बसें जलीं, पथराव हुआ और आगज़नी हुई: अब सब स्पष्ट है, ये सब कांग्रेस और ‘AAP’ ने किया

कांग्रेस

संसद में नागरिकता संशोधित बिल पास होने के बाद से ही देश की विपक्षी पार्टियां इस मुद्दे पर लोगों को भड़काने का काम कर रही हैं। देश की राजधानी दिल्ली में भी CAA के विरोध प्रदर्शन देखने को मिले हैं। हालांकि, जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के छात्रों के प्रदर्शन में हमें भारी हिंसा देखने को मिली थी। इसके अलावा बीते मंगलवार को दिल्ली के सीलमपुर में भी हमें हिंसक विरोध प्रदर्शन देखने को मिले थे। अब दिल्ली पुलिस की जांच में यह सामने आया है कि इन हिंसक विरोध प्रदर्शनों को भड़काने में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी जैसे विपक्षी पार्टियों का हाथ हो सकता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि जो लोग भी इन मामलों में गिरफ्तार किए गए हैं, उनका इन दोनों पार्टियों में से किसी एक के साथ संबंध है।

दरअसल, दिल्ली पुलिस ने जामिया हिंसा मामले में जामिया पुलिस स्टेशन और न्यू फ्रेंड्रस कॉलोनी पुलिस स्टेशन में नामजद मामले में कांग्रेस के पूर्व विधायक आसिफ खान और आम आदमी पार्टी की जामिया युनिवर्सिटी छात्र विंग के नेता कासिम उस्मानी समेत 7 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। केस दर्ज़ करने के साथ ही पुलिस ने 10 अन्य लोगों को गिरफ्तार भी किया है। जिन लोगों पर मामला दर्ज़ किया गया है, उनमें लेफ्ट की छात्र विंग आईसा के नेता चंदन कुमार का भी नाम भी शामिल है। बता दें कि जामिया मिलिया दंगे में 31 पुलिसकर्मी घायल हो गए थे और तब विरोध कर रहे लोगों ने पुलिस पर पत्थरों से हमला किया था।

इसके अलावा बीते मंगलवार को सीलमपुर में हुए दंगों में भी हम आप-कांग्रेस के कनैक्शन से इंकार नहीं कर सकते। पुलिस ने सीलमपुर दंगे के बाद दो मामले दर्ज कर 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने सीलमपुर-जाफराबाद हिंसा की जो जांच की है, उसमें भी शुरुआती जांच में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के नेताओं के नाम सामने आए हैं। बता दें कि इस हिंसा के दौरान भी कुछ गुंडों ने बसों में तोड़-फोड़ की थी और पुलिस पर पथराव किया था। इन गुंडों के हमले में 21 लोग घायल हो गए थे, जिनमें से अधिकतर पुलिसवाले थे।

पुलिस के अनुसार, सीलमपुर में जो रैली निकली थी वो कांग्रेस के पूर्व विधायक मतीन अहमद और आम आदमी पार्टी के विधायक हाज़ी इशराक के नेतृत्व में निकल रही थी। साथ ही इस प्रदर्शन में स्‍थानीय काउंसलर अब्‍दुल रहमान भी शामिल थे। ये लोग भीड़ को उकसाने के लिए भड़काऊ भाषण भी दे रहे थे, जिसके कारण सड़क भी जाम हो गयी थी। इन्हें हटाने के लिए जब पुलिस वहां पहुंची, तो हिंसक भीड़ ने गुंडों की तरह पुलिस पर पथराव चालू कर दिया था। अब कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह बात भी सामने आ रही है कि इन हिंसक विरोध प्रदर्शनों में बांग्लादेशी घुसपैठियों का हाथ भी हो सकता है।

इसके अलावा इस मामले पर भ्रमित करने के लिए दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी अपने ट्विटर हैंडल से फेक न्यूज़ फैलाई। उन्होंने आग बुझाने के लिए जुटी पुलिस पर ही बसों में आग लगाने का आरोप मढ़ दिया।

इस पूरे घटनाक्रम से इसी बात की ओर इशारा जाता है कि कहीं ना कहीं भाजपा सरकार को बदनाम करने के लिए आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने जान-बूझकर इन हिंसक विरोध प्रदर्शनों को भड़काया। आम आदमी पार्टी तो पहले ही इन हिंसक प्रदर्शनों पर अपनी राजनीतिक रोटियाँ सेकने का काम कर रही है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक वीडियो ट्वीट कर बुधवार को बीजेपी पर हमला बोला था। केजरीवाल ने कहा था, ‘दिल्ली में हो रही हिंसा की राजनीति को समझना होगा। ऐसे समय पर जब एक पार्टी अपने काम के बल पर मजबूती से चुनाव जीतने जा रही है, तब दंगा भड़का कर किस पार्टी को फायदा हो सकता हैं? दिल्ली की जनता समझदार है।’

कुल मिलाकर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का इन हिंसक विरोध प्रदर्शनों से संबंध को इंकार नहीं किया जा सकता। अभी इस मामले पर गृह मंत्रालय और दिल्ली पुलिस की जांच जारी है और हमें इस पर और अधिक जानकारी के लिए कुछ समय का इंतज़ार करना होगा।

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