नागरिकता संशोधन कानून के विरोध प्रदर्शन करे दौरान अप्रत्याशित रूप से हिंसा देखने को मिली। इस वजह से UP पुलिस जमीनी स्तर और ऑनलाइन दोनों ही जगह अपनी निगरानी कड़ी कर चुकी है और फेक न्यूज़ फैलाने वालों पर कार्रवाई हो रही है। राणा अय्यूब जैसी कुछ पत्रकार भी हिंसा भड़काने में लगी हैं लेकिन ऐसे पत्रकारों को यूपी पुलिस अच्छे से मुंहतोड़ जवाब दे रही है।
प्रदर्शन करने वाले हाथों में पेट्रोल बम और पत्थर से पुलिस पर हमले कर रहे हैं जिसके प्रमाण CCTV फुटेज से भी मिल देखने को मिल रहे हैं। उत्तर प्रदेश में तो कई जगह प्रदर्शनकारियों द्वारा गोली भी चलाने की खबर सामने आई। हिंसा को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुलिस को सख्त निर्देश दिये हैं और हमले करने वालों को सबक सिखाने को कहा गया है। परंतु देश में कुछ ऐसे भी लोग हैं जो पुलिस को ही दोषी बनाने में व्यस्त है और हिंसा करने वालों को बचाने में लगे हुए है। इसके लिए वे फेक न्यूज़ तक का सहारा ले रहे है लेकिन यूपी पुलिस भी ऑनलाइन और ऑफ लाइन दोनों जगह पूरी तरह एक्टिव है और इन सभी फेक न्यूज़ फैलाने वालों का पर्दाफाश कर रही है। इसी तरह कल यानि रविवार को यूपी पुलिस ने फिक्शन पत्रकार राणा अय्यूब द्वारा फैलाये जा रहे फेक न्यूज़ को एक्सपोज कर दिया।
दरअसल, कल यानि रविवार को राणा अय्यूब ने यह ट्वीट किया कि ‘मुज्जफरनगर और कानपुर में RSS के लोग पुलिस के साथ मिल कर मुस्लिम क्षेत्र में हमला कर रहे है। इसी वजह से कई परिवार अपने घर छोड़ कर जा रहे हैं। वे आगे लिखती हैं कि घर और गाड़ी जलाए जा रहे है, इससे 2002 के शुरुआती दिनों की याद आ रही है’।
Heartbreaking calls from Muzaffarnagar and Kanpur. Locals are saying RSS members alongwith cops and local leaders are attacking Muslim localities. Families are leaving for safer places. Cars and houses are being burnt. Remember the initial days of Gujarat 2002.
— Rana Ayyub (@RanaAyyub) December 22, 2019
राणा अय्यूब के इसी झूठ को एक्सपोज करते हुए यूपी पुलिस ने अपने ट्विटर अकाउंट से जवाब देते हुए लिखा ‘यूपी पुलिस ऐसे आरोपों से इनकार करती है। जिम्मेदार रिपोर्टिंग के लिए यह आवश्यक होगा कि आप किसी ऐसे साक्ष्य को साझा करें जिसकी जांच की जा सके’।
UP Police denies such allegations. Responsible reporting would require that you share verifiable evidence that we can look into.
— UP POLICE (@Uppolice) December 22, 2019
इसके बाद राणा ने अपने झूठ का बचाव करते हुए कहा, ‘यूपी पुलिस से सिर्फ इनकार की उम्मीद की जा सकती थी। मेरे टाइमलाइन पर Evidence है। इसे जल्द ही प्रकाशित किया जाएगा’।
Only a denial could be expected of UP police. Evidence on my timeline. More to be published soon. https://t.co/264XMjHu8S
— Rana Ayyub (@RanaAyyub) December 22, 2019
इसके बाद यूपी पुलिस ने राणा को उनके झूठ को साबित करने के लिए metaphors की जगह विशिष्ट प्रमाण की मांग की। पुलिस ने लिखा, ‘आपका टाइमलाइन आदेश लागू करने के लिए पुलिस कार्रवाई के अलावा कुछ भी नहीं दिखाता है। metaphors की बजाय, specific proof को appreciate किया जाएगा’।
Your timeline shows nothing but police action for enforcing order. Instead of metaphors, specific proof would be appreciated.
Meanwhile, as per your timeline, a police chowki and several police vehicles were torched by the mob.https://t.co/bldj7vWsXl https://t.co/PSxkNZNcQL— UP POLICE (@Uppolice) December 22, 2019
यूपी पुलिस ने आगे कहा कि ‘इस बीच, आपके टाइमलाइन के अनुसार, भीड़ ने एक पुलिस चौकी और कई पुलिस वाहनों को आग लगा दी’। बता दें की राणा अय्यूब जिस 2002 की बात कर इस मुद्दे को sensationalise करने की कोशिश कर रही थी, उस समय गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के कोच में 59 हिंदुओं को जिंदा जला दिया गया था। मरने वाले कारसेवक थे जो अयोध्या से लौट रहे थे। ज्ञात रहे कि CAAProtest के दौरान हुई हिंसा में अभी तक कुल 263 पुलिसकर्मी घायल हुये है जिनमे से 57 पुलिसकर्मी को बुलेट इंजरी आयी है हिंसाग्रस्त क्षेत्रों से 405 खोखा कारतूस बरामद हुए है।