जब से गोटाबाया राजपक्षा ने श्रीलंका में राष्ट्रपति का चुनाव जीता है तब से भारतीय उपमहाद्वीप का जियोपोलिटिक्स गरमाया हुआ है। श्रीलंका की सत्ता संभालते ही चीन से हंबनटोटा वापस लेने की बात कर दी और फिर अपने पहले ही विदेशी दौरे पर भारत को चुनकर चीन को अपना तेवर दिखा दिया है।
भारत दौरे पर उन्होंने ताबड़तोड़ तरीके से अपने रिश्ते को दोबारा पटरी पर लाने की कोशिश की है। इस दौरान दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने कई मुद्दों पर चर्चा की। इन्हीं मुद्दों में से एक था आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक दूसरे का सहयोग। The Hindu को दिये गए एक इंटरव्यू में गोटाबाया राजपक्षा ने यह बात स्पष्ट रूप से कहा कि अब श्रीलंका को ISIS और इस्लामिक आतंकवाद से निपटने के लिए भारत का सहयोग चाहिए।
उन्होंने कहा कि, “अब श्रीलंका की चिंता LTTE नहीं बल्कि IS यानि इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकी संगठन हैं। LTTE सिर्फ श्रीलंका तक ही सीमित था जबकि इस्लामिक स्टेट का प्रभाव पूरी दुनिया में है और इसके खिलाफ लड़ाई में भारत जैसे देशों के पास अधिक जानकारी है।”
बता दें कि इसी वर्ष अप्रैल में हुए बम धमाकों से श्रीलंका दहल गया था और उसने मामले से निपटने और जांच कर टेरर मोड्यूल का पता लगाने के लिए भारत से NSG कमांडोज की मांग की थी। उस वक्त भारत की जांच एजेंसियों ने श्रीलंका की मदद भी की थी।
दरअसल, भारत ने श्रीलंका को 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर की सहायता प्रदान करने की घोषणा की, जिसमें से भारत 400 मिलियन अमेरिकी डॉलर की राशि श्रीलंका को लाइन ऑफ क्रेडिट जारी करेगा, वहीं आतंक से लड़ने के लिए श्रीलंका को 50 मिलियन अमेरिकी डॉलर अतिरिक्त आर्थिक सहायता दी जाएगी।
बता दें कि श्रीलंका में गोटाबाया की सरकार बने अभी सिर्फ 10 दिन ही हुए हैं और इन 10 दिनों में भारत ने गोटाबाया को अपने पक्ष में करने के लिए कई बड़े फैसले लिए हैं। वह पहले श्रीलंका के पूर्व रक्षा सचिव थे और वे सेना में अधिकारी भी रह चुके हैं। गोटाबाया को उनके घर वाले टेर्मिनेटर नाम से बुलाते हैं।
बता दें कि इस वर्ष अप्रैल में श्रीलंका में ईस्टर के दिन लगातार आठ बम धमाकों में करीबन 250 लोगो की मौत हो गयी थी और 500 से अधिक लोग घायल हो गए थे। श्रीलंका ब्लास्ट्स का मास्टरमाइंड आतंकी मौलवी जहरान हाशिम भी नस्लवाद और इस्लामी वर्चस्व की विचारधारा को मानने वाला था। यूट्यूब वीडियोज के जरिए वह लोगों को भड़काता था। इमाम मौलवी ज़हरान हाशिम ने यूट्यूब पर कई ऐसे वीडियो भी पोस्ट किए थे, जिसमें उसे भड़काने वाली बातों का प्रचार प्रसार करते देखा गया था।
गौर किया जाए तो पिछले कुछ वर्षों में श्रीलंका में इस्लामिक कट्टरपंथ और आतंकवाद की घटनाओं में बढ़ोतरी देखने को मिली है। इसका एक उदाहरण हमें तब देखने को मिला जब वर्ष 2016 में 32 श्रीलंकाई मुस्लिम आतंकी संगठन आईएसआईएस में शामिल हो गये थे। इसके अलावा वर्ष 2015 में भारतीय जांच एजेंसी एनआईए द्वारा दो श्रीलंकाई मुस्लिमों को हिरासत में लिया गया था, जिन्हें श्रीलंका में मौजूद पाकिस्तानी हाईकमीशन द्वारा दक्षिण भारत में धमाके करने के लिए भेजा गया था।
इन सब घटनाओं के बाद अब यह तो साफ हो गया है कि श्रीलंका के मुसलमानों में आज जो कट्टरवाद का जहर फैलता जा रहा है। इससे निपटने में टर्मिनेटर नाम से मशहूर गोटाबाया को थोड़ी कड़ी मेहनत करनी होगी जिससे श्रीलंका दोबारा से एक सुरक्षित देश बन जाए। इस समस्या के लिए अब जिस तरह से गोटाबाया ने भारत से मदद के लिए हाथ बढ़ाया है उससे उनका दृढ़ निश्चय का स्पष्ट पता चलता है।
श्रीलंका में जब LTTE ने तबाही मचा रखी थी तब गोटाबाया रक्षा सचिव थे और उन्होंने LTTE की समस्या जड़ से उखाड़कर फेंक दिया और इसी के बाद गोटाबाया वहां पर एक हीरो के तौर पर प्रख्यात हो गए। श्रीलंकावासियों को उनसे वैसी ही करिश्मा की उम्मीद होगी जैसा उन्होंने LTTE से लड़ने में दिखाया था। भारत ने श्रीलंका को पहले ही कूटनीतिक तौर पर दिखाया कि वह किसी भी हालत में उसका मदद करने को तैयार है।