को और बेहतर बनाएगा।
मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में इसी को आगे बढ़ाते हुए इसे और व्यापक बना दिया। सरकार ने यह तय किया कि संयुक्त सचिव पद पर लगभग 40 प्रतिशत अधिकारी सिस्टम के बाहर से लिए नियुक्त किए जाएं। इससे अपने क्षेत्र के विशेषज्ञों को ज्यादा मौका मिलेगा और इससे फायदा देश को ही होगा।
अपने इन सुधारों को आगे बढ़ाते हुए सरकार ने सितंबर में विभिन्न मंत्रालयों में 9 विशेषज्ञों को संयुक्त सचिव के पद पर लेटरल एंट्री के तहत नियुक्त भी किया था। पीएम नरेंद्र मोदी की भारतीय नौकरशाही को पुनर्जीवित करने की योजना निश्चित रूप से पुरानी व्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए एक सकारात्मक कदम है। वर्तमान प्रशासन के प्रयासों से इन प्रतिष्ठित सेवाओं को और बेहतर बनाया जा सकेगा।