12 दिसंबर को ब्रिटेन में हुए चुनावों के नतीजों से यह स्पष्ट हो चुका है, कि अगले पांच सालों तक बोरिस जॉनसन ही ब्रिटेन की कमान संभालने वाले हैं। उनकी कंजरवेटिव पार्टी को यूके संसद के निचले सदन में अपने दम पर बहुमत हासिल हो चुका है। इन चुनावों में यूके की लेबर पार्टी को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा है। माना जा रहा है कि इन चुनावों में भारतीय मूल के लोगों ने कंजरवेटिव पार्टी का समर्थन किया है क्योंकि लेबर पार्टी ने पिछले कुछ समय में कई बार भारत विरोधी रुख को अपनाया था। जिस तरह अब लेबर पार्टी को भारत-विरोध का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है, माना जा रहा है कि अब वही हाल अगले साल लंदन मेयर के चुनावों में पाकिस्तानी मूल के लेबर नेता सादिक़ ख़ान का हो सकता है। जिस तरह सादिक़ ख़ान ने लंदन को पिछले 3 सालों में इस्लामिक अतिवादियों और भारत-विरोध का गढ़ बनाकर छोड़ा है, उसके बाद अब उनका अगले साल होने वाले चुनावों में वही हश्र होना तय माना जा रहा है, जैसा हश्र इन आम चुनावों में लेबर पार्टी के नेता जेरेमी कोर्बिन का हुआ है।
इस वर्ष तो लंदन मानों भारत विरोधी एजेंडा आगे बढ़ाने वालों के लिए आकर्षण का केंद्र बन चुका था। कनाडा के बाद यूके में सबसे ज़्यादा खलिस्तानियों और पाकिस्तानी अतिवादियों को पनाह मिलना शुरू हो गया था। इस वर्ष अगस्त में जब भारत ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाया था, तो लंदन में बड़ी संख्या में पाकिस्तानियों ने गुंडागर्दी की थी और भारतीय दूतावास पर हमला बोला था। इसी वर्ष 3 सितंबर को करीब 10 हज़ार लोगों ने लंदन की सड़कों पर प्रदर्शन किया था और हिंसक प्रदर्शनकारियों ने प्रदर्शन की आड़ में भारतीय हाई कमीशन पर हमला तक कर डाला था। इन प्रदर्शनों में पाकिस्तानी मूल के लोगों के साथ कुछ खालिस्तानी समर्थक लोग भी शामिल थे। इससे पहले 15 अगस्त के मौके पर भी भारतीय हाई कमीशन के सामने ऐसे ही हिंसक विरोध प्रदर्शन देखने को मिले थे।
गौरतलब है कि लंदन के मेयर सादिक़ ख़ान की नाक के नीचे लंदन में भारत-विरोधी ताकतों का प्रभाव काफी बढ़ चुका है। ये प्रदर्शन किसी समान्य जगह पर नहीं, बल्कि ऐसे जगहों पर हो रहे थे जहां पर कई देशों के दूतावास मौजूद हैं, और यहाँ आमतौर पर सुरक्षा व्यवस्था मजबूत मानी जाती है। हालांकि, पाकिस्तानी मूल के लंदन के मेयर सादिक़ ख़ान पर पाक परस्ती के आरोप लगते रहते हैं। वे कहने को तो लंदन के लोगों के मेयर हैं, लेकिन वहां बैठकर वे अपना पाकिस्तानी एजेंडा आगे बढ़ाते हैं।
लंदन में बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोग रहते हैं और वर्ष 2016 के मेयर चुनावों में सादिक़ ख़ान को भारतीय मूल के लोगों ने काफी समर्थन दिया था। हालांकि, पिछले कुछ समय में लेबर पार्टी के रुख के कारण अगले साल ऐसा दोबारा होना निश्चित नहीं दिखाई दे रहा है। जब भारत ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया था, तो यूके की विपक्षी लेबर पार्टी को इससे बहुत तकलीफ पहुंची थी। लेबर पार्टी को पाकिस्तान परस्त माना जाता है, क्योंकि ब्रिटेन में बसे पाकिस्तानी मूल के नागरिक आमतौर पर लेबर पार्टी का ही समर्थन करते हैं। इसी पाकिस्तानी परस्ती में लेबर पार्टी के नेता जेरेमी कोर्बिन ने जहां कश्मीर को लेकर भारत विरोधी बयान दे डाला था, तो वहीं आधिकारिक तौर पर लेबर पार्टी ने एक प्रस्ताव पारित कर भारत सरकार की निंदा भी की थी। यही कारण है कि अब लेबर पार्टी को भारतीय समुदाय के विरोध का सामना करना पड़ा है और उन्हें इन चुनावों में करारी हार मिली है। अब इस ट्रेंड को देखकर यह कहने में ज़रा भी संकोच नहीं होगा कि अगले साल लंदन मेयर के चुनावों में सादिक़ ख़ान भी अपनी सीट गंवा सकते हैं, क्योंकि अब की बार उन्हें भारतीय समुदाय से समर्थन नहीं मिलने वाला है।