नागरिकता संशोधन कानून पर विरोध प्रदर्शन अब एक अलग ही स्तर पर पहुंच चुका है। जहां विरोधी पार्टियों के नेता से लेकर बॉलीवुड तक सभी मोदी सरकार के विरोध में उतर चुके हैं पर हास्यास्पद यह है कि लगभग 85 प्रतिशत लोगों को यह भी नहीं पता है कि आखिर वे विरोध क्यों कर रहे हैं। उदाहरण के लिए फरहान अख्तर। इसी तरह दिल्ली की चर्चित एक्टिविस्ट मेधा पाटेकर भी विरोध करने उतरीं लेकिन पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थियों ने राजघाट पर ऐसा घेराव किया कि उन्हें विरोध प्रदर्शन से वापस जाना पड़ा।
मेधा पाटकर भाटी माइंस में इन पाकिस्तानी शरणार्थियों के कैंप में सुविधाओं को लेकर पहले संघर्ष करती रही हैं, लेकिन गुरुवार को जब राजघाट पर मेधा पाटकर ने जेएनयू में छात्रों पर पुलिस की कार्रवाई को गलत बताया तो तमाम शरणार्थी भड़क गए और ‘पाटकर पाकिस्तान जाओ’ के नारे लगाने लगे। मेधा पाटकर का इन लोगों ने न केवल घेराव किया बल्कि उन्हें राजघाट से दूर तक खदेड़ भी दिया।
बता दें कि दिल्ली के राजघाट में संशोधित नागरिकता कानून के पक्ष में गुरुवार को प्रदर्शन और सभा की गई। पाकिस्तान, बांग्लादेश और अन्य देशों से आए हिंदू तथा दूसरे धर्मों के शरणार्थियों ने इस कानून के पक्ष में समर्थन किया। प्रदर्शन कर रही एक हिंदू शरणार्थी महिला, ‘पाकिस्तान ने निकाला है, भारत ने संभाला है’ लिखी हुई पोस्टर लेकर खड़ी थी।
देश के प्रमुख शहरों में कल CAA के विरोध में भारी प्रदर्शन देखा गया जिसमें मीडिया वाहन और पुलिस चौकियों को आग के हवाले कर दिया गया था। उत्तर प्रदेश के हजरतगंज बाजार में प्रदर्शनकारियों ने कई जगह पथराव किया। यही नहीं प्रदर्शनकारियों ने कई चैनलों की ओबी वैन में भी आग लगा दी। प्रदर्शन को देखते हुए अंदाजा लगाया जा रहा है कि प्रदर्शनकारी पूरी तैयारी के साथ आए थे। वहीं कुशीनगर में पड़रौना कोतवाली के खिरिया टोले में एनआरसी का विरोध कर रहे लोगों ने पुलिस पथराव कर दिया। काफी देर तक पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प देखने को मिला। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने पथराव भी किया जिसमें कई लोग घायल हो गए। इसी बीच कुछ ऐसी खबरें भी आई जिससे हर किसी का दिल खुश हो जाएगा। दरअसल. देश के कई हिस्सों में लोगों ने CAA के समर्थन में जागरूकता मार्च निकाली। हालांकि मेन स्ट्रीम मीडिया ने इस खबर को कोई तवज्जो नहीं दिया।
बता दें कि मेधा पाटकर ‘नर्मदा बचाओ आंदोलन’ के दौरान के फेमस हुईं थी। इसके बाद उन्होंने 2014 में आम आदमी पार्टी के टिकट पर मुंबई नॉर्थ-ईस्ट की संसदीय सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन चुनाव हार गईं। वह विवाद में भी रही थी क्योंकि उन्होंने नर्मदा नदी की तुलना वेश्या से की थी। पाटकर ने शिकायत की कि कई निजी फर्म नदी को वैश्या (वेश्या) की तरह अपमानित कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया था कि राज्य सरकार हर दिन 172 करोड़ लीटर नदी का पानी निजी कंपनियों को आपूर्ति कर रही है।
ऐसा लगता है कि मेधा पाटकर को पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ हो रहे अत्याचार के बारे में पता नहीं है। पाकिस्तान के मानवाधिकार संगठन ने दावा किया है कि हर वर्ष 1000 से ज़्यादा युवा हिन्दू और ईसाई लड़कियों का अपहरण कर उनका जबरन धर्म परिवर्तन कराया जाता है, क्योंकि पाकिस्तानी प्रशासन की कृपा से मियां मिठ्ठू जैसे कट्टरपंथियों को ऐसे कुकृत्य करने की खुली छूट मिली है।
बता दें कि गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में बताया था कि वर्ष 1947 में पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की आबादी 23 प्रतिशत थी। 2011 में 23 प्रतिशत से कम होकर 3.7 प्रतिशत हो गयी। वहीं बांग्लादेश में 1947 में अल्पसंख्यकों की आबादी 22 प्रतिशत थी जो 2011 में कम होकर 7.8 प्रतिशत हो चुकी है। पाकिस्तान से आए शरणार्थियों द्वारा मेधा पाटकर के साथ इस तरह किया गया व्यवहार जरूर उनको आत्म-चिंतन करने पर मजबूर कर देगा।