जबरन धर्मांतरण, हत्या और अब CAA पर आतंक, बस अब बहुत हुआ, आतंकी संगठन PFI अब बैन होना ही चाहिए

नागरिकता संशोधन कानून के विरोध प्रदर्शन की आड़ में देश के कई कोने में हिंसा देखने को मिली थी। इस हिंसक विरोध प्रदर्शनों में कई लोगों की जान भी गयी जैसे असम में 5, उत्तर प्रदेश में 18 और कर्नाटक में 2 मौतें हुई। अगर हम देश के अनेक क्षेत्रों में हुई हिंसा को देखें तो एक चीज़ कॉमन मिलेगी और वह है एक रेडिकल इस्लामिस्ट संगठन, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) का हाथ होना। ऐसे में भारत सरकार को तुरंत एक्शन लेकर इस संगठन को बैन कर देना चाहिए।

CAA के विरोध में सबसे पहले हिंसा असम में शुरू हुई थी। पुलिस की जांच में यह पता चला कि हिंसा में PFI का हाथ था। यही नहीं PFI के 2 सदस्य को गिरफ्तार भी किया गया था जो स्पष्ट रूप से हिंसा में शामिल थे।

वहीं, 19 दिसम्बर को उत्तर प्रदेश राजधानी लखनऊ में हुई हिंसा के ‘मास्टरमाइंड’ समेत दो लोगों को सोमवार को गिरफ्तार किया गया। ये दोनों नदीम और उसके सहयोगी अशफाक हैं। आरोप है कि पीएफआई ने ही विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों को उकसाया जिसके बाद भड़की हिंसा में कई वाहनों को आग लगा दी गई और जमकर तोड़फोड़ हुई। बता दें कि PFI प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) का ही रूप है।

SSP कलानिधि नैथानी ने बताया कि PFI उत्तर प्रदेश में अपनी जड़े काफी दिनों से मजबूत करने की कोशिश में लगी थी। नागरिकता कानून का विरोध जब शुरू हुआ तो इन्हें मौक़ा मिला और संगठन के लोगों ने आम जनता को भड़काना शुरू कर दिया था। एसएसपी कलानिधि नैथानी ने यह भी बताया था कि, इनके पास से 24 तख्ती, भारी मात्रा में पंफलेट्स, सीडी, साहित्य और पोस्ट कार्ड्स बरामद हुए हैं। साहित्यों में बाबरी मस्जिद से जुड़ी अहम बाते हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि अयोध्या फैसले के बाद भी इन्होंने कुछ नापाक इरादे जरूर पाल रहे होंगे। गिरफ्तार किए गए तीनों लोग सोशलिस्ट डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया के नाम से उत्तर प्रदेश में काम करते हैं।

दिल्ली में हिंसा के बाद भी, गृह मंत्रालय को एजेंसियों से खुफिया रिपोर्टें मिली थीं, जिसमें इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन जैसे पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के शामिल होने का खुलासा हुआ था।

उत्तर प्रदेश के अलावा कर्नाटक में मंगलुरु में हिंसा देखी गयी, जिसमें हिंसक प्रदर्शनकारियों और दंगाइयों पर पुलिस गोलीबारी में दो लोगों की मौत हो गई। यहां यह उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि मंगलुरु कर्नाटक के केरल से सटे बार्डर पर स्थित है, जहां पीएफआई का गढ़ माना जाता है और यह हाल के दिनों में सबसे अधिक सक्रिय रहा है।

देश भर में एंटी सीएए हिंसा में पीएफआई की भागीदारी ने फिर से ऐसे कट्टरपंथी इस्लामी संगठन को गैरकानूनी घोषित करने की मांग होनी चाहिए। इससे पहले भी इस संगठन की गतिविधियों से पता चलता है कि यह एक आतंकी संगठन की तरह काम करता है जिसे प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।

वास्तव में, 2014 में ही केरल सरकार ने प्रतिबंधित आतंकी संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के साथ गहरे संबंध या PFI को स्वीकार कर लिया था। केरल उच्च न्यायालय के समक्ष दायर एक हलफनामे में, केरल सरकार ने कहा था कि, “प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) का ही एक और रूप के अलावा और कुछ नहीं है’।

एफिडेविट में यह भी कहा गया था कि सीमा के अधिकांश पूर्व सदस्य अब या तो पीएफआई के साथ जुड़े हैं या वर्तमान में पीएफआई में विभिन्न विभागों को संभालते हैं। राज्य के खुफिया प्रमुख के निर्देश पर दायर बयान में यह भी कहा गया है कि हालांकि, पीएफआई का उद्देश्य अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करना है, लेकिन यह संगठन वास्तव में आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहता है। यह बयान पीएफआई के हिंसक और सांप्रदायिक रूप को दर्शाता है। राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय को यह बताया था कि PFI 27 सांप्रदायिक हत्या के मामलों, हत्या के 86 प्रयासों और 106 सांप्रदायिक मामलों शामिल रहा है।

यह संगठन आतंकी संगठनों के साथ गहरे संबंध रखता है। पीएफआई कार्यकर्ताओं के आईएसआईएस में शामिल होने के बारे में भी खबरें आई हैं, और एक टाइम्स नाउ की जांच में यह पाया गया था कि कट्टरपंथी पीएफआई को वित्त पोषण करने वाले कुछ संगठनों को वैश्विक आतंकवादी संगठन, अल-कायदा से जुड़े हैं।

गृह मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि पीएफआई के खिलाफ उनके पास पर्याप्त सबूत हैं। इसमें एनआईए की वह जांच रिपोर्ट भी है, जिसमें इस संगठन पर 6 आतंकी घटनाओं में शामिल रहने का आरोप लगाया है। इसके अलावा राज्यों की पुलिस की रिपोर्ट भी एनआईए के पास है, जिसमें इस संगठन पर धार्मिक कट्टरवाद को बढ़ावा देने, आतंकी गतिविधियों में शामिल रहने और जबरन धर्मांतरण का आरोप भी लगा है।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में पीएफआई की जिन गतिविधियों का हवाला दिया है, उनमें केरल के इडुक्की जिले में प्रोफेसर का हाथ काटना, कन्नूर में ट्रेनिंग कैंप का संचालन शामिल है। इस कैंप से एनआईए ने धारदार हथियार, देसी बम और आईईडी बम तैयार करने के सामान भी बरामद किए थे। पीएफआई पर बेंगलुरु में संघ नेता रुद्रेश की हत्या और एक अन्य आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट अल-हिंद के साथ मिलकर दक्षिण भारत में आतंकी हमलों की योजना बनाने का आरोप है।

इसलिए, पीएफआई हमेशा अपने आतंक से संबंधित गतिविधियों और कट्टरपंथी एजेंडों पर सुर्खियों में रहा है। अब, सीएए के खिलाफ सभी हिंसक विरोध में पीएफआई के संलिप्तता और आतंकवाद से संबंधित गतिविधियों में भागीदारी स्पष्ट सामने आई है। इस संगठन के आतंकी संलिप्तता को देखते हुए इस पर प्रतिबंध लगाने का एक अच्छा अवसर है।

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