वर्ल्ड बैंक द्वारा चीन को लोन दिये जाने के मामले पर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। वर्ल्ड बैंक ने चीन को 2019 के वित्त वर्ष में करीब 1.3 अरब डॉलर (9268 करोड़ रुपए) कर्ज दिया है। जिसकी पहले तो ट्रम्प के वित्त मंत्री स्टीवन मेनुचिन ने आलोचना की, उसके बाद चीन और वर्ल्ड बैंक को खरी-खोटी सुनाने के लिए ट्रम्प खुद मैदान में उतर आए हैं। उन्होंने इस पर ट्वीट किया “क्यों विश्व बैंक चीन को लगातार लोन दे रहा है? यह कैसे हो रहा है? चीन के पास बहुत पैसा है, अगर नहीं है तो वो उसे अर्जित कर सकते हैं। बंद करो इसे”।
Why is the World Bank loaning money to China? Can this be possible? China has plenty of money, and if they don’t, they create it. STOP!
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) December 7, 2019
बता दें कि वर्ल्ड बैंक ने चीन को इस वर्ष करीब 1.3 अरब डॉलर (9268 करोड़ रुपए) का कर्ज दिया है और यह 2017 के 2.4 अरब डॉलर (17,111 करोड़ रु.) के मुकाबले लगभग आधा है। पिछले पांच सालों में विश्व बैंक ने चीन को औसत 1.8 अरब डॉलर (12,833 करोड़ रु.) लोन दिया है। हालांकि, अब वर्ल्ड बैंक ने कहा है कि वह चीन को दिये जाने वाले लोन में बड़ी कटौती करेगा। विश्व बैंक के बोर्ड का कहना है कि हर साल दिया जाने वाला कर्ज जल्द ही कम होगा। वर्ल्ड बैंक में चीन मामलों के निदेशक मार्टिन रेजर ने कहा कि “हम जल्द चीन को दिए जाने वाले कर्ज में कटौती करेंगे, यह हमारे बीच संबंधों के विकास को दर्शाएगा। हमारा जुड़ाव अब सिर्फ कुछ चुनिंदा मुद्दों पर रहेंगे”।
यहां राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा वर्ल्ड बैंक की आलोचना करना बिल्कुल तर्कसंगत है। वर्ल्ड बैंक अभी भी चीन को एक विकासशील देश की तरह ट्रीट करता है, और उसे भारी-भरकम लोन देता है, जबकि चीन के पास भारी-भरकम 3 ट्रिलियन डॉलर के फ़ोरेन करेंसी रिज़र्व मौजूद हैं। इसके अलावा चीन तो छोटे देशों को खुद बड़े-बड़े कर्ज़ देता है, ऐसे में उसे कर्ज़ की क्या ज़रूरत है। हालांकि, इसके बावजूद चीन वर्ल्ड बैंक से लोन लेने वाला सबसे बड़ा देश बना हुआ है। अमेरिका ने अब कहा है कि वर्ल्ड बैंक चीन जैसे देशों के लिए नहीं बल्कि छोटे देशों की भलाई के लिए बनाया गया है। इस मामले पर ट्रम्प प्रशासन का कहना है कि चीन दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है और खुद अपने पैसे से जरूरतें पूरी कर सकता है। वर्ल्ड बैंक को सिर्फ गरीब देशों की भलाई के लिए ही अपने आर्थिक संसाधनों का इस्तेमाल करना चाहिए।
बता दें कि चीन एक तरफ तो वर्ल्ड बैंक से बड़े-बड़े लोन लेता है, फिर उसके बाद अन्य छोटे देशों को अपनी ओर से लोन देकर उन्हें अपने ऋण के जाल में फंसाने की कोशिश करता है। चीन अभी दुनियाभर में अपने बीआरआई प्रोजेक्ट को प्रोमोट कर रहा है, जिसपर वह 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च करने की योजना बना रहा है। ऐसे में उसके द्वारा लोन की मांग करना अब दिखाता है कि उसके पास या तो अमेरिकी डॉलर की कमी हो गयी है, या फिर वह ऐसे ही वेस्ट को बेवकूफ बनाना चाहता है।
अमेरिका और चीन के बीच पहले से ही व्यापार युद्ध जारी है और ऐसे में ट्रम्प के इन बयानों से दोनों देशों के रिश्ते और ज़्यादा बिगड़ सकते हैं। चीन को व्यापार युद्ध की वजह से पिछले लगभग 2 सालों में बहुत नुकसान उठाना पड़ा है जिसके कारण उसके पास अमेरिकी डोलर्स की कमी हो गयी है। इसके अलावा उसकी कंपनियों को मिलने वाले विदेशी निवेश में भी बड़ी कमी देखने को मिली है। जिससे यह स्पष्ट है कि अमेरिका का यह नया प्रहार चीन को बहुत दर्द पहुंचा सकता है।