आंध्र प्रदेश की दोनों बड़ी पार्टियों, जो कि एक दूसरे की धुर-विरोधी मानी जाती हैं, इन दोनों ने राज्यसभा में CAB यानि नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन किया। इन दोनों पार्टियों के ही राज्यसभा में 2-2 सांसद हैं। YSR कांग्रेस ने तो बिल का समर्थन करते हुए कांग्रेस पार्टी पर भी हमला बोला। YSR के नेता वी विजयसाई रेड्डी ने राज्यसभा में कहा कि वे इस बिल का समर्थन करते हैं, लेकिन इसके साथ ही वे कांग्रेस की तुष्टिकरण की राजनीति की आलोचना भी करते हैं। उन्होंने शाह बानो केस का उल्लेख करते हुए कांग्रेस को घेरा और कहा कि उसके कार्यकाल में एक मुस्लिम महिला के साथ अन्याय हुआ। हालांकि, ऐसा क्या है जिसने इन दोनों तेलुगू पार्टियों को इस बिल का समर्थन करने पर मजबूर किया है?
V Vijaysai Reddy, YSR Congress Party: Our party supports the #CitizenshipAmmendmentBill2019. pic.twitter.com/iUCpISSA4x
— ANI (@ANI) December 11, 2019
अगर बात YSR कांग्रेस की करें, तो यह राज्य में सत्तासीन पार्टी है, और इस पार्टी की सरकार को केंद्र से कई मुद्दों को लेकर आर्थिक सहायता चाहिए। सच तो यह है कि जगन मोहन रेड्डी भाजपा के साथ अपने संबंधों में किसी प्रकार की कड़वाहट नहीं लाना चाहते, और वे केंद्र सरकार की ओर राज्य में निवेश हेतु मदद की निगाह से भी देखते हैं। इसके अलावा जिस प्रकार YSR कांग्रेस की सरकार ने अपने राज्य में उद्योगों के हितों को नुकसान पहुंचाने वाले कई निर्णय लिए हैं, उसके डैमेज कंट्रोल के लिए भी उन्हें केंद्र सरकार का ही सहारा चाहिए। जैसे ही TDP की सरकार जाने के बाद रेड्डी सरकार सत्ता में आई, उसने आते ही अमरावती को राजधानी के रूप में विकसित करने हेतु शुरू हुए सभी प्रोजेक्ट्स को रोक दिया, जिसकी वजह से सिंगापुर द्वारा किया जा रहा निवेश अधर में लटक गया।
इसके साथ ही सरकार ने सभी ऊर्जा क्षेत्र के प्रोजेक्ट को रिव्यू करने के लिए एक high-level negotiation committee यानि HLNC का गठन करने का निर्णय लिया। बता दें कि इन सभी प्रोजेक्ट्स को पिछली टीडीपी सरकार के समय मंजूरी दे दी गयी थी। नई आंध्र प्रदेश सरकार ने सभी एनर्जी प्रोजेक्ट्स से बिजली खरीदने से मना कर दिया, जबकि पूर्व की टीडीपी सरकार ने इसके लिए वादा किया हुआ था। ये कंपनियां बाद में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट गईं जहां इनके पक्ष में निर्णय आया।
हालांकि, जगन सरकार ने कोर्ट का फैसला मानने की बजाय कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने में अपनी भलाई समझी। इसके अलावा YSR सरकार ने राज्य में दारू की बिक्री पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। इन सब कदमों से जहां एक तरफ राज्य में आने वाला निवेश कम होगा, तो वहीं सरकार पर आर्थिक बोझ पड़ेगा। ऐसे में जगन सरकार को केंद्र की सहायता चाहिए ही चाहिए जिसके कारण अब उसने राज्यसभा में CAB का समर्थन करना ही उचित समझा।
अब बात करते हैं TDP की। टीडीपी के मुखिया चन्द्रबाबू नायडू पहले ही यह स्वीकार कर चुके हैं कि भाजपा से नाता तोड़ना उनकी बहुत बड़ी गलती थी। ऐसे में वे अब भाजपा के साथ अपने रिश्तों को ठीक करना चाहते हैं। इसी वर्ष अक्टूबर में नायडू ने कहा था “तेलंगाना में मैंने कांग्रेस के साथ सीट बांटने का निर्णय लिया था। हम इसमें बुरी तरह असफल रहे। बीच राह में मुझे समझ में आया कि यह एक बहुत बड़ी भूल थी, पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी”। यही कारण है कि TDP अब दोबारा भाजपा के साथ अपने रिश्तों को सुधारना चाहती है। इससे पहले TDP अनुच्छेद 370 और ट्रिपल तलाक जैसे मुद्दों पर भी भाजपा का समर्थन कर चुकी है। ट्रिपल तलाक मुद्दे पर वह वोटिंग में अनुपस्थित रही थी, जिसका फायदा भाजपा को ही मिला था।
इन दोनों पार्टियों का राज्यभा में CAB का समर्थन करना इनके निजी हित को दिखाता है। TDP अपनी पार्टी को बचाने के लिए अब CAB का समर्थन कर रही है, तो वहीं YSRCP अपनी सरकार को बचाने के लिए। हालांकि, इन दोनों पार्टियों के इस कदम से भविष्य में केंद्र और इनके रिश्तों पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यह तो हमें समय ही बताएगा।