कर्नाटका ने बांग्लादेशियों पर चाबुक चलाया तो गैर-भाजपा शासित राज्यों में भाग रहे हैं घुसपैठिए

“हे कांग्रेस! हमें अमित शाह और भाजपा से बचा लो”

बांग्लादेशी, घुसपैठिए, एनआरसी

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के गृहमंत्री बनने के बाद से ही वे भारत में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों और रोहिंग्या मुसलमानों को वापस उनके देश भेजने की बात पर अड़े हैं। इस दिशा में अमित शाह देशभर में NRC लागू करने की बात कर रहे हैं। अभी देश में घुसपैठीयों की संख्या करोड़ों में है और ये देश की अर्थव्यवस्था पर बोझ बनकर देश के विकास की गति में कमी का कारण बनते हैं। इसके अलावा इन घुसपैठियों से देश के सामने सुरक्षा का खतरा भी पैदा होता है क्योंकि ऐसे लोग हमेशा आतंकवादी संगठनों के निशाने पर होते हैं ताकि इन्हें पैसे का लालच दिखाकर इनसे मन-मुताबिक काम करवाया जा सके। भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने पिछले कुछ समय में बांग्लादेशियों को देश से बाहर करने में आक्रामकता दिखाई है, जिसका नतीजा यह निकला है कि अब बंगलादेशी घुसपैठिए खुद देश छोड़कर भाग रहे हैं, और जिनके पास देश छोड़ने का पैसा नहीं है, उन्होंने गैर-भाजपा शासित राज्यों में पलायन करना शुरू कर दिया है ताकि वे सरकार के रडार पर आने से बच सकें।

इंडियन एक्सप्रेस की एक लेख के मुताबिक बांग्लादेश से आए अधिकतर लोग कूड़ा बीनने का काम करते हैं, और वे भारत में अपना नाम बदलकर रहते हैं। उदाहरण के तौर पर जब एक व्यक्ति से रिपोर्टर ने नाम पूछा तो उसने अपना नाम मोइनउद्दीन बताया जबकि कुछ दिनों पहले उसी व्यक्ति ने रिपोर्टर को अपना नाम सुमन बताया था। ये लोग कई सालों से ऐसे ही नाम बदलकर भारत में रहते आए थे, लेकिन अब भाजपा-शासित कर्नाटक में ये घुसपैठिए सुरक्षित महसूस नहीं कर पा रहे हैं। कुछ बांग्लादेशी लोगों का यह भी कहना है कि कर्नाटक से वापस बांग्लादेश जाने में उन्हें प्रतिव्यक्ति 15 हज़ार रुपए देने पड़ेंगे, इसलिए वे वापस जाने के बजाय दिल्ली, तमिलनाडु और अन्य गैर-भाजपा शासित राज्यों में पलायन कर रहे हैं।

इससे यह स्पष्ट होता है कि एक तरफ जहां भाजपा शासित राज्यों में इन अवैध प्रवासियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जा रहे हैं, तो वहीं कांग्रेस और अन्य पार्टियों द्वारा शासित राज्यों में इन्हें अब भी पाला-पोसा जा रहा है। चूंकि ये सभी घुसपैठिए एक धर्म विशेष से संबंध रखते हैं, इसलिए धर्म आधारित राजनीति करने वाली कुछ पार्टियां इनके खिलाफ कुछ भी बोलने से डरती हैं ताकि कहीं उनका वोटबैंक उनसे दूर न भाग जाये।

इन प्रवासियों से भारत पर सिर्फ आर्थिक बोझ ही नहीं बढ़ता है, बल्कि ये बांग्लादेशी घुसपैठिए देश के लिए बड़ा सुरक्षा खतरा भी होते हैं। जिस इलाके में ये सक्रिय होते हैं, उस इलाके के बारे में इन्हें सबकुछ पता होता है। यही कारण है कि देश के खिलाफ काम करने वाली ताकतों का भी ये सबसे आसान टार्गेट बन जाते हैं। गरीब होने की वजह से इन्हें पैसे का लालच देकर किसी भी जगह की महत्वपूर्ण जानकारियां जुटाई जा सकती हैं।

वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस जैसी पार्टियां इन्हें लुभाने का कोई मौका नहीं छोड़ती हैं। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले जारी किए अपने घोषणापत्र में कांग्रेस ने लिखा था ‘कांग्रेस अंतरराष्ट्रीय संधियों और सम्मेलनों के अनुरूप नागरिक शरण कानून पारित करने का वायदा करती है’। यानि अगर कांग्रेस सरकार सत्ता में आएगी तो वह इन अवैध रूप से रह रहे घुसपैठियों को देश में शरण देने का काम करेगी। कांग्रेस के घुसपैठिए-प्रेम को ये बांग्लादेशी भी भली-भांति जानते हैं और इसीलिए अब उन्होंने गैर-भाजपा शासित राज्यों में पलायन करना शुरू कर दिया है। इन घुसपैठियों को देश से भगाना सिर्फ भाजपा की ही नहीं, बल्कि अन्य पार्टियों और सरकारों की भी ज़िम्मेदारी है, तभी देश अपने आप को इन घुसपैठियों से मुक्त करवा पाएगा।

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