पुलिस को वास्तव में देखें तो आम जनता से अधिक ताकत होती हैं। किसी भी भीड़ को काबू में करने के लिए इतनी शक्ति होती है कि अगर कोई कानून अपने हाथ में ले तो उसे सबक सीखा सके या अगर कोई व्यक्ति उस पर हमला करे तो वह हमलावर व्यक्ति को गिरफ्तार करे। हाल के नागरिकता संशोधन कानून के बाद हो रहे हिंसात्मक विरोध प्रदर्शन के दौरान पहले दो दिन कई राज्य की पुलिस तो भीड़ के सामने बिलकुल असहाय दिखे थे। बस उत्तर प्रदेश की पुलिस ने अपने सख्त रवैये से हालत काबू में रखा था। हालांकि, शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के कई जिलों में हालात बिगड़ गए और यूपी पुलिस को अपनी कार्रवाई और सख्त करनी पड़ी। इससे कई नागरिकों के घायल होने की भी रिपोर्ट आई है।
गुरुवार को हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक अहम बैठक बुलाई थी। बैठक के बाद योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि “हम उपद्रवी दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे। जो भी हिंसा का दोषी होगा उसकी संपत्तियां सीज की जाएंगी”। इसके बावजूद गोरखपुर, संभल, मुजफ्फरनगर और बिजनौर समेत कई जिलों में पुलिस पर पत्थरबाजी हुई है। कई जगह पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़कर हालात को काबू में करने की कोशिश की। फिरोजाबाद में बेकाबू भीड़ ने नालबंदान पुलिस चौकी फूंक दी।
पर पुलिस अब पूरे एक्शन मोड में दिख रही है और पुलिस पर पत्थरबाजी करने वालों की खूब धुनाई भी हुई है। कई जिलों में प्रदर्शनकारियों के घायल होने और गोली लगने की भी खबर है। कुछ दिनों पहले पत्थरबाजों के सामने असहाय दिखने वाली पुलिस अचानक से सिंघम मोड में दिखाई देने लगी है और इसका कारण मुख्यमंत्री योगी अदित्यनाथ की स्पष्ट नीति है। उनका मानना है कि प्रदर्शनकारी हिंसक नहीं हो सकते और पुलिस पर पत्थरबाजी नहीं कर सकते।
इसी क्रम में बिजनौर के SP संजीव त्यागी की आवाज में एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें उन्होंने स्पष्ट रूप से बताया है कि मुख्यमंत्री से UP Police को सख्त कार्रवाई के आदेश मिले है क्योंकि किसी को भी अधिकार नहीं है कि वो सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाए और पुलिस पर हमले करे।
पुलिस को वास्तव में देखें तो आम जनता से अधिक ताकत होती हैं। किसी भी भीड़ को काबू में करने के लिए इतनी शक्ति होती है कि अगर कोई कानून अपने हाथ में ले तो उसे सबक सीखा सके या अगर कोई व्यक्ति उस पर हमला करे तो वह हमलावर व्यक्ति को गिरफ्तार करे। हाल के नागरिकता संशोधन कानून के बाद हो रहे हिंसात्मक विरोध प्रदर्शन के दौरान पहले दो दिन कई राज्य की पुलिस तो भीड़ के सामने बिलकुल असहाय दिखे थे। बस उत्तर प्रदेश की पुलिस ने अपने सख्त रवैये से हालत काबू में रखा था। हालांकि, शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के कई जिलों में हालात बिगड़ गए और यूपी पुलिस को अपनी कार्रवाई और सख्त करनी पड़ी। इससे कई नागरिकों के घायल होने की भी रिपोर्ट आई है।
गुरुवार को हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक अहम बैठक बुलाई थी। बैठक के बाद योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि “हम उपद्रवी दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे। जो भी हिंसा का दोषी होगा उसकी संपत्तियां सीज की जाएंगी”। इसके बावजूद गोरखपुर, संभल, मुजफ्फरनगर और बिजनौर समेत कई जिलों में पुलिस पर पत्थरबाजी हुई है। कई जगह पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़कर हालात को काबू में करने की कोशिश की। फिरोजाबाद में बेकाबू भीड़ ने नालबंदान पुलिस चौकी फूंक दी।
पर पुलिस अब पूरे एक्शन मोड में दिख रही है और पुलिस पर पत्थरबाजी करने वालों की खूब धुनाई भी हुई है। कई जिलों में प्रदर्शनकारियों के घायल होने और गोली लगने की भी खबर है। कुछ दिनों पहले पत्थरबाजों के सामने असहाय दिखने वाली पुलिस अचानक से सिंघम मोड में दिखाई देने लगी है और इसका कारण मुख्यमंत्री योगी अदित्यनाथ की स्पष्ट नीति है। उनका मानना है कि प्रदर्शनकारी हिंसक नहीं हो सकते और पुलिस पर पत्थरबाजी नहीं कर सकते।
इसी क्रम में बिजनौर के SP संजीव त्यागी की आवाज में एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें उन्होंने स्पष्ट रूप से बताया है कि मुख्यमंत्री से UP Police को सख्त कार्रवाई के आदेश मिले है क्योंकि किसी को भी अधिकार नहीं है कि वो सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाए और पुलिस पर हमले करे।
उन्होंने स्पष्ट कहा कि किसी भी थाने में मज़ाक नहीं झेला जाएगा और सभी को यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी प्रकार की भीड़ न जमा हो सके। उन्होंने पुलिस को हिदायत देते हुए कहा कि सभी को हिंसक भीड़ से निपटने के लिए सख्त निर्देश है और कोई गलत काम नहीं हुआ है। पार्लियामेंट यानि संसद में एक एक्ट पारित हुआ है और इससे बिजनौर के किसी व्यक्ति का कोई अहित नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि किसी को कोई अधिकार नहीं है कि अफवाह के आधार पर अराजकता का माहौल पैदा करे। अगर कोई भी ऐसा करता है चाहे वो कितने भी लोग हैं तो वे सभी गैर कानूनी काम कर रहे हैं और उनके खिलाफ सख्त से सख्त कारवाई होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि मीटिंग में मुख्यमंत्री से स्पष्ट निर्देश मिले है और क्या पुलिस इतनी कायर है कि कोई आपको पत्थर से मारे और आपके साथ मारपीट करे तो आप नहीं मार पा रहे है? उन्होंने ऐसे अपराधियों के हाथ पैर भी तोड़ देने की बात कही।
https://twitter.com/BUnlimted/status/1208122387146764288?s=20
उन्होंने यह भी कहा कि चाहे कोई आपकी वीडियो बनाए या फोटोग्राफी की जा रही हो, आपको सिस्टम का पूरा सपोर्ट मिलेगा। उन्होंने आगे कहा कि अगर आपने उपद्रवियों पर सख्त कार्रवाई की है तो आपको पूरा सपोर्ट किया जाएगा। उन्होंने पुलिस को निर्देश देते हुए यह कहा है कि आप ऐसी कार्रवाई कीजिये कि उपद्रव करने वाले की बुद्धि ठीक हो जाए और देखने वालों की भी।
उन्होंने यह भी कहा कि अगर किसी भी थाने में एक भी पत्थर आ गया और आपने पत्थर फेंकने वाले का हाथपै-र नहीं तोड़ा तो सीधा-सीधा थाना इंचार्ज सस्पेंड हो जाएंगे।
उन्होंने यह भी हिदायत दी कि कोई पुलिस वाला निजी वाहन नहीं उपयोग करेगा और सभी सरकारी वाहन से जाएंगे। साथ ही कहा कि कोई भी पुलिसवाला अपनी वर्दी के अलवा कोई भी अन्य रंग-बिरंगी जैकेट न पहने। अगर कहीं लाठी चार्ज होती है तो वहां अपने दंगा नियंत्रण उपकरण से लैस होने चाहिए। हेलमेट और बॉडी प्रोटेक्टर सहित सभी उपकरण आपके पास होने चाहिए। उन्होंने यह भी हिदायात दी कि अगर किसी पुलिसवाले की फोटो बिना इन सभी उपकरण के आये तो चाहे वो कोई भी अफसर हो उसपर कार्रवाई की जाएगी।
Part -2 pic.twitter.com/2i8t8eJ8jL
— भागल ईकोसिस्टम स्पेशलिस्ट (@BUnlimted) December 20, 2019
इन निर्देशों को सुनने के बाद किसी को भी अंदाजा हो जाएगा कि योगी आदित्यनाथ कानून व्यवस्था को लेकर कितने सख्त है और पुलिस एक्शन मोड में क्यों दिख रही है। सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना विरोध नहीं कहलाता, बल्कि गुंडागर्दी और दंगा-फसाद कहलाता है। यूपी के सीएम ने जिस तरह इन गुंडों को आड़े हाथ लिया है, उसी से इन गुंडों के हौसले पस्त हो सकते हैं। अन्यथा, सरकारी संपत्ति को नुकसान होते देख कई राजनेता सिर्फ राजनीतिक रोटियाँ सेकने में ही विश्वास रखते हैं।
उन्होंने स्पष्ट कहा कि किसी भी थाने में मज़ाक नहीं झेला जाएगा और सभी को यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी प्रकार की भीड़ न जमा हो सके। उन्होंने पुलिस को हिदायत देते हुए कहा कि सभी को हिंसक भीड़ से निपटने के लिए सख्त निर्देश है और कोई गलत काम नहीं हुआ है। पार्लियामेंट यानि संसद में एक एक्ट पारित हुआ है और इससे बिजनौर के किसी व्यक्ति का कोई अहित नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि किसी को कोई अधिकार नहीं है कि अफवाह के आधार पर अराजकता का माहौल पैदा करे। अगर कोई भी ऐसा करता है चाहे वो कितने भी लोग हैं तो वे सभी गैर कानूनी काम कर रहे हैं और उनके खिलाफ सख्त से सख्त कारवाई होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि मीटिंग में मुख्यमंत्री से स्पष्ट निर्देश मिले है और क्या पुलिस इतनी कायर है कि कोई आपको पत्थर से मारे और आपके साथ मारपीट करे तो आप नहीं मार पा रहे है? उन्होंने ऐसे अपराधियों के हाथ पैर भी तोड़ देने की बात कही।
https://twitter.com/BUnlimted/status/1208122387146764288?s=20
उन्होंने यह भी कहा कि चाहे कोई आपकी वीडियो बनाए या फोटोग्राफी की जा रही हो, आपको सिस्टम का पूरा सपोर्ट मिलेगा। उन्होंने आगे कहा कि अगर आपने उपद्रवियों पर सख्त कार्रवाई की है तो आपको पूरा सपोर्ट किया जाएगा। उन्होंने पुलिस को निर्देश देते हुए यह कहा है कि आप ऐसी कार्रवाई कीजिये कि उपद्रव करने वाले की बुद्धि ठीक हो जाए और देखने वालों की भी।
उन्होंने यह भी कहा कि अगर किसी भी थाने में एक भी पत्थर आ गया और आपने पत्थर फेंकने वाले का हाथपै-र नहीं तोड़ा तो सीधा-सीधा थाना इंचार्ज सस्पेंड हो जाएंगे।
उन्होंने यह भी हिदायत दी कि कोई पुलिस वाला निजी वाहन नहीं उपयोग करेगा और सभी सरकारी वाहन से जाएंगे। साथ ही कहा कि कोई भी पुलिसवाला अपनी वर्दी के अलवा कोई भी अन्य रंग-बिरंगी जैकेट न पहने। अगर कहीं लाठी चार्ज होती है तो वहां अपने दंगा नियंत्रण उपकरण से लैस होने चाहिए। हेलमेट और बॉडी प्रोटेक्टर सहित सभी उपकरण आपके पास होने चाहिए। उन्होंने यह भी हिदायात दी कि अगर किसी पुलिसवाले की फोटो बिना इन सभी उपकरण के आये तो चाहे वो कोई भी अफसर हो उसपर कार्रवाई की जाएगी।
Part -2 pic.twitter.com/2i8t8eJ8jL
— भागल ईकोसिस्टम स्पेशलिस्ट (@BUnlimted) December 20, 2019
इन निर्देशों को सुनने के बाद किसी को भी अंदाजा हो जाएगा कि योगी आदित्यनाथ कानून व्यवस्था को लेकर कितने सख्त है और पुलिस एक्शन मोड में क्यों दिख रही है। सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना विरोध नहीं कहलाता, बल्कि गुंडागर्दी और दंगा-फसाद कहलाता है। यूपी के सीएम ने जिस तरह इन गुंडों को आड़े हाथ लिया है, उसी से इन गुंडों के हौसले पस्त हो सकते हैं। अन्यथा, सरकारी संपत्ति को नुकसान होते देख कई राजनेता सिर्फ राजनीतिक रोटियाँ सेकने में ही विश्वास रखते हैं।