दिल्ली कई दिनों तक जल सकती थी, लेकिन NSA अजित डोवाल ने उसे प्रलय से बचाया

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जब से देश में नागरिकता संशोधन कानून पारित हुआ है, तभी से भारत की सभी विपक्षी पार्टियां इस मुद्दे पर झूठी और भ्रामक खबरें फैलाकर, और हिंसा भड़काकर इसका सारा जिम्मा मोदी सरकार पर डालने की योजना का अनुसरण का रही हैं। इस कानून की वैद्यता को जानते हुए भी देश में वामपंथी तंत्र और राजनीतिक पार्टियां जान-बूझकर हिंसा करने वालों को भड़का रही हैं । देश की राजधानी सहित अन्य हिस्सों में हमें इसी कारण कई हिंसक विरोध प्रदर्शन देखने को मिल चुके हैं।

आपको याद होगा गुरुवार को भी हमें दिल्ली में कई विरोध प्रदर्शन देखने को मिले थे, इसके अलावा लाल किले के पास बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हुए थे। अब इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि अपनी सूझ-बूझ से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल ने दिल्ली को उस दिन अराजकता और बड़ी हिंसा के मुहाने पर जाने से बचाया था। उन्होंने समय रहते दिल्ली के नॉर्थ ब्लॉक में दिल्ली पुलिस और प्रशासन के कई बड़े अफसरों के साथ आपात बैठक की, और इस बैठक में जो उन्होंने खुलासे किए, वे सच मुच किसी को भी डराने के लिए पर्याप्त थे।

दरअसल, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को अपने सूत्रों से यह पता लगा था कि हरियाणा के मेवात इलाके से सैकड़ों लोगों को गुमराह कर दिल्ली लाया जा रहा है। बैठक में शामिल एक अधिकारी के मुताबिक इन लोगों को दो दिन का टॉस्क दिया गया था। यानी पहले गुरुवार को कुछ इलाकों में हिंसा कराएंगे और उसके बाद शुक्रवार को जुम्मे की नमाज के बाद करीब 14 इलाकों में बड़े पैमाने पर सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना मसलन आग लगाने की योजना बनाई गई। अब यहाँ सबसे बड़े खतरे की बात यह थी कि इस योजना को अंजाम देने में सिर्फ आठ घंटे ही बचे थे, और इसीलिए रात को ही NSA को आपात बैठक बुलानी पड़ी।

अजीत डोभाल ने जब दिल्ली पुलिस के अधिकारियों को बताया कि राष्ट्रीय राजधानी में गुरुवार और शुक्रवार को बड़े पैमाने पर दंगा एवं आगजनी की साजिश रची जा रही है, तो वे हैरान रह गए। इसके बाद अजीत डोभाल ने दिल्ली पुलिस के साथ अपनी रणनीति को साझा किया और दिल्ली पुलिस ने भी एहतियातन कई बड़े कदम उठाए। उदाहरण के तौर पर गुरुग्राम के सभी मेट्रो स्टेशनों पर सुरक्षा बलों को चौकस कर दिया गया। यात्रियों की गहन चेकिंग की गई। मेवात जिले की पुलिस को कई अहम ज़िम्मेदारियां सौंपी गईं। दिल्ली की ओर आने वाले छोटे टैंपों, डिलिवरी वैन और कमर्शियल वाहनों को बीच राह में रोक कर यह देखा गया कि कहीं उनमें सवारी तो नहीं बैठी हैं। गुरुग्राम के अलावा दिल्ली के कई चौराहों पर भी विशेष सुरक्षा बल तैनात कर ऐसे वाहनों पर नजर रखी गई। एक साथ 18-20 मेट्रो स्टेशनों को बंद करना, कुछ इलाकों में इंटरनेट सेवाओं को बाधित करना और प्रदर्शनकारियों को एक तय क्षेत्र से बाहर नहीं निकलने देना, ये सब डोभाल की ही रणनीति थी।

डोभाल के साथ इस बैठक के बाद दिल्ली पुलिस ने अलग से एक बैठक बुलाई, जो कि रात सवा एक बजे तक चली। इस बैठक में यह तय किया गया कि जंतर मंतर पर तो लोगों को विरोध प्रदर्शन करने की आज़ादी दे दी जाएगी, लेकिन अगर किसी अन्य जगह लोगों ने प्रदर्शन करने की कोशिश की, तो उसे धारा 144 के तहत गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

इसी का नतीजा यह निकला कि गुरुवार को दिल्ली में बड़ी हिंसा की कोई खबर नहीं आई, और दिल्लीवासी चैन से अपना दिन बिता पाये। अराजक तत्वों और देश विरोधी मानसिकता वाले कुछ लोगों को यह पूरा इरादा था कि वे कैसे भी करके दिल्ली को कई हफ्तों तक हिंसा की आग में धकेल दें, लेकिन अजीत डोभाल ने अपने अनुभव और अपनी सूझ-बूझ से दिल्ली को उस ओर जाने से रोका और देश की राजधानी की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाए रखा। इसके लिए उनके साहस और समय रहते एक्शन लेने की योग्यता की जितनी तारीफ की जाये, उतनी कम है।

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