अपने आप को उदार और लोकतंत्र प्रेमी कहने वाले कुछ लोग वास्तव में कितने तानाशाही एवं अलोकतांत्रिक होते हैं, इसका एक बेजोड़ उदाहरण अभी हाल ही में देखने को मिला, जब कुछ पेरियार समर्थकों ने भारत में अग्रणी कलाई घड़ी ब्रांडों में से एक टाइटन ब्रांड को एक एड के लिए इतना डराया धमकाया कि Titan Watches India को विवश होकर वो एड ही डिलीट करना पड़ा।
हुआ यूं कि टाइटन ने तमिलनाडु की सभ्यता को प्रदर्शित करते हुए एक एड अपने ट्विटर हैंडल पर पोस्ट किया, जिसमें राज्य के मंदिरों, लोक कला, और यहाँ तक कि सुपर स्टार रजनीकान्त तक का महिमामंडन किया गया था। इस एड का संदेश स्पष्ट था – तमिलनाडु की स्थानीय संस्कृति का गुणगान करना:
https://twitter.com/SwamiGeetika/status/1203629619573706752
परंतु इस एड में तमिलनाडु की वास्तविक संस्कृति के महिमामंडन से वहां का पेरियार समर्थक बिरादरी भड़क गया। उन्होंने तुरंत टाइटन के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया और #BoycottTitanWatches ट्रेंड कराने लगे। उनके अनुसार तमिलनाडु के ‘ब्राह्मणवादी’ विरासत का महिमामंडन बिलकुल नहीं होना चाहिए, और कई सोशल मीडिया यूजर्स ने टाइटन के विरोध में जमकर ट्वीट पोस्ट किए –
https://twitter.com/DravidanTalkies/status/1203617342225141760
Filter coffee & Bharathanatyam are not the identity of chennai or TamilNadu. They are “claimed” to be the identity of “10%” community. Stop this stereotyping. It’s fking annoying even though I love filter coffee #BoycottTitanWatches
— வித்ஸ் (@iamvidhyac) December 8, 2019
https://twitter.com/Vikkranth/status/1203718422594347008?s=19
उदाहरण के लिए एक ट्विटर अकाउंट We Dravidians ने पोस्ट किया, ‘क्यों #BoycottTitanWatches ट्रेंड कर रहा है? टाइटन के वर्तमान एड में ब्राह्मणवादी पुस्तकों, सभ्यता, भोजन, तमिल विरोधी लेखकों को तमिलनाडु की सभ्यता के तौर पर दिखाया गया। इसमें कुछ भी तमिल नहीं है। ब्राह्मणवादी निकृष्टता अपनी सभी सीमाएं लांघ रहा है। टाइटन को तमिल लोगों से माफी मांगनी चाहिए’।
एक और यूज़र लिखती हैं, ‘भरतनाट्यम और फिल्टर कॉफी तमिलनाडु की पहचान नहीं है। इसपर तमिलनाडु के केवल 10 प्रतिशत लोग ही दावा करते हैं। ये स्टीरियोटाइपिंग बंद करें’। इस ट्रेंड के चलते टाइटन को अपना एड हटाना पड़ा, जिसका असंख्य सोशल मीडिया यूजर्स ने काफी विरोध भी किया।
Already I own 4 Titan watches and now I’ll buy a 5th Titan
Will not #boycott Titan watches. https://t.co/pdzkJTgy98
— 𑀮𑀮𑀺𑀢𑀸 Lalitha Vishwakarma(Modi Ka Parivar) 🚩 (@lalitha_jr) December 8, 2019
https://twitter.com/FreedomfrmMedia/status/1203636453705568256
एक यूज़र, जो ‘फ्रीडम फ्रॉम द प्रेस’ के नाम से ट्विटर हैंडल चलाते हैं, लिखते हैं, ‘डीएमके के चाटुकारों के डर से आपने अपनी टाइटन एड क्यों डिलीट की? अब तो आम तमिल लोग भी आपके इस कदम का समर्थन नहीं करेंगे। फिर से ट्वीट करें और अडिग रहे। 200 रुपये प्रति ट्वीट करने वालों को रोने दे और उनसे माफी न मांगें!’
ये शर्मनाक है कि एक एड से पेरियार समर्थक इतना चिढ़ गये कि उसे डिलीट करवाने के लिए हर संभव प्रयास में जुट गये और इसमें सफल भी हो गये। बता दें कि पेरियार समर्थकों का तमिलनाडु में अच्छा खासा प्रभाव है, और द्रविड़ मुनेत्र कड़गम पार्टी यानि डीएमके उन्हीं के आदर्शों पर चलने का दावा करती है। पेरियार समर्थकों का प्रमुख उद्देश्य है किसी भी स्थिति में तमिलनाडु में सनातन संस्कृति का पुनरुत्थान न होने देना। इसलिए इन सभी ने एकजुट होकर राज्य के सबसे प्रसिद्ध खेलों में से एक जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध लगवाने में सफलता पायी थी, परंतु इसे भारी जन विरोध के बाद वापिस लाना पड़ा था।
सच तो यह है कि अब वामपंथियों को धीरे-धीरे अपने दो सबसे अहम गढ़ हाथ से फिसलते हुए दिखाई दे रहे हैं। यूं तो तमिलनाडु में वे स्पष्ट रूप से सत्ता में नहीं है, परंतु तमिलनाडु के पेरियार समर्थकों और केरल की सत्ताधारी पार्टी की विचारधारा में कोई ज़्यादा अंतर नहीं है। अब देखना यही है कि इनकी दबंगई कितने दिनों तक कायम रहती है।