नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में बुद्धिजीवियों और कलाकारों का एक पूरा वर्ग खड़ा हो गया है। ऐसे में भला बॉलीवुड का एलीट वर्ग कैसे पीछे रहता? उन्होंने भी बहती गंगा में हाथ धोने हेतु विरोध प्रदर्शनों में हिस्सा लेना शुरू कर दिया, चाहे उन्हें बिल के बारे में लेशमात्र भी ज्ञान न हो। अगस्त क्रांति मैदान के दौरान हुए विरोध प्रदर्शनों में ये भी उजागर हुआ कि कैसे कई बॉलीवुड सितारे केवल विरोध करने के लिए इस कानून का विरोध कर रहे थे, जबकि उन्हें इस बिल के बारे में लेशमात्र भी ज्ञान न था। ऐसे ही एक विरोधी निकले पारसी अभिनेता जिम सर्भ, जिन्होंने ‘नीरजा’ में अपने अभिनय से सभी को चौंकाया था।
उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़ के नहीं देखा और उन्होने ‘अ डेथ इन द गंज’, ‘पद्मावत’, ‘संजू’ जैसी फिल्मों में अपनी अभिनय का लोहा मनवाया। ‘नीरजा’ में खलील और ‘पद्मावत’ में अलाउद्दीन खिलजी के विश्वसनीय सेनापति मलिक काफ़ूर के लिए उन्हें फ़िल्मफेयर के सर्वोच्च सहायक अभिनेता के पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया।
इसी कड़ी में जिम सर्भ ने भी CAA के विरुद्ध हो रहे प्रदर्शनों में हिस्सा लिया, और जब उनसे पूछा गया कि वे इन प्रोटेस्ट्स में क्यों हिस्सा ले रहे हैं, तो उन्होंने बताया, “CAA को अकेले एक standalone बिल के तौर पर नहीं देखा जा सकता। आपको इस बिल को पढ़ने के लिए इतिहास की ओर देखना होगा, और आपको बता दें कि वर्तमान सरकार ध्रुवीकरण और भेदभाव की राजनीति में विश्वास रखती है।
गुजरात के दंगों को देख लीजिये, आरएसएस के उत्थान को देखिये, शहरों के नाम बदलने की बात हो, इतिहास को दूसरे तरह से बताना हो, गौरक्षक, लिंचिंग, लव जिहाद, कश्मीर में संविधान की मर्यादा को तार-तार करना, आतंक के आरोपियों और दुष्कर्मियों की नियुक्ति, आप बस बोलते जाइए और सरकार ने यह सब किया है। इस राज्य द्वारा प्रायोजित हिंसा के मैं विरुद्ध हूँ, और इसीलिए मैं बिल के विरुद्ध हूँ”।
https://twitter.com/lil_unsteady/status/1208359560584417282
सर्वप्रथम तो जिम सर्भ की अज्ञानता के लिए हमें उनपर तरस आता है। एक पारसी होते हुए वे जिस तरह से CAA का विरोध कर रहे हैं, वो उन्हें बिल्कुल भी शोभा नहीं देता। वे उस समुदाय से संबंध रखते हैं जिन्होंने अपने मूल देश ईरान में काफी अत्याचारों का सामना किया था।
9वीं सदी आते-आते इस्लामी आक्रांताओं ने न केवल पर्शिया पर आधिपत्य जमा लिया, अपितु वहां के स्थानीय पारसी समुदाय पर बर्बरता ढानी शुरू कर दी। उन्हें किसी भी देश ने आसरा देने से मना कर दिया था, परंतु भारत ने उनसे मुंह नहीं मोड़ा। आज पारसी समुदाय न केवल भारत के सबसे शक्तिशाली समुदायों में से एक हैं, अपितु उन्हें भारत में काफी मान सम्मान भी मिलता है। जियो पारसी योजना के अंतर्गत उनके समुदाय के संरक्षण का भी बीड़ा भारत सरकार ने उठाया है।
मजे की बात तो यह है कि जिम सर्भ ने इतिहास की दुहाई दी है, जबकि उन्हें इतिहास का लेशमात्र भी ज्ञान नहीं है। यदि उन्होंने ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखते हुए सोचा होता, तो उन्हें मालूम चलता कि भारतीय सभ्यता कितनी महान और दयालु है। यह वही भारतवर्ष है जिसने पारसी के अलावा यहूदी समुदाय को आश्रय दिया, और उन्हें भी किसी अन्य समुदाय की भांति उचित सम्मान भी दिया। जिम सर्भ के बयान से ये साफ़ होता है कि उन्हें अपनी सभ्यता का कोई ज्ञान नहीं है, और वे वास्तविकता से अनभिज्ञ हैं।
एनआरसी के बारे में जिम सर्भ ने जो बातें कहीं, उससे साफ पता चलता है कि कि फरहान अख्तर वे भी इस विषय पर अज्ञानी है। जिम के अनुसार NRC के कारण “भारतीय मुसलमानों” को स्टेटलेस घोषित कर दिए जाएंगे जोकि पूरी तरह से झूठ है। उन्होंने यह भी कहा कि NRC-CAA ट्रांसजेंडर, नास्तिक, महिला, आदिवासी और गरीबों को देश से बाहर कर देगा। बता दें कि उस पोस्ट पर एक जिहादी ग्रुप आई स्टैंड विद कश्मीर के लोगों के साथ भारत का क्षत-विक्षत मानचित्र था।
This Bollywoodiya @jimSarbh is a Parsi
Parsis, who fled Persia, after it was subjugated by Islam. They found refuge in the then Hindu States of India.
Today, they've a problem with India giving refuge to Hindus who're persecuted in the Islamic states!pic.twitter.com/eda2nzi0Kv
— We, the people of India (@India_Policy) December 21, 2019
सच कहें तो जिम सर्भ को इस कानून से खुश होना चाहिए, क्योंकि उनके पारसी समुदाय को अब भारत में ज़्यादा मान सम्मान मिलेगा, परंतु जिस तरह से वे CAA के विरोध में खड़े हैं, उससे तो एक ही कहावत इन पर चरितार्थ होती है, “नाच न जाने, तो आंगन टेढ़ा!”