शनिवार को भारत और चीन के बीच आधिकारिक तौर पर बॉर्डर विवाद को खत्म करने के लिए वार्ता का आयोजन हुआ जिसमें भारत के NSA अजित डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने हिस्सा लिया। इस दौरान दौरान दोनों पक्षों ने सीमा से जुड़े मुद्दों का उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान निकालने के लिये प्रयास को तेज करने का संकल्प लिया। विदेश मंत्रालय ने कहा कि बातचीत रचनात्मक रही।
बता दें कि बॉर्डर वार्ता से ठीक पहले चीन ने यूएन सुरक्षा परिषद में कश्मीर का मुद्दा उठाकर भारत पर दबाव बनाने की कोशिश की थी। हालांकि, भारत ने फ्रांस और रूस की मदद से तब चीन की इस चाल को नाकाम कर दिया था। ऐसे में बॉर्डर विवाद सुलझाने की दृष्टि से आयोजित की गई इस वार्ता में भारत का दबदबा माना जा रहा है। अभी चीन पर भारत का भी दबाव है, साथ ही अमेरिका और उसके साथी मिलकर भी चीन की पूर्वी सीमाओं पर उसपर लगातार दबाव बनाए जा रहे हैं, ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि चीन से अक्साई चिन वापस लेने का यह भारत के पास सुनहरा मौका है।
कश्मीर मुद्दे पर चीन और पाकिस्तान ने मिलकर भारत को घेरने की योजना बनाई थी। हालांकि, जिस तरह भारत ने चीन को यूएन में करारा जवाब दिया है, उससे चीन अब बैकफुट पर आ गया है। बता दें कि इससे पहले यह बॉर्डर वार्ता सितंबर में होनी थी, उससे ठीक पहले भी चीन ने UN में कश्मीर का मुद्दा उठाया था ताकि भारत पर दबाव बनाया जा सके, लेकिन तब भारत ने इस वार्ता को रद्द कर दिया था। यह चीन के लिए किसी झटके से कम नहीं था। इसके अलावा अब 21 तारीख से शुरू हो रही बॉर्डर वार्ता से पहले भी चीन ने ऐसा ही करने की कोशिश की और यूएन में कश्मीर पर एक बंद कमरे में चर्चा को बुलाने की मांग की, लेकिन भारत ने अपने साथियों के साथ मिलकर चीन के इस कदम का भी मुंहतोड़ जवाब दिया, जिससे चीन फिर बैकफुट पर आ गया।
इसके अलावा नवंबर में भारत ने RCEP से बाहर होने का फैसला लेकर भी चीन को बड़ा झटक दिया था। चीन को उम्मीद थी कि वह अमेरिका के साथ जारी ट्रेड वॉर के बीच RCEP पर हस्ताक्षर करके भारत और अन्य आसियान देशों में अपने सामान को एक्सपोर्ट बढ़ाएगा, लेकिन भारत ने चीन के सपनों पर पानी फेर दिया। अब चीन चाहता है कि कैसे भी करके भारत RCEP पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार हो जाए और इस मामले पर भी वह भारत के दबाव में है।
भारत के पास सुनहरा मौका है। भारत चाहे तो इसी दबाव का फायदा उठाकर चीन पर भारत के हितों की रक्षा करने का दबाव बना सकता है। चीन पहले ही अमेरिका के साथ तनाव की स्थिति में है और ऐसे में वह बिलकुल नहीं चाहेगा कि भारत के साथ सीमाओं पर भी उसका तनाव बढ़े। अभी चीन जल्द से जल्द भारत के साथ बॉर्डर विवाद सुलझाकर अपनी पूर्वी सीमाओं पर ध्यान केन्द्रित करना चाहता है, और भारत को चीन की इसी मजबूरी का फायदा उठाकर अपने पक्ष में बॉर्डर से संबन्धित समझौता करना चाहिए।