सीएए के विरोध की आड़ में अमानतुल्लाह खान, बादशाह मोइत्रा जैसे लोग हिंसा को और भड़का रहे हैं

सीएए

जबसे नागरिकता संशोधन विधेयक को संसद के दोनों सदनों से पारित कराया गया है, तब से नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हिंसक प्रदर्शनों ने समस्त देश का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। पूर्वोत्तर के कई राज्यों में आंशिक कर्फ़्यू अभी भी लगा हुआ है। इन हिंसक प्रदर्शनों ने अब दिल्ली की ओर अपना मुंह मोड लिया है, जहां उपद्रवियों ने कई जगह सार्वजनिक संपत्ति को आग के हवाले किया है। इन सभी बात में एक बात समान रूप से देखी जा सकती है। दरअसल, देश में हिंसा भड़काने और सार्वजनिक सम्पत्तियों को क्षति पहुँचने में विपक्ष के कई अहम चेहरों की प्रमुख भूमिका सामने आ रही है।

असम में स्थिति में काफी सुधार आया है परंतु काँग्रेस और उग्रवादी एआईयूडीएफ ने पूरा प्रयास किया है कि पूरे राज्य को हिंसा की आग में भस्म कर दिया जाये, जिसके लिए वे निरंतर भड़काऊ बयान जारी कर रहे हैं। दोनों पार्टियों के नेताओं के बयान साफ सिद्ध कर रहे हैं कि असम में स्थिति के बिगड़ने के पीछे इन्ही का हाथ है। राज्य में प्रदर्शनों के पीछे दो विद्यार्थी यूनियन प्रमुख रूप से सामने आए हैं, ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन और ऑल असम माइनॉरिटी स्टूडेंट्स यूनियन। इनकी विचारधारा और इनकी मांगों से साफ पता चलता है कि ये वास्तव में क्या चाहते हैं, क्योंकि काँग्रेस के लिए ये मुद्दा केवल असम तक ही सीमित नहीं है।

राहुल गांधी तो खुद पूर्वोत्तर को भड़काते हुए पकड़े गए, जब उन्होने सीएबी के पारित होने को ‘पूर्वोत्तर के नरसंहार का मार्ग प्रशस्त करने’ की बात कही थी। इसमें कोई दो राय नहीं कि काँग्रेस सीएए का उपयोग कर भाजपा की सरकार को गिराना चाहती है, जिसे मुख्यमंत्री सर्बानन्दा सोनोवाल और कद्दावर नेता हिमन्ता बिस्व सरमा सफलतापूर्वक संभाल रहे हैं।

उधर बंगाल में मानो मोदी और अमित शाह की जोड़ी को नीचा दिखाने हेतु ममता बनर्जी की बंगाल सरकार ने उपद्रवियों को खुली छूट दे दी थी। ये अलग बात है कि ममता ने स्वयं कभी एनआरसी और सीएए का समर्थन किया था, जब वामपंथियों के हाथ में बंगाल की सत्ता थी। सीएए और एनआरसी के नाम पर विरोध के बहाने उग्रवादियों ने राज्य को काफी नुकसान पहुंचाया है। इसी हिंसक भीड़ में बंगाली अभिनेता बादशाह मोइत्रा भी हिस्सा लेते हुए पाये गए थे

उनपर एक्शन लेने  की बजाए वरिष्ठ मंत्री और कोलकाता के मेयर फिरहाद हकीम ने उपद्रवियों को भाजपा का काम न आसान करने की सलाह दी। ममता ने राजकोष का उपयोग सीएए और एनआरसी के विरुद्ध प्रदर्शनों को बढ़ावा देने के लिए भी किया है। बंगाली राज्यपाल जगदीप धनकड़ ने भी ममता बनर्जी के इन निर्णयों की निंदा की है।

अब सीएए के विरुद्ध हिंसक प्रदर्शन दिल्ली तक पहुँच चुके हैं। जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के उपद्रवी छात्रों ने कैम्पस को सीएए के विरुद्ध हो रहे हिंसक प्रदर्शनों का प्रमुख केंद्र बना दिया है। उन्होने इसे सांप्रदायिक रंग देते हुए अल्लाह हू अकबर के नारे भी लगाए। बात केवल यहीं पे नहीं रुकी, उपद्रवियों ने राष्ट्रीय राजधानी में आगजनी करते हुए 3-4 बसों को आग के हवाले किया, और विश्वविद्यालय परिसर के आसपास से पेट्रोल बम भी बरामद हुए।

दक्षिण दिल्ली के कुछ इलाकों में प्रदर्शन ज़्यादा उग्र हो गया है, जहां 1000 से ज़्यादा प्रदर्शंकारी पुलिस से भीड़ गए और लगभग 50 वाहनों को न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी, मथुरा रोड, जामिया नगर इत्यादि में आग लगा दी गयी। प्रदर्शनों के सांप्रदायिकरण की पुष्टि के तौर पर जामिया मिलिया इसलामिया में ‘हिन्दुत्व से आज़ादी’ और ‘हिंदुओं से आज़ादी’ के नारे लगाए गए, ठीक वैसे ही जैसे 1946 में बंगाल में डाइरैक्ट एक्शन डे के दौरान इस्लामी कट्टरपंथियों ने लगाए थे।

रिपोर्ट यह भी आ रहे हैं कि दिल्ली में जिन जिन जगह हिंसक प्रदर्शन हो रहे थे, उनमें से एक पर आप विधायक अमानतुल्लाह खान भी मौजूद थे। पुलिस सूत्रों की माने तो अभी जांच पड़ताल जारी है, परंतु जैसे ही आम आदमी पार्टी ने अपने विधायक के बचाव में ये आरोप लगाया कि दिल्ली पुलिस ने आग लगाई है, उनकी पोल खोलने में देश की जनता को ज़्यादा समय नहीं लगा। दिल्ली इकाई के भाजपा प्रमुख एवं भोजपुरी कलाकार मनोज तिवारी कहते हैं, “आप के विधायक अरविंद केजरीवाल के कहने पर ऐसे घिनौने काम कर रहे हैं। इस देश के अल्पसंख्यक आप जैसे गद्दारों के झांसे में नहीं आएंगे। दिल्ली के लोग आप को सबक सिखाएँगे। आप के पाप अब खुलकर सामने आने वाले हैं”।

जुलाई में आम आदमी पार्टी के एक अन्य मंत्री इमरान हुसैन एक मंदिर को क्षतिग्रस्त करने वाली भीड़ को उकसाते हुए पाये गए थे, परंतु उनके विरुद्ध भी अरविंद केजरीवाल के आम आदमी पार्टी ने कोई एक्शन नहीं लिया। असम में और उपद्रव रोकने के लिए एनआईए ने असम में स्थित कथित भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ता अखिल गोगोई को यूएपीए के संशोधित एक्ट के अंतर्गत हिरासत में लिया था।

यह निस्संदेह काफी शर्मनाक बात है कि विपक्ष के कई अवसरवादी नेता देश के विरुद्ध विद्यार्थियों का सहारा लेकर अपनी कुत्सित मानसिकता का परिचय दे रहे हैं। अब समय आ चुका हैं कि इनके नापाक इरादों का जनता निस्संकोच मुंहतोड़ जवाब दे।

 

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